भोजपुरी बाल कविता संग्रह अटकन – चटकन का हुआ विमोचन, मातृभाषा के संरक्षण में बाल साहित्य का अहम योगदान।

भोजपुरी बाल कविता संग्रह अटकन – चटकन का हुआ विमोचन, मातृभाषा के संरक्षण में बाल साहित्य का अहम योगदान।

West Champaran

रिपोर्ट वकीलुर रहमान खान, बाल साहित्य चरित्र निर्माण में सहायक होता है, भुमण्डलीकरण के इस दौर में मातृभाषा में बाल साहित्य अपनी पहचान सुनिश्चित रखने का नाम है।

पश्चमी चम्पारन साहित्य संस्थान, बेतिया के तत्वावधान में रविवार को एम.जे.के. कॉलेज के कॉन्फ्रेंस हॉल में भोजपुरी, हिन्दी के युवा साहित्यकार जलज कुमार अनुपम के भोजपुरी बाल कविता संग्रह ‘अटकन चटकन’ का विमोचन कार्यक्रम के अतिथि जिला अल्पसंख्यक कल्याण पदाधिकारी सह ओएसडी बैद्यनाथ प्रसाद, एल.एस. कॉलेज, मुजफ्फरपुर के भोजपुरी विभागाध्यक्ष डाॅ. जयकान्त सिंह जय, आधुनिक भोजपुरी साहित्य के निर्माण मे अहम योगदान देने वाले।

वरिष्ठ साहित्यकार डाॅ. ब्रजभूषण मिश्र, डाॅ. रवीन्द्र शाहाबदी, कॉलेज के प्रभारी प्राचार्य प्रो. (डाॅ.) सुरेन्द्र प्रसाद केसरी, पं. व्रतराज दूबे विकल, डॉ. परमेश्वर भक्त, वरिष्ठ साहित्यकार साकेत बिहारी शर्मा ‘मन्त्रमुदित’ पं. चतुर्भुज मिश्र के द्वारा किया गया।

अपनी पुस्तक पर बोलते हुए जलज कुमार अनुपम ने कहा कि शहर में अगर गाँव, अपनी सभ्यता और अपनी संस्कृति को जिन्दा रखने का काम मातृभाषा करती है और मातृभाषा के संरक्षण मे बाल साहित्य की अहम भूमिका है। डाॅ. ब्रजभूषण मिश्र, डॉ. जयकांत सिंह जय, डॉ. रवीन्द्र शाहाबादी ने कहा कि भोजपुरी साहित्य में ऊपर-ऊपर लम्हर काम भईल। जड. से जोड़े के काम कम भईल, ना भईल। भोजपुरी में वाचिक परंपरा के प्रस्तुतिकरण आ प्रकाशन के आवश्यकता बा।

इस अवसर पर डॉ. गोरख प्र. मस्ताना, डॉ. जफर इमाम, सुरेश गुप्त, जयकिशोर जय, युवा शायर गुलरेज शहजाद, जिया हसन, अरुण गोपाल, अवधेश वर्मा  सहित सैकड़ों लोग उपस्थित थे।

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