पूर्वी चंपारण/घोड़ासहन: भारतीय लोकतंत्र में अगर पत्रकार को सच दिखाने की आजादी नही है तो मीडिया को लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ कहना बेमानी होगी, न्यूज़ 0 किलोमीटर चैनल के पत्रकार महंत सीके प्रसाद पर जानलेवा हमला तब हुआ जब वो अपने घर से बनकटवा प्रखंड स्थित बड़ैला गांव में पुलिस और पब्लिक में हुए पथराव का रिपोर्टिंग सच की पड़ताल कवरेज करने जा रहे थे।
यह घटना बरवाखुर्द गांव में स्कूल के आगे हुआ अपराधियों द्वारा श्री प्रसाद की जमकर पिटाई की गई और इनको मृत अवस्था में सड़क किनारे छोड़कर इनकी स्कूटी DL 5 SCE 5603 को छीन लिया गया, जिसको लेकर पत्रकार श्री प्रसाद ने एफआईआर करने के लिए कुण्डवा चैनपुर थाने आवेदन भी दिया लेकिन थाना प्रभारी द्वारा 41 दिन बीत जाने के बाद भी एफआईआर दर्ज नही किया गया। और बिना एफआईआर के ही स्कूटी बरामद कर ली गई।
लेकिन एफ आई आर दर्ज न करने को लेकर सवाल यह उठता है कि अपराधियो के साथ थाना प्रभारी की संलिप्ता तो नहीं है, अगर अपराधी इनके संरक्षण में नही है तो एफआईआर क्यों नही की गई ?
उक्त बातें पत्रकार श्री प्रसाद द्वारा जिला अधिकारी को दिये गये आवेदन में बताई गयी है। पत्रकार श्री प्रसाद का कसूर सिर्फ यह था कि वो कुण्डवा चैनपुर कांड संख्या 21/21 का अपने चैनल द्वारा माफियाओं के झूठ व उनकी कला करतूत का पर्दाफाश किया था। उन माफियाओ को थाना प्रभारी द्वारा संरक्षण देने के वजह से महीनों बीत जाने के बाद भी एफआईआर दर्ज नही किया गया। पत्रकार के परिजन डीएम से लेकर एसीपी तक न्याय की गुहार लगा रहा है।