साहित्यकार स्वर्गीय किशोरीलाल अंशुमाली प्रथम स्मृति दिवस के अवसर पर उनकी द्वारा लिखी गई दूसरी अनुराग पुस्तक का किया गया विमोचन!

साहित्यकार स्वर्गीय किशोरीलाल अंशुमाली प्रथम स्मृति दिवस के अवसर पर उनकी द्वारा लिखी गई दूसरी अनुराग पुस्तक का किया गया विमोचन!

Bettiah Bihar West Champaran

न्यूज़ ब्यूरो वकीलुर रहमान खान,

बेतिया! स्थानीय महाराजा पुस्तकालय के सभागार में साहित्यिक-सांस्कृतिक संस्था ‘अनुराग’ द्वारा जिले के लोकप्रिय कवि कीर्तिशेष किशोरी लाल ‘अंशुमाली’ के स्मृति दिवस के अवसर पर उनकी दूसरी पुस्तक ‘अपेक्षा’ (काव्य-संग्रह) का विमोचन सह कवि-सम्मेलन का आयोजन महाराजा पुस्तकालय, बेतिया में किया गया। कार्यक्रम के अध्यक्ष पं. व्रतराज दूबे विकल, मुख्य अतिथि डाॅ. परमेश्वर भक्त, विशिष्ट अतिथि अबुल खैर नश्तर, अंजनी कुमार सिन्हा, डाॅ. गोरख प्रसाद ने ‘अपेक्षा’ का विमोचन किया। अपेक्षा पर अपने उद्गार व्यक्त करते हुए मुख्य अतिथि एमजेके काॅलेज के पूर्व हिन्दी विभागाध्यक्ष डाॅ. परमेश्वर भक्त, डाॅ. एसकेएस महिला काॅलेज, मोतिहारी की हिन्दी विभागाध्यक्ष डाॅ. रौशनी कुमारी विश्वकर्मा ने काव्य-संग्रह ‘अपेक्षा’ में छपी रचनाओं की प्रशंसा की एवं इसके सुंदर छपाई व प्रकाशन कराने के लिए अंशुमाली जी के परिवार के इस सफल प्रयास की सराहना की। अंशुमाली के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डालते हुए पं. चतुर्भुज मिश्र, डाॅ. गोरख प्रसाद ‘मस्ताना’, सुरेश गुप्त व गुंजा कुमारी ने उन्हें कर्तव्यनिष्ठ बैंक कर्मी, कर्मचारी यूनियन के सक्रिय सिपाही, विनम्रता, सरलता व सहजता के धनी, सहयोगी प्रवृति से युक्त और अपनी रचनाओं से आज भी लोगों के दिल पर राज करने वाला बताया।

दूसरे सत्र कवि-सम्मेलन में अध्यक्ष पं. व्रतराज दूबे विकल ने पढ़ा कि झहर-झहर झहरावत आवे, झनर-झनर झनकावत आवे…. बरखा बहुरिया। अबुल खैर नश्तर ने कहा कि काम कुछ कीजे खबर में रहिए, हस्रे हाजिर की नजर में रहिए। डाॅ. गोरख प्रसाद मस्ताना ने कहा कि हो गुलाब तो कांटे वाली गज़लें लगे सुनाने क्यों, बादल बनकर आए हो तो आग लगे बरसाने क्यों? डाॅ. जफर इमाम ने कहा कि चाहे जिस हाल में हो दीप जलाया जाए, कोशिशें होती रहे जुल्म मिटाया जाए। अरुण गोपाल ने कहा कि वो दुश्मन से मिलकर गले, जा रहे हैं, कलेजे पे मूंगे दलें जा रहे हैं। प्रो. कमरुज्जमा कमर ने कहा कि मौत पर हक है इसको आना है, कब चली आए क्या ठिकाना है? सुरेश गुप्त ने पढ़ा कि ननकी दियरिया के मनवा में चोर बा, नीचे अन्हरिया बा उपरे अंजोर बा।

संचालन अनुराग के प्रवक्ता डाॅ. जगमोहन कुमार ने एवं धन्यवाद ज्ञापन स्मृतिशेष किशोरी जी के सुपुत्र अजय अंशुमाली ने किया। डाॅ. नसीम अहमद नसीम, मोहन मधुर, अनिल अनल, अखिलेश्वर मिश्र, दीनानाथ द्विवेदी दीन, जगतभूषण राज, अख्तर हुसैन, साजिद शम्स, अवधेश कुमार वर्मा, ललन पाण्डेय लहरी, ज्ञानेश्वर गुंजन, डाॅ. दिवाकर राय, भूपेन्द्र शेष, जयकिशोर जय, श्याम कुमार, चन्द्रिका राम, नवल प्रसाद, अतुल आजाद, प्रशांत सौरभ, पाण्डेय धर्मेन्द्र शर्मा, अभिषेक वाजपेयी, विभांक धर मिश्र, शमी बरनवाल आदि ने अपनी प्रस्तुति से कार्यक्रम को ऊॅंचाई प्रदान की। इस संपूर्ण आयोजन में प्रतिनियोजित पुस्तकालयाध्यक्ष ज्योति प्रकाश, इमरान कुरैशी, देवेन्द्र कुमार व पुस्तकालय टीम का सराहनीय सहयोग प्राप्त हुआ।

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