सिकटा संवाददाता अमर कुमार की रिपोर्ट!
सिकटा ( पश्चिमी चंपारण) अब मनरेगा द्वारा क्रियान्वयन की गई योजनाओं में गडबडी नही चलेगी। इसके प्रति राष्ट्रीय विकास मंत्रालय सख्त तेवर में है। मनरेगा योजना में पूर्व से मजदूरों के जगह मशिनों से काम कराया जाता था। वही मजदूरों का नाम मास्टर रौल में भर कर भुगतान करा लिया जाता था। यह अब नही चलेगा। वास्तव में इस योजना को मजदूरों के पलायन रोकने को लेकर सरकार ने लायी थी। लेकिन यह अपने मुख्य मार्ग से भटक गया है।
राष्ट्रीय विकास मंत्रालय ने बीस से अधिक मजदूरों के काम रहे कार्यों का फोटो प्रति दिन दो बार अपलोड करने का प्राविधान किया है। 12 मार्च की वीसी का हवाला देते हुये मनरेगा के प्रदेश आयुक्त सीपी खाण्डुजा ने सभी जिला को इससे अवगत कराया है। प्रति दिन बीस से अधिक काम करते मजदूरों का फोटो दो बार नेशनल मोबाईल मोनिटरिंग सिस्टम एप पर अपलोड करने होंगे। इसे एक अप्रैल से सख्ती के साथ लागू किया गया है।
हलांकि यह प्राविधान पहले से है। लेकिन इसका अनुपालन नही किया जा रहा था। इस पर राष्ट्रीय विकास मंत्रालय ने खेद जताते हुयें हरहाल में एक अप्रैल से उपयोग में लाने का हिदायत दिया है। पहला फोटो दिन ग्यारह बजे फिर दूसरा दोपहर दो से पांच बजे के बीच का होना चाहिए। इसका अनुपालन नही करने पर कार्रवाई करने का प्राविधान किया गया है।
बीस से कम मजदूरों के काम करने की स्थिति में भुगतान बाधित होगा की नही पर प्रखंड कार्यक्रम पदाधिकारी डा भागीरथ प्रसाद ने कहा कि नेटवर्क की गड़बड़ी को लेकर एनएमएमएस एप पर मजदूरों का फोटो अपलोड होने में कठिनाई हो रही है। वही बीस से कम मजदूरों के काम के भुगतान पर स्पष्ट कोई निर्देश सरकार से प्राप्त नही है। विभागीय स्तर पर मांग की गई है।हालांकि प्रशासनिक इस पहल पर फर्जी और मजदूर की जगह मशीन से काम करा रहे लोगो मे हड़कंप मचा हुआ है।