शहीद स्मारक पर सभा तथा सोवा बाबू चौक पर मोदी का पुतला फूंका।
देश की जनता कोरोना से लड़ रही है और मोदी सरकार ने जनता के खिलाफ ही मोर्चा खोल दिया है।
*ब्यूरो रिपोर्ट, वकीलुर रहमान खान, बेतिया: कई महीनों की तालाबंदी के बाद उन्हें राहत देने की बजाय सरकार उनकी रोजी-रोटी को तबाह करने के रास्ते पर चल रही है. कोरोना की आड़ में सत्यानाशी फतवे जारी किए हैं, लोकतंत्र का गला घोंटा जा रहा है और जनता के बीच धर्म के नाम पर फूट डाली जा रही है । आज युवाओं के लिए रोजगार के अवसर पैदा करने के लिए सार्वजनिक निवेश को बढ़ाया जाता , परंतु मोदी सरकार इसके विपरीत जाकर काम कर रही है।
आपदा में घोषित इमरजेंसी जैसा शासन लागू किया जा रहा है देश-विदेश के बड़े पूंजीपतियों के हित में देश के तमाम संसदीय एवं संवैधानिक नियमों को ताक पर रख आदेशों और अध्यादेश के जरिए कानूनों में बदलाव किए जा रहे हैं । डेढ़ सौ सालों के संघर्षों के बल पर अर्जित किए गए श्रम कानूनों को रद्द करके श्रमिकों के लिए गुलाम व्यवस्था लागू की जा रही है । कमाल की बात यह है कि मोदी सरकार नारा तो आत्मनिर्भरता,राष्ट्रवाद व देशभक्ति के दे रहे हैं और काम बिल्कुल उल्टे कर रहे हैं।
जो तीन सत्यानाशी अध्यादेश (हुक्मनामे) जारी किए गए हैं उनमें जो पहला है उससे फसलों की सरकारी खरीद चैपट हो जाएगी और प्राइवेट कंपनियों को मनमर्जी के दामों पर कृषि उत्पाद खरीदने की छूट मिल गई है ।दूसरे हुक्मनामे से बड़ी कंपनियों को हजारों- लाखों एकड़ जमीन ठेके पर लेने की इजाजत दी गई है । इसके अनुसार किसानों से लिखित इकरार होगा और रेट वगैरा को लेकर कंपनी के मुकर जाने पर किसान अदालत में नहीं जा सकेंगे ।
तीसरे अध्यादेश में जमाखोरी करने पर अब तक जो रोक लगी थी वह अब हट गई है ।इससे बड़े व्यापारी और कंपनी अनाज ,सब्जी ,फल वगैरा सस्ते रेट पर खरीदकर गोदामों में रखेंगे और चीजों की फर्जी कमी पैदा करके मनमर्जी के रेटों पर बेचते हुए कालाबाजारी करेंगे जिसकी उन्हें अब छूट मिल गई है।
इन खतरनाक कदमों का असर यह होगा कि कारपोरेट कंपनियां जहां पहले ही बीज ,दवाई ,खाद ,औजार आदि अपने हाथों में ले चुके हैं वह पूरे कृषि क्षेत्र पर छा जाएंगे किसान व खेत मजदूर की खुली लूट होगी और देश में खाद्य सुरक्षा और सार्वजनिक वितरण प्रणाली चैपट हो जाएगी !
इस स्थिति में किसान सभा ,खेत मजदूर यूनियन और सीटू ने आहवान पर 9 अगस्त को कारपोरेट कृषि छोड़ो एवम मजदूरों को राहत दो के नारे के साथ पश्चिम चम्पारण जिला केंद्र पर जेल भरो आंदोलन चलाया गया ।
कोरोना संक्रमण से बचाव के सभी उपाय करते हुए इस विरोध कार्यवाहियों में शामिल हुए ।
मांगें
● सभी के लिए मुफ्त चिकित्सा व स्वास्थ्य व्यवस्था सुनिश्चित करो ।
●कृषि उत्पाद व्यापार ,कंपनी द्वारा ठेके पर खेती और आवश्यक वस्तु अधिनियम में संशोधन संबंधी घातक अध्यादेश को अविलंब रद्द करो।
● श्रम कानूनों में किए गए बदलाव को वापस लो एवं बिजली महंगी करने वाला संशोधन प्रस्ताव वापस लो ।
● पेट्रोल , डीजल तथा गैस के दामों में की गई बढ़ोतरी वापस करने के लिए उत्पाद शुल्क में कमी करो ।
गन्ना का बकाए पैसे का शीघ्र भुगतान ब्याज सहित किया जाय।
● जिनके रोजगार चले गए उनके लिए रोजगार के प्रबंध करो और नौकरियों का बड़े पैमाने पर विस्तार करो ।
●आयकर सीमा से बाहर सभी परिवारों को 6 महीने के लिए 7500 प्रति माह आर्थिक सहायता और 10 किलो अनाज प्रति व्यक्ति मुफ्त में दिया जाए।
● मनरेगा का काम 200 दिन करके 600 रुपये मजदूरी गांव व शहरों दोनों जगहों पर दिया जाय।
पश्चिम चम्पारण को बाढ़ ग्रस्त घोषित किया जाय ।
प्रदर्शन शहीद स्मारक पहुंच कर 1942 क्रांति दिवस के शहीदों को माल्यार्पण किया गया तथा 9 अगस्त क्रांति दिवस के औचित्य पर किसान संघर्ष समन्वय समिति के जिला संयोजक तथा किसान सभा के बिहार राज्य संयुक्त सचिव प्रभुराज नारायण राव , जिला किसान कौंसिल के मंत्री चांदसी प्रसाद यादव , खेतिहर मजदूर यूनियन के जिला मंत्री प्रभुनाथ गुप्ता , सीटू के जिला अध्यक्ष बी के नरुला , सचिव शंकर कुमार राव , राज्य कमिटी सदस्य नीरज बरनवाल , डी वाई एफ आई के जिला मंत्री म. हनीफ , किसान सभा के जिला सचिव राधामोहन यादव , खेत मजदूर यूनियन के सचिव सुबोध मुखिया , बबलू दुबे , अवध बिहारी , जगरनाथ यादव , सुनील यादव , महफूज आदि ने प्रकाश डाला । उसके बाद प्रधानमंत्री मोदी का पुतला सोवा बाबू चौक पर जलाया गया।