- बादलों को देखकर दहलता है तिरवाह का सीना।
- फसल तो बर्बाद हो ही गया अब आशियाना मत उजड़ जाए।
- हम तो खा लेंगे पर इन बेजुबानों का क्या होगा।
बेतिया /मझौलिया संवाददाता संतोष कुमार बैठा की रिपोर्ट।
बाढ़ की विभीषिका झेल चुके तिरवाह वासियो का दर्द उस समय बढ़ जाता है जब वे आकाश में बादलों को देखते हैं। बाढ़ की त्रासदी से जो हानि क्षेत्र में हुई है उसे याद कर तिरवाह वासी कांप उठते हैं। धान और गन्ने की फसल पूरी तरह नष्ट हो गई है। इनको भय है कि अब कहीं आशियाना ही न उजड जाए।
गौरतलब हो कि बरवा सेमरा घाट हरपुर गढ़वा डुमरी रमपुरवा महनवा आदि इलाकों के लोग आज भी आसमान में जब बादलों को देखते हैं तो उनका सीना दहलने लगता है। इनका कहना है कि बाढ़ ने जनजीवन अस्त व्यस्त कर के रख दिया है। तबाही का मंजर छोड़ कर गया है। सब कुछ तो लूट गया जो कुछ भी बचा है कहीं वो भी खत्म ना हो जाए। इनकी पीड़ा उस समय बढ़ जाती है जब अपने माल मवेशियों की ओर देखते हैं। इनका कहना है कि हम तो कहीं से भी व्यवस्था कर खा लेंगे लेकिन इन बेजुबानों का क्या होगा। क्योंकि आज भी खेतों में जलजमाव है तथा मवेशियों के लिए चारा विकट समस्या है। ओने पौने दाम में पशुओं को बेचने पर विवश है।
समाजसेवी अली असगर पूर्व मुखिया शौकत अली मुखिया पति सोनू राय समाजसेवी विनोद कुमार गिरी शेख जुगनू मकबूल मियां मुखिया राम लखन ठाकुर संदीप कुमार गिरी आदि ने प्रशासन से इन समस्याओं की तरफ ध्यान आकृष्ट कराते हुए समस्याओं के निराकरण की मांग की है।