माइक्रो फायनांस कम्पनियों द्वारा दिए गए कर्जों से भी महिलाओं को मुक्त करने का आदेश दे सरकार।
जरूरत के मुताबिक सरकार इन कम्पनियों को राहत दे या भुगतान करे-ऐक्टू।
हर समूह को उसकी क्षमता के अनुसार या कलस्टर बनाकर रोजगार का साधन उपलब्ध कराया जाऐ नितीश कुमार-स्वयं सहायता समूह संघर्ष समिति।
ब्यूरो रिपोर्ट, बेतिया,24 जून 2020 स्वयं सहायता समूह की महिलाओं ने जो समूह से लोन लिया है वह कोरोना महामारी के इस दौर में देने की स्थिति में नहीं है, उसे सरकार द्वारा माफ करने की मांग को लेकर राज्यस्तरीय कार्यक्रम के तहत अखिल भारतीय प्रगतिशील महिला एसोसिएशन ( ऐपवा ) ने चनपटिया, मैनाटांड़, सिकटा, मझौलिया, बैरिया, मधुबनी आदि प्रखण्ड पदाधिकारीयों के समक्ष प्रदर्शन कर मांग पत्र सौपा,
प्रदर्शन को भ ने संबोधित करते हुए भाकपा-माले नेताओं ने कहा कि कोरोना महामारी और इसके कारण हुए लॉकडाउन ने पूरे समाज को अस्त-व्यस्त कर दिया है।
गरीब महिलाएं और छोटे रोजगार करनेवाली महिलाएं भयानक आर्थिक संकट झेल रही हैं. क्रमिक अनलॉक के बाद भी यह संकट लम्बे समय तक बना रहनेवाला है .ऐसे समय में जरूरी है कि स्वयं सहायता समूह से जुड़ी महिलाओं को राहत दी जाएगा, आगें कहा कि अखबारों की खबरों के मुताबिक सरकार ने एक वर्ष तक लोन की किस्त जमा नहीं करने की छूट दी है लेकिन एक वर्ष के बाद भी इन महिलाओं के लिए लोन चुकाना संभव नहीं है इसलिए समूह के जरिए महिलाओं ने जो लोन लिया है उसे सरकार माफ कर दे . वर्तमान समय में अनलॉक शुरू होते ही लोन वसूली के लिए समूहों पर दबाव बनाया जा रहा है .प्राइवेट फायनांस कम्पनियों और बैंकों के द्वारा महिलाओं को किस्त जमा करने के लिए दबाव बनाया जा रहा है।
अंत में सभी प्रखण्डो में प्रतिनिधि मंडल के सदस्यों ने प्रखण्ड विकास पदाधिकारी को 6 सुत्री मांग पत्र सौपा , इस मौके पर रामप्रताप पासवान, गुडू मिश्रा,नीति देवी, सुकनी देवी, माया देवी सीताराम राम, इद्रदेव कुशवाहा, अच्छे लाल राम,संगीता देवी, इंदू देवी चिंता देवी रविन्द्र कुमार रवि, रिखी साह, नविन हुसैन, रविना खातून, गीता देवी,आदि लोग उपस्थित थे
मांग निम्नलिखित प्रकार हैं
1.स्वयं सहायता समूह में शामिल महिलाओं का कर्ज माफ किया जाए .
2 . माइक्रो फायनांस कम्पनियों द्वारा दिए गए कर्जों से भी महिलाओं को मुक्त करने का आदेश सरकार इन कम्पनियों को दे . जरूरत के मुताबिक सरकार इन कम्पनियों को राहत दे या भुगतान करे .
3. हर समूह को उसकी क्षमता के अनुसार या कलस्टर बनाकर रोजगार का साधन उपलब्ध कराया जाए .
4. एस०एच०जी०(स्वयं सहायता समूह – सेल्फ हेल्प ग्रुप) के उत्पादों की खरीद सुनिश्चित की जाए . सरकार खुद खरीदे .
5. स्वयं सहायता समूहों को दिए जाने वाले ऋण को ब्याज मुक्त ऋण बनाया जाए .
6. जीविका कार्यकर्ताओं को न्यूनतम 15 हजार रुपए मासिक मानदेय दिया जाए।