कृषि एवं कृषि से सम्बद्ध क्षेत्रों के विकास एवं लोगों को खुशहाल बनाने की  दिशा में करें तत्परतापूर्वक कार्य: जिलाधिकारी।

कृषि एवं कृषि से सम्बद्ध क्षेत्रों के विकास एवं लोगों को खुशहाल बनाने की दिशा में करें तत्परतापूर्वक कार्य: जिलाधिकारी।

Bihar West Champaran

आनन्दी भूजा, बासमती चावल, मर्चा चूड़ा, शक्कर, गन्ना जूस, मेंथा, लेमन ग्रास, पामा रोजा, आर्टीमिशिया की ब्रांडिंग हेतु आवश्यक कार्रवाई करने का निदेश।

पाॅल्ट्री फाॅर्म, मत्स्य पालन, डेयरी (दूध उत्पादन) को माइक्रोप्लान तैयार कर करें विकसित।

ब्यूरो रिपोर्ट, बेतिया: जिलाधिकारी ने कहा कि पश्चिम चम्पारण कृषि प्रधान जिला है। जिलान्तर्गत सर्वाधिक लोगों की निर्भरता कृषि पर है। कृषि एवं कृषि से सम्बद्ध क्षेत्रों के विकास एवं लोगों को खुशहाल बनाने की दिशा में सभी संबंधित अधिकारी समन्वय स्थापित कर तत्परतापूर्वक आवश्यक करें। इस कार्य में लाॅकडाउन के दौरान जिले में वापस लौटे व्यक्तियों को प्राथमिकता दिया जाय। इसके क्रियान्वयन हेतु जिला कृषि पदाधिकारी अविलंब 20-25 ऊर्जावान कर्मियों के दल का गठन करेंगे।

यह दल अविलंब सर्वें कर कृषि एवं कृषि से सम्बद्ध विभिन्न उत्पादों के संदर्भ में संभावनाओं की तलाश कर शीघ्र प्रतिवेदन उपलबध कराना सुनिश्चित करेगा। जिलाधिकारी कार्यालय प्रकोष्ठ में कृषि, उद्योग, मत्स्य, उद्यान विभागों के कार्य प्रगति की समीक्षा के दौरान अधिकारियों को निदेशित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि जिले में आनन्दी भूजा, बासमती चावल, मर्चा चूड़ा आदि का उत्पादन प्रचूर मात्रा में होता है तथा ये उत्पाद देश-विदेशों में काफी प्रसिद्ध भी है। इन उत्पादों के विकास हेतु सभी को समन्वित प्रयास करना होगा। उन्होंने कहा कि पश्चिम चम्पारण जिला में सर्वाधिक गन्ने की खेती होती है। गन्ने से सिर्फ यहां चीनी का उत्पादन किया जाता है। जरूरत है गन्ने से विभिन्न प्रकार के अन्य उत्पादों को विकसित करना ताकि अन्य लोगों को रोजगार मिल सके तथा उनकी आर्थिक उन्नति हो सके।

उन्होंने कहा कि गन्ना के विभिन्न उत्पदों यथा-जोगिया मिट्ठा (गुड़), शक्कर, गन्ना जूस, प्लेट का निर्माण, फाईबर टू फेब्रिक्स आदि का उत्पादन भी इसी जिले में कर इसकी ब्रांडिंग कैसे की जाय इस हेतु विस्तृत रिपोर्ट अविलंब कार्यकारी विभाग को उपलब्ध करायी जाय। इसके साथ ही हर्बल प्लान्टेशन के क्षेत्र में भी अपार संभावनाएं हैं। बस जरूरत है दृढ़ इच्छाशक्ति की। हर्बल प्लान्टेशन के क्षेत्र में मेंथा, लेमन ग्रास, पामा रोजा, आर्टीमिशिया, भेटेबल आदि के व्यापक उत्पादन की में भी कारगर कार्रवाई करने का निदेश संबंधित अधिकारियों को जिलाधिकारी द्वारा दिया गया। जिलाधिकारी ने कहा कि कृषि एवं कृषि से सम्बद्ध क्षेत्रों के विकास हेतु युवाओं को प्रोत्साहित करने के लिए प्रगतिशील एवं ऊर्जावान व्यक्तियों का लाईन लिस्टिंग किया जाय।

कृषि एवं कृषि सम्बद्ध से जुड़े प्रत्येक विभाग द्वारा “एग्रीस्मिता” नाम से एक व्हाट्सएप ग्रुप बनाया जाय। इस गु्रप में किसानों को जोड़कर उनसे सुझाव एवं फीडबैक भी लिया जाय। उन्होंने जिला कृषि पदाधिकारी, जिला पशुपालन पदाधिकारी, जिला मत्स्य पदाधिकारी, जिला गव्य विकास पदाधिकारी को कृषि एवं कृषि से सम्बद्ध विभिन्न क्षेत्रों यथा-पाॅल्ट्री, मत्स्य पालन, डेयरी (दूध उत्पादन) आदि को आपस में समन्वय स्थापित कर और अधिक विकसित करने का निदेश दिया है। उन्होंने कहा कि जिलान्तर्गत जितने भी पाॅल्ट्री का निर्माण हुआ है उसे जीविका के माध्यम से फंडिंग उपलब्ध करायी जाय। पाॅल्ट्री के साथ ही पाॅल्ट्री फीड का निर्माण, चूजे का उत्पादन एवं उसके दाने के निर्माण हेतु भी कार्रवाई की जाय। जिला मत्स्य पदाधिकारी को मत्स्य पालन के क्षेत्र में जीरा का उत्पादन फिश फीड का उत्पादन एवं मांग के अनुरूप मत्स्य का उत्पादन जिला में ही कर जिला को आत्मनिर्भर बनाने हेतु कार्रवाई का निदेश दिया गया है। साथ ही जिला अंतर्गत जितने भी खेत-पोखर का निर्माण मनरेगा के माध्यम से किया गया है उसकी सूची जिला ग्रामीण विकास अभिकरण से प्राप्त कर उन किसानों को मत्स्य उत्पादन हेतु प्रेरित करने का निदेश भी दिया गया है।

जिला कृषि पदाधिकारी को कृषि संबंध अन्य उत्पाद जैसे दलहन, तेलहन, हल्दी, अदरक, लहसुन, धनिया, मिर्चा, अनेका प्रकार की सब्जियां आदि की आवश्यकता एवं उत्पादन की स्थिति का आकलन कर मांग के अनुरूप उत्पादन के निमित कार्रवाई करने का निदेश जिलाधिकारी द्वारा दिया गया है। साथ ही “मशरूम विलेज” तैयार करने हेतु आवश्यक कार्रवाई करने को कहा गया है। वहीं पपीता उत्पादन, अमरूद उत्पादन, फूल उत्पादन, सिल्क उत्पादन आदि क्षेत्रों के विकास हेतु भी कार्रवाई सुनिश्चित करने का निदेश जिला कृषि पदाधिकारी को दिया गया है। समीक्षा के क्रम में सहायक निदेशक, उद्यान द्वारा बताया गया कि मधुमक्खी पालन हेतु विगत वर्ष में 4500 बाॅक्स मधुपालकों को उपलब्ध कराया जा चुका है। जिलाधिकारी ने निदेश दिया कि मधुमक्खी पालन, प्रोसेसिंग एवं पैकेजिंग को बढ़ावा देने के निमित कार्रवाई की जाय तथा हनीबाॅक्स के निर्माण में लाॅकडाउन के दौरान जिले में वापस लौटे कामगारों/श्रमिकों को रोजगार मुहैया करायी जाय। वरीय उप समाहर्ता, सुश्री मयंक सिंह को निदेश दिया गया कि लाॅकडाउन के दौरान वापस लौटे कामगारों/श्रमिकों द्वारा जिले के कई विद्यालयों में पेंटिंग का कार्य किया जा रहा है। इन पेंटरों का एक ग्रुप बनाकर आवश्यकतानुसार वितीय सहायता उपलब्ध करायी जाय।

जिला अग्रणी प्रबंधक को वापस लौटे कामगारों/श्रमिकों द्वारा ऋण हेतु जितने भी आवेदन समर्पित किये गये हैं उस पर बैंक द्वारा क्या कार्रवाई की गयी है, एक-एक आवेदन के संबंध में लंबित रहने के कारण/त्रुटि अंकित करते हुए 24 घंटे के अंदर प्रतिवेदन समर्पित करने का निदेश जिलाधिकारी द्वारा दिया गया है। जिला शिक्षा पदाधिकारी को विद्यालयों में फर्निचर की आपूर्ति हेतु चिन्हित एजेंसी के माध्यम से वैसे कामगार/श्रमिक जो फर्निचर बनाने में दक्ष हो, उन्हें रोजगार मुहैया कराने का निदेश दिया गया है। जिलाधिकारी ने कहा कि चनपटिया बाजार समिति में निर्माणाधीन कलस्टर में विद्युत सम्पर्क स्थापित करने, रौशनी की व्यवस्था करने, पेयजल एवं शौचालय की व्यवस्था करने, मशीनों तथा अन्य आवश्यक सामग्रियों का इन्स्टाॅलेशन कराने हेतु अविलंब अग्रतर कार्रवाई की जाय। उन्होंने डीडीसी एवं कार्यपालक पदाधिकारी, नगर परिषद, बेतिया को इस कार्य का लगातार अनुश्रवण एवं निरीक्षण करने का निदेश दिया है। इस अवसर पर उप विकास आयुक्त, श्री रवीन्द्र नाथ प्रसाद सिंह, वरीय उप समाहर्ता, सुश्री मयंक सिंह, कार्यपालक पदाधिकारी, नगर परिषद, बेतिया, श्री विजय उपाध्याय, जिला कृषि पदाधिकारी, जिला शिक्षा पदाधिकारी, जिला पशुपालन पदाधिकारी, जिला मत्स्य पदाधिकारी, जिला गव्य विकास पदाधिकारी, सहायक निदेशक, उद्यान, जिला अग्रणी प्रबंधक आदि उपस्थित रहे।

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