खाद के लिए हाहाकार: बगहा में किसानों ने थामा आंदोलन का झंडा

खाद के लिए हाहाकार: बगहा में किसानों ने थामा आंदोलन का झंडा

Bettiah Bihar West Champaran

खाद के लिए हाहाकार: बगहा में किसानों ने थामा आंदोलन का झंडा

बगहा से रमेश ठाकुर के सहयोग से बेतिया से वकीलुर रहमान खान की‌ ब्यूरो रिपोर्ट।

बगहा(पच्छिम चम्पारण)

बगहा के किसानों का सब्र आखिरकार जवाब दे गया। महीनों से यूरिया की किल्लत और कालाबाज़ारी से जूझ रहे किसानों ने शुक्रवार को बगावत का बिगुल फूंक दिया। उग्र किसानों ने सैकड़ों की संख्या में इकट्ठा होकर बाल्मीकि नगर-लौरिया मुख्य मार्ग (एनएच-727) को बगहा अनुमंडल कार्यालय के ठीक सामने जाम कर दिया, जिससे घंटों तक यातायात पूरी तरह ठप रहा।

गुस्से से लाल किसानों का कहना था कि यूरिया की किल्लत अब बर्दाश्त से बाहर हो चुकी है। खेत सूख रहे हैं, फसलें बर्बादी के कगार पर हैं और गोदामों से चुपचाप कालाबाज़ारी हो रही है। वहीं, सरकार सिर्फ़ कागज़ी दावे कर रही है।प्रदर्शनकारी किसानों ने प्रशासन और सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाज़ी की। जाम की वजह से स्कूली वाहन, एंबुलेंस और यात्रियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा।

प्रशासनिक अमला मौके पर पहुंचकर किसानों को समझाने-बुझाने में जुटा रहा। एसडीओ, डीएसपी से लेकर कृषि विभाग के अधिकारी तक किसानों को शांत कराने की कोशिश करते रहे, लेकिन आक्रोशित किसानों का कहना था कि “अब बात आश्वासनों से नहीं बनेगी, गोदामों से यूरिया निकलवाओ!”

प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया कि बगहा अनुमंडल क्षेत्र में यूरिया खुलेआम कालाबाज़ारी हो रही है। लाइसेंसी दुकानों पर यूरिया गायब है, लेकिन ‘खास लोगों’ को रातोंरात बोरी भर-भर कर खाद मिल रही है।

इस पूरे घटनाक्रम ने स्थानीय प्रशासन के साथ-साथ सरकार की कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। किसान संगठन चेतावनी दे चुके हैं कि यदि 48 घंटे के भीतर यूरिया की आपूर्ति सामान्य नहीं की गई, तो आंदोलन और तेज़ होगा।

अब देखना यह है कि सरकार और प्रशासन किसानों की इस हठधर्मी लड़ाई के आगे कितने संवेदनशील होते हैं, या फिर यह आंदोलन एक बड़े किसान उभार की दस्तक बनकर उभरेगा।

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