पताही प्रखंड से आया दुःख भरी खबर, मतदानकर्मी की मौत हृदय गति रुकने से हो गयी।

पताही प्रखंड से आया दुःख भरी खबर, मतदानकर्मी की मौत हृदय गति रुकने से हो गयी।

Bihar Motihari

नवीन सिंह कुशवाहा, मोतिहारी

पताही प्रखण्ड के बूथ संख्या 159 के मतदानकर्मी रोहतास जिले के रहने वाले 56 वर्षीय बंसीधर राम की हृदय गति रुकने से अहले सुबह हुई मौत,वह रोहतास में जिला कृषि कार्यालय में क्लर्क के पद पर स्थापित थे।

बिहार में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में प्रतिनियुक्त कर्मचारियों, पदाधिकारियों की जिस प्रकार दुर्घटना, हिंसा, नक्सली हिंसा में स्वजनों के लिए मुआवजे के प्रविधान किए गए हैं, वैसी ही व्यवस्था निर्वाचित होने वाले उम्मीदवारों के लिए की गई है। यदि चुनाव जीतने के बाद से लेकर उनके कार्यकाल के दौरान किसी प्रतिनिधि की मृत्यु होती है तो सरकार उनके आश्रितों को भी मुआवजा देगी। राज्य निर्वाचन आयोग ने इस संबंध में नए सिरे से आदेश जारी कर दिए हैं। पंचायत के निर्वाचित प्रतिनिधियों की मृत्यु की स्थिति में राशि स्वीकृति का अधिकार सरकार ने जिलाधिकारी को दिया है। गौरतलब है कि इससे पहले भी कार्यकाल के दौरान पंचायत प्रतिनिधि के निधन पर सरकार ने मुआवजे का भुगतान किया है।

राज्य निर्वाचन आयोग से मिली जानकारी के अनुसार, चुनावी व्यवस्था के तहत जिला परिषद के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, जिला परिषद सदस्य, पंचायत समिति प्रमुख, उप प्रमुख, पंचायत समिति के सदस्य, मुखिया, उप मुखिया, ग्राम पंचायत सदस्य, ग्राम कचहरी सरपंच, उप सरपंच और ग्राम कचहरी के पंच चुनाव जीतते हैं और कार्यकाल के दौरान उनकी आपराधिक घटना, प्राकृतिक आपदा या हिंसात्मक घटना और दुर्घटना में मृत्यु हो जाती है तो उनके स्वजन को सरकार की ओर से पांच लाख रुपये का मुआवजा दिया जाएगा। बता दें कि इसके पूर्व जमुई जिला के गिद्धौर प्रखंड के ग्राम कचहरी सदस्य पवन यादव को और इसी जिले के खैरा प्रखंड के वार्ड सदस्य बबलू कुमार के आश्रितों को सरकार ने पांच-पांच लाख रुपये का मुआवजा दिया था।

चुनावी प्रक्रिया में लाखों अधिकारी जिनकी जिम्मेदारी लोकतंत्र को बचाने एवं प्रक्रिया को सुदृढ़ करने की होती है जो आपने घर परिवार से दूर चुनावी प्रक्रिया को कराने के लिये जाते है लेकिन चुनाव आयोग जब जिम्मेदारियो का बंटवारा करती है तो उसका कोई मापदंड नही होना, कितने कर्मचारियों के जान खतरों मे डाला जाता है।

ये ऐसी एकलौती उदाहरण नही है ऐसे कितने लोगों ने जान गवाया है। मतदान केंद्र पर किसी भी प्रकार की रहने खाने की व्यवस्था नही होना भी एक बड़ी चिंता का विषय हमेशा रहती है,

इस त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की प्रक्रिया दिसंबर तक चलेगी जब तक बिहार में कड़ाके की ठंड रहेगी लेकिन प्रशासन एवं चुनाव आयोग द्वारा किसी भी प्रकार का सुदृढ रहने खाने का व्यवस्था न करना कितनो की जाने ले सकती है।

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