चंपारण रेंज के शिकारपुर थाना की दरोगा प्रीति कुमारी निगरानी टीम की कार्रवाई में रंगे हाथ गिरफ्तार।
नरकटियागंज से रमेश ठाकुर के सहयोग से बेतिया से वकीलुर रहमान खान की ब्यूरो रिपोर्ट।
नरकटियागंज(पच्छिम चम्पारण)
भ्रष्टाचार के खिलाफ निगरानी विभाग की बड़ी कार्रवाई में बुधवार को शिकारपुर थाना में पदस्थापित 2020 बैच की दरोगा प्रीति कुमारी को उनके सरकारी आवास से रंगे हाथ गिरफ्तार कर लिया गया। इस अप्रत्याशित कदम से न केवल पुलिस महकमे में हड़कंप मच गया है, बल्कि जिलेभर में यह चर्चा का विषय बना हुआ है।
सूत्रों के मुताबिक, दरोगा प्रीति कुमारी के खिलाफ लंबे समय से भ्रष्टाचार और अनियमितताओं की शिकायतें मिल रही थीं। इन्हीं शिकायतों के आधार पर निगरानी विभाग की विशेष टीम ने गुप्त निगरानी शुरू की और कई दिनों तक उनकी दिनचर्या, आने-जाने वाले लोगों और लेन-देन पर बारीकी से नजर रखी।
बुधवार की सुबह अचानक मिली गुप्त सूचना पर टीम ने उनके सरकारी आवास पर छापेमारी की। छापेमारी में विभाग को कई अहम दस्तावेज और साक्ष्य मिले। इसके बाद दरोगा को मौके पर ही हिरासत में लेकर पूछताछ शुरू कर दी गई। विभागीय सूत्रों का कहना है कि पूछताछ के दौरान और भी बड़े खुलासे होने की संभावना है।
गिरफ्तारी की खबर फैलते ही पुलिस महकमे में सनसनी फैल गई। कई पुलिसकर्मी इसे विभाग की साख पर गहरा धक्का मान रहे हैं। वहीं आमजन का कहना है कि यदि आरोप सिद्ध नहीं होते हैं, तो यह जनता के विश्वास के साथ धोखा होगा।
निगरानी विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने मीडिया से कहा—“भ्रष्टाचार के खिलाफ हमारी कार्रवाई लगातार जारी है। चाहे कोई कितना भी प्रभावशाली क्यों न हो, सबूत मिलने पर कानून अपना काम करेगा।”
इस कार्रवाई ने पुलिस विभाग की कार्यप्रणाली और ईमानदारी पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। स्थानीय स्तर पर लोग इसे एक कड़े संदेश के रूप में देख रहे हैं कि अब कोई भी भ्रष्टाचार की आड़ में बच नहीं पाएगा।
ज्ञात हो कि शिकारपुर थाना क्षेत्र में दर्ज कांड संख्या 580/2025 में रेप पीड़िता से अभियुक्तों की गिरफ्तारी के नाम पर 25 हजार रुपये रिश्वत की मांग की गई थी। आरोप है कि दरोगा प्रीति कुमारी ने लाखों रुपये लेकर अभियुक्तों की गिरफ्तारी जानबूझकर टाल दी। नतीजा यह हुआ कि गंभीर आरोपियों को संरक्षण मिला और वे खुलेआम गांव में घूमते रहे, पीड़ित को गालियाँ देते रहे। ये प्रीति कुमारी के एक कारनामे की बानगी है।
यह मामला न केवल पुलिस विभाग की साख पर प्रश्नचिह्न लगा रहा है बल्कि यह भी दर्शाता है कि कैसे भ्रष्टाचार की जड़ें गहरी होकर न्याय व्यवस्था को खोखला कर रही हैं। रिश्वतखोरी, पद का दुरुपयोग, शक्ति का गलत इस्तेमाल और पीड़ितों की पीड़ा के प्रति असंवेदनशीलता—ये सब मिलकर समाज में अविश्वास का माहौल बना रहे हैं। इस पूरे प्रकरण ने साफ कर दिया है कि भ्रष्टाचार केवल एक अपराध नहीं बल्कि आम जनता की उम्मीदों और अधिकारों के साथ सबसे बड़ा विश्वासघात है।