जेई/एईएस की रोकथाम हेतु की जा रही तैयारियों की हुई समीक्षा।
जेई/एईएस की रोकथाम हेतु “क्या करें-क्या नहीं करें” का व्यापक प्रचार-प्रसार कराने का निदेश।
01 मार्च तक कंट्रोल रूम फंक्शनल कराने का निदेश।
चमकी बुखार का लक्षण आने पर घबड़ाएं नहीं, तुरंत सेविका-सहायिका, आशा, एएनएम को करें सूचित अथवा नजदीकी पीएचसी से करें संपर्क।
बेतिया न्यूज़ ब्यूरो अकीलुर रहमान खान
पश्चिमी चंपारण के जिलाधिकारी ने कहा कि जेई/एईएस (मस्तिष्क ज्वर-चमकी बुखार) की रोकथाम हेतु सभी व्यवस्थाएं अपडेट रखी जाय। सभी पीएचसी को अलर्ट मोड में रखा जाय ताकि किसी भी विषम परिस्थिति में बच्चों की जान बचाई जा सके। उन्होंने कहा कि प्रत्येक बच्चा अनमोल है, एक-एक बच्चे का ख्याल रखना अतिआवश्यक है।
जिलाधिकारी ने कहा कि जिले के सभी पीएचसी में जेई/एईएस से बचाव हेतु सभी आवश्यक दवाएं पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध कराना सुनिश्चित किया जाय। आवश्यक दवाओं के साथ-साथ पैरासिटामोल, ओआरएस, विटामिन ए सहित ग्लूकोज भी पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध करायें।
उन्होंने कहा कि ड्यूटी रोस्टर बनाकर डाॅक्टरों सहित अन्य कर्मियों की शत-प्रतिशत उपस्थिति सुनिश्चित किया जाय। साथ ही कंट्रोल रूम के माध्यम से उपस्थिति की जांच सुनिश्चित किया जाय। सिविल सर्जन एवं जिला मलेरिया पदाधिकारी स्वयं सभी कार्यों का नियमित अनुश्रवण एवं निरीक्षण करते रहेंगे।
उन्होंने कहा कि आशा कार्यकर्ता, सेविका-सहायिका, एएनएम, जीविका दीदी आदि को पुनः शिड्यूल बनाकर समुचित तरीके से प्रशिक्षित किया जाय ताकि जेई/एईएस की रोकथाम में कोई परेशानी उत्पन्न नहीं हो तथा पीड़ित बच्चों का प्राथमिक इलाज समुचित ढंग से किया जा सके। साथ ही सभी पीएचसी के डाॅक्टरों को भी पुनः प्रशिक्षित करने का निदेश जिलाधिकारी द्वारा दिया गया है। जीविका दीदियां महिलाओं को जेई/एईएस की रोकथाम हेतु क्या करें-क्या नहीं करें को पढ़कर सुनाएंगी। वहीं आंगनबाड़ी सेविका-सहायिका भी केन्द्रों पर बच्चों, महिलाओं को पढ़कर अनिवार्य रूप से सुनाएंगी। स्कूलों में चेतना सत्र के दौरान भी बच्चों को पढ़कर सुनाने का निदेश दिया गया है।
सिविल सर्जन को निदेश दिया गया कि जेई/एईएस की रोकथाम हेतु स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी गाइडलाइन का व्यापक स्तर पर बुकलेट, पम्फलेट, दीवाल लेखन, नुक्कड़ नाटक, फ्लेक्स, चैपाल आदि के माध्यम से प्रचार-प्रसार कराना सुनिश्चित किया जाय। साथ ही हाउस-टू-हाउस सर्वे भी करायी जाय और अभिभावकों को जागरूक किया जाय।
जिलाधिकारी ने कहा कि जेई/एईएस संबंधित मामलों के त्वरित निष्पादन हेतु जिलास्तर पर एक कंट्रोल रूम अनिवार्य रूप से 01 मार्च को फंक्शनल कर दिया जाय। राज्यस्तर पर बनाये गये व्हाट्सएप ग्रुप पर दी जा रही जानकारियों, सूचनाओं एवं दिशा-निर्देश का शत-प्रतिशत अनुपालन सुनिश्चित किया जाय।
उन्होंने कहा कि पीड़ित बच्चों को ईलाज हेतु एंबुलेंस की समुचित व्यवस्था कराना सुनिश्चित किया जाय। साथ ही गांव-पंचायतों से पीड़ित बच्चों को स्वास्थ्य केन्द्र पर लाने हेतु वाहनों की टैगिंग अविलंब सुनिश्चित किया जाय। उन्होंने कहा कि हर हाल में पीड़ित बच्चों को स्वास्थ्य केन्द्र पहुंचाया जाना है, इस कार्य में किसी भी प्रकार की लापरवाही, कोताही, शिथिलता बर्दाश्त नहीं की जायेगी।
जिलाधिकारी ने कहा कि जेई/एईएस से संबंधित भ्रामक खबरों पर निगाह रखी जाय तथा ऐसे खबरों का तुरंत खंडन किया जाय। साथ ही सोशल मीडिया पर ऐसे भ्रामक खबरों पर निगाह रखी जाय। उन्होंने कहा कि आमजन तक जेई/एईएस की रोकथाम हेतु उपायों को पहुंचाने हेतु मीडिया एक सशक्त माध्यम है। मीडिया प्रतिनिधियों को जेई/एईएस की रोकथाम में सहयोग करने एवं इसके रोकथाम के उपायों को व्यापक स्तर पर प्रचारित-प्रसारित कराने को कहा गया है।
सिविल सर्जन द्वारा बताया गया कि जेई/एईएस की रोकथाम हेतु स्वास्थ्य विभाग द्वारा सारी व्यवस्थाएं चुस्त-दुरूस्त रखी गयी है। निदेशानुसार जिले के सभी सरकारी स्वास्थ्य केन्द्रों का पुनः समीक्षा एवं निरीक्षण कराया जायेगा। उन्होंने बताया कि जिले के सभी पीएचसी में दो-दो बेड जेई/एईएस के लिए सुरक्षित रखा गया है। सभी तरह की आवश्यक दवाएं एवं अन्य चिकित्सीय व्यवस्था अपडेट करा दी जायेगी। उन्होंने बताया कि नियमित रूप से टीकाकरण अभियान एवं विटामिन-ए की खुराक बच्चों को दिलायी जा रही है।
उन्होंने बताया कि नरकटियागंज अनुमंडलीय अस्पताल में पीकू (शिशु गहन चिकित्सा इकाई) वार्ड फंक्शनल है। यहां पर 10 बेड की व्यवस्था माॅनिटर के साथ की गयी है। साथ ही 05 बेड वेंटिलेटर से लैश है। उन्होंने बताया कि सभी डाॅक्टरों को निदेश दिया गया है कि ट्रिटमेंट प्रोटोकाॅल का शत-प्रतिशत अनुपालन सुनिश्चित किया जाय। बिना ट्रिटमेंट प्रोटोकाॅल के रेफर नहीं किया जाय।
सिविल सर्जन ने कहा है कि अभिभावक अपने-अपने बच्चों को रात में बिना खाना खिलाएं नहीं साने दें। अगर कोई बच्चा शाम के समय में खाना खाया है और सो गया है तो उसे भी रात में जगाकर अवश्य खाना खिलाएं। इसके साथ ही बच्चों को रात में सोते समय अनिवार्य रूप से मीठा सामग्री यथा-गुड़, शक्कर, चीनी आदि खिलाएं। उन्होंने कहा कि चमकी बुखार अधिकांशतः रात के 02 बजे से 04 बजे के बीच अक्रामक रूप लेता है, इस समय सभी अभिभावकों को सचेत रहने की आवश्यकता है। अगर चमकी के साथ तेज बुखार हो तो तुरंत क्षेत्र के एएनएम, आशा कार्यकर्ता अथवा आंगनबाड़ी सेविका-सहायिका को सूचित करें। इनके माध्यम से आवश्यक दवाएं तथा प्राथमिक उपचार की जायेगी तथा नजदीकी पीएचसी में ले जाकर समुचित उपचार किया जायेगा।
इस अवसर पर सिविल सर्जन, डाॅ0 अरूण कुमार सिन्हा, जिला मलेरिया पदाधिकारी, डाॅ0 दिवाकर प्रसाद सहित अन्य अधिकारी उपस्थित रहे।