स्वतंत्रता सेनानी बतख मियां की मनाई गई 65वीं पुण्यतिथि।

स्वतंत्रता सेनानी बतख मियां की मनाई गई 65वीं पुण्यतिथि।

Bettiah Bihar West Champaran

बतख मियां के सम्मान में विश्वविद्यालय एवं जीवन दर्शन को विश्वविद्यालयों एवं स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल करे सरकार

ब्यूरो रिपोर्ट बेतिया: सत्याग्रह रिसर्च फाउंडेशन के सभागार सत्याग्रह भवन में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जान बचाने वाले स्वर्गीय बतख  मियां अंसारी जी की 65 वीं पुण्यतिथि पर सत्याग्रह रिसर्च फाउंडेशन एवं विभिन्न सामाजिक संगठनों द्वारा एक सर्वधर्म श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया, जिसमें राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, कस्तूरबा गांधी,बतख मियां अंसारी, अमर शहीदों एवं स्वतंत्रता सेनानियों को श्रद्धांजलि अर्पित की गई ‌इस अवसर पर अंतरराष्ट्रीय पीस एंबेस्डर सह सचिव सत्याग्रह रिसर्च फाउंडेशन डॉ एजाज अहमद अधिवक्ता ,डॉ सुरेश कुमार अग्रवाल चांसलर प्रज्ञान अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय झारखंड ,डॉ शाहनवाज अली, डॉ अमित कुमार लोहिया ,वरिष्ठ अधिवक्ता शंभू शरण शुक्ल सामाजिक कार्यकर्ता नवीदूं चतुर्वेदी, पश्चिम चंपारण कला मंच की संयोजक शाहीन परवीन, डॉ महबूब उर रहमान एवं अल बयान के सम्पादक डॉ सलाम ने संयुक्त रूप से श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि आज ही के दिन 4 दिसंबर 1957 को महान स्वतंत्रता सेनानी बतख मियां अंसारी का निधन हुआ था ।

1917 में चंपारण, ब्रिटिश नील बागान अधिकारी के निर्देशों का पालन करने से इनकार करने के लिए रसोइया को भारी कीमत चुकानी पड़ी थी। भारत की स्वाधीनता के बाद1950 में  जब भारत के पहले राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद अविभाजित चंपारण के  नरकटियागंज जंक्शन होते हुए मोतिहारी जिला मुख्यालय के रेलवे स्टेशन पर एक विशेष ट्रेन से उतरे थे। तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद अपने एक संबंधी अवधेश वर्मा की तबीयत खराब होने पर  मिलने  नरकटियागंज पहुंचे थे।
रेलवे प्लेटफॉर्म पर लोगों का एक समूह था जिन्हें राष्ट्रपति द्वारा संबोधित करना था।  अचानक, मंच के प्रवेश द्वार पर हंगामा मच गया – एक बूढ़े व्यक्ति ने जोर देकर कहा कि उसे ” प्रसाद ” से मिलने दिया जाना चाहिए। सुरक्षा अधिकारियों ने कहा कि राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद से आप मिलना चाहते हैं?, आपको पता है की वह भारत के राष्ट्रपति हैं ?।उनके मिलने के लिए प्रोटोकॉल का पालन करना होता है। बूढ़ा व्यक्ति कहता है मुझे अपने” प्रसाद “से मिलना है। अचानक कार्यक्रम स्थल के द्वार पर हंगामा ज्यादा होता है। तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद को बताया जाता है कि एक व्यक्ति आपसे मिलना चाहता है। जिसे सुरक्षाकर्मी रोक रहे हैं।

भारत के राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद  फौरन मंच से उतरते हैं। स्वागत द्वार की ओर जाते हैं।  तत्कालीन भारत के राष्ट्रपति की नजरें एक बूढ़े व्यक्ति की ओर पड़ती है, नजदीक पहुंचने पर राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद के मुख से आवाज आती है,,, बतख मियां अंसारी,। बतख मियां अंसारी की मुख से आवाज से आती है” प्रसाद”। बतख मियां अंसारी कहते हैं हमें आपसे मिलना था , आप से मिल लिए। भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति कहते हैं कि  आपको पता है कि कभी हम एवं महात्मा गांधी  आपके मेहमान थे। आज आप हमारे मेहमान हैं ।चलिए मंच पर चलिए।वह बूढ़े आदमी को मंच  पर ले गए, उन्हें बगल में एक कुर्सी दी, सभा में सन्नाटा छा गया। राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद ने सभा के लोगों से पूछा कि आप जानते हैं कौन हैं यह व्यक्ति, सभा में सन्नाटा बना रहा। तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद ने कहा कि यह हमारे मित्र हैं ।एक समय था जब हम एवं राष्ट्रपिता महात्मा गांधी इन के मेहमान बने थे, आज यह हमारे मेहमान हैं। राष्ट्रपति ने 1917 की एक कहानी सुनाई, जिस वर्ष महात्मा गांधी तीनकठिया संविदात्मक प्रणाली की जांच करने के लिए चंपारण आए थे,
डॉ राजेंद्र प्रसाद ने अपने बगल में बैठे व्यक्ति का परिचय बत्तख मियां (अंसारी) के रूप में कराया, जो एक रसोइया थे, जिसने अपनी गरीबी के बावजूद, गांधी और उन्हें जहर देने के लिए एक ब्रिटिश योजनाकार, इरविन द्वारा पेश किए गए “सभी प्रकार के प्रलोभन” को ठुकरा दिया। डॉ राजेंद्र प्रसाद  ने कहा, अगर यह बतख मियां नहीं होता, तो गांधी की मृत्यु हो जाती, इस तरह की त्रासदी का स्वतंत्रता संग्राम पर क्या प्रभाव पड़ सकता था। आपको पता है।? तत्कालीन राष्ट्रपति ने बतख मियां अंसारी के त्याग एवं बलिदान को सम्मानित करते हुए 57 एकड़ जमीन बतख मियां को सरकार की ओर से देने की घोषणा की। स्वर्गीय बतख मियां ने 1950 से 1957 तक इस उम्मीद में अंतिम सांस लेकर विदा हो गए कि उनकी एवं उनकी परिवार की हालत सुधरेगी एवं आर्थिक तंगी दूर होगी ।बतख मियां अंसारी ने आशाओं एवं उम्मीदों के साथ 4 दिसंबर 1957 को अंतिम सांस ली।

उनके मृत्यु के बाद उनके परिजनों ने राष्ट्रपति कार्यालय से लेकर जिला मुख्यालय तक चक्कर लगाते रहे। तत्कालीन राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल के प्रयासों से उनके परिजनों को 6 एकड़ जमीन उपलब्ध हो सकी। आज भी उनके परिजन पश्चिम चंपारण एवं पूर्वी चंपारण जिलों में आर्थिक तंगी से जीवन व्यतीत कर रहे हैं ।इस अवसर पर वक्ताओं ने कहा कि भारत अपनी स्वाधीनता की 75 वीं वर्षगांठ आजादी का अमृत महोत्सव वर्ष बना रहा है। इस अवसर पर वक्ताओं ने स्वर्गीय बत्तख मियां अंसारी के सम्मान में विश्वविद्यालय एवं बतख मियां अंसारी के जीवन दर्शन को विश्वविद्यालयों एवं स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल करने की मांग सरकार से की। साथ ही बतख मियां के परिवार सहित उन सभी अमर शहीदों एवं स्वतंत्रता सेनानियों के परिवारों को आर्थिक तंगी से निकालने के लिए एक ठोस निर्णय लेते हुए उनकी स्थिति सुधार करने की मांग सरकार से की गई।

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