बेतिया: दस केंद्रीय श्रम संगठनों के आह्वान पर राष्ट्रीय हड़ताल के समर्थन में वाम दल सडक पर उतर कर नागरिकता संशोधन कानून रद्द करने, गरीबों को नागरिकता छीनने वाला सीएए और एनआरसी-एनपीआर वापस लेने, संविधान की मौलिक संरचना के साथ हो रहे खिलवाड़ को रोकने,आर्थिक मंदी, बेरोजगारी, महंगाई और राजनीति में सेना का दखल एव सेना का संप्रदायिकरण करने के खिलाफ भाकपा माले, माकपा, भाकपा संयुक्त रूप से सड़क पर उतर कर कर उतर कर कर श्रम कानूनों में संशोधन का खिलाफत किया।
पार्टी के नेताओं ने कहा कि केंद्र की भाजपा सरकार सीएए भारतीय संविधान की मूल संरचना के खिलाफ है, जिसके विरोध में पूरे देश हर जाति धर्म के लोग सड़क पर बड़े-बड़े आंदोलन कर रहे हैं वहीं दूसरी तरफ मोदी साह की सरकार लोकतांत्र को दबाने और कुचलने के लिए बर्बर दमन कर रही है, अभिव्यक्ति की आज़ादी आज संकट में में है नेताओं ने कहा कि काले कारनामों और काले कानून को सही ठहराने के लिए सेना प्रमुख सेवा कर यह सरकार सेना का राजनीतिकरण कर रही है।
देश की साझी संस्कृति विरासत और शहादत को नकार कर मोहन भागवत के इसारे पर चल रहें हैं, जेएनयू पर संघी गुंडों के हमला हमला को कड़ी शब्दों में निंदा करते हुए कहा की नकाबपोस को गिरफ्तार करने की मांग की, नेताओं ने कहा कि आज पूरे देश भाजपा सरकार के खिलाफ लाखों लाख लोग मजदूर किसान कर्मचारी सभी सड़क पर करके करके सरकार का विरोध कर रहे हैं।
लेकिन यह सरकार हर विरोध की आवाज को दबाने की कोशिश कर रही है नेताओं ने कहा कि यह सरकार जिस तरह जनविरोधी कदम उठा रही है उससे यह सरकार 5 साल तक नहीं चल सकेगी,
भाकपा माले केन्द्रीय कमिटी सदस्य विरेन्द्र गुप्ता, माकपा जिला मंत्री प्रभु राज नारायण राव राव भाकपा भाजपा जिला मंत्री ओमप्रकाश क्रांति आदि नेताओं ने नेतृत्व किया।