बेतिया / सिकटा- स्थानीय प्रखंड में ताबड़तोड़ विकास कार्य का संचालन हो रहा है।लेकिन विकास कार्यो की गुणवत्ता को ताक पर रख कर कार्य को कराया जा रहा है।ऐसे में कार्य कितना बढिया होगा,समझ से परे है।ताजा मामला सिकटा का है।जहाँ रेलवे लाइन के बगल में पीएचईडी विभाग द्वारा वार्ड वार्ड मिनी जलापूर्ति योजना द्वारा पानी टंकी का निर्माण कराया गया है।फिलवक्त वहाँ पर पानी टंकी की घेराबंदी को लेकर चाहरदीवारी का निर्माण कार्य कराया जा रहा है।इसमे संवेदक द्वारा खुल कर प्राक्कलन की धज्जियां उड़ाई जा रही है।
चाहरदीवारी में दो न0 कि ईट और सबसे घटिया किस्म की बालू का प्रयोग कर चाहरदीवारी का निर्माण कराया गया है।लेकिन इसको देखने की फुर्सत किसी भी संबंधित अधिकारी या प्रखंड प्रशासन को नही है।जबकि हैरत की बात यह है कि सभी अधिकारियों के आने जाने का मार्ग यही है और यह कार्य बिल्कुल सड़क के किनारे पर हो रहा है।और घटिया किस्म की बालू और ईट सड़क के किनारे ही गिरा हुआ है।ऐसे में कही न कही अधिकारियों की मौन स्वीकृति भी संवेदक को प्राप्त है, की सरकारी राशि का बंदरबांट करो कोई बात नही है।कमोबेश यही स्थिति सभी जगहों की है।बालू बंद है।
सोंसेन्ड बालू महंगा होने के कारण संवेदक लगाना नही चाहते है।ऐसे में एक ओरिया नदी का बालू ही सरकारी कार्यो के क्रियान्वयन में प्रयोग हो रहा है। वही घटिया सामग्री के साथ निर्माण कार्य को गति दिए जाने के संबंध में पूछे जाने पर पीएचईडी के कार्यपालक पदाधिकारी बालमुकुंद कुमार ने बताया कि निर्माण कार्य मे पीला बालू(सोंसेन्ड) लगाना है।अगर घटिया बालू लगाया जा रहा है तो यह गलत है।इसकी जांच करवा कर कार्यवाई की जाएगी। बहरहाल घटिया सामग्री से निर्माण कार्य कराए जाने पर जब भी किसी अधिकारी से पूछा जाता है तो जवाब मिलता है जांच कर कार्यवाई की जाएगी, अब क्या जांच होता है, समझ से परे है।