नई दिल्ली: पिछले दिनों लॉक डाउन में फंसे बेबस प्रवासी श्रमिक मजदूर ने पैदल अपने घर की ओर निकले पड़े थे की, इन्हीं लोगों के बीच एक ऐसा मामला भी सामने आया जो फिल्मी लव स्टोरी की तरह है।
सीतामढ़ी बिहार का रहने वाला सलमान दिल्ली में उर्दू टाइपिंग का काम के अलावा चाय भी बेचता है, लॉक डाउन के दौरान काम धंधा बंद होने से हुए पैसे की तंगी से हुआ परेसान और इस बिच मकान मालिक ने किराया के लिए दबाव देने लगा जिसके कारण 18 मई को सलमान दिल्ली से अपने घर सीतामढ़ी के लिए पैदल परिवार के संग चल दिया। परिवार के संग बिहार के लिए निकल पड़े रास्ते में उसके अब्बा के एक मित्र का परिवार का भी साथ मिल गया, और वह भी दिल्ली के ओखला में ही मजदूरी करते थे और उनके परिवार में 12वीं पास शहनाज नाम की एक लड़की भी साथ ही सफर कर रही थी,
दोनों परिवार मिल हमसफर की तरह रास्ते में साथ रुकते खाना खाते और आराम करते और सफर में चलते-चलते शहनाज को सलमान के प्रति प्यार पनपने लगी मथुरा के बाद जब आगरा आया दोनों परिवार एक साथ रुके तो शहनाज ने सलमान से पूछा कि हम कौन शहर आ गए हैं, तो सलमान ने कहा यह ताजमहल का शहर आगरा है तो फिर शाहनाज ने बोला ताज महल के बारे में कुछ बताओगे की यह महल क्यों बनवाई गई सलमान ने कहाँ यह महल शाहजहाँ की प्यार मोमतज की निशानी है शहनाज ने कहाँ क्या तुम मुझे ताजमहल दिखाओगे तभी सलमान को प्यार का एहसास हुआ।
तो फिर क्या हुआ दोनों परिवारो ने कानपुर पहुंचने से पहले ही आपस में बात चित करना बंद कर दिया, दोनों अब्बा के बीच भी बातचीत बंद हो चुकी थी कानपुर पहुंचकर शहनाज के अब्बा ने कहा कि मैं सब देख रहा हूं की तुम्हारा बेटा क्या हरकत कर रहा है यही बात सलमान की अब्बा ने भी शहनाज की अब्बा से कही गलती तुम्हारी बेटी की है फिर कानपुर से दोनों के घरवालों में तकरार शुरू हो गई।
दोनों परिवार जब गोरखपुर पहुंचे तो सलमान और शहनाज के बीच बीच बातचीत हुई तो दोनों ने फैसला किया कि वह अपने घर नहीं जाएंगे सलमान के अब्बा ने कहा कि अब हम साथ नहीं चलेंगे, लेकिन सलमान ने कहा कि साथ चलने से क्या फर्क पड़ेगा अब्बा ने सलमान को डाट दिया तो सलमान ने साफ कह दिया कि जब तक हम दोनों का निकाह नहीं होगा तब तक अपने घर सीतामढ़ी नहीं जाऊंगा,
तो वही शहनाज ने भी अपने अब्बा के संग जाने से इंकार कर दिया सलमान और शहनाज की बात सुनकर दोनों के परिवार वाले गुस्से में आ गए।
तभी लंगर वाले भी वहां पहुंच गए और दोनों मुस्लिम समुदाय से ही थे तो गांव वालों ने भी उनकी शादी के लिए हामी भर दी, रात को 8:00 बजे गांव वालों ने एक हाफिज को बुलाकर दोनों का निकाह करवा दिया।
निकाह के अगले दिन गांव वालों ने सलमान और शहनाज को दोनों को कपड़े और पैसे देकर विदा किया और कहां की शहनाज आज हमारे गांव की बेटी है।
शाहनाज को गांव के कई लोगो ने अपना नंबर दिया और बोला घर पहुंचने के बाद फोन करना दोनों परिवार में से कोई भी निकाह को मानने से इनकार करे तो हम सब तुम्हें न्याय दिलाने में मदद करेंगे।