चम्पारण के पावन भूमि पर जगद्गुरु रामभद्राचार्य जी महाराज का ‌ का हो रहा है आगमन!

चम्पारण के पावन भूमि पर जगद्गुरु रामभद्राचार्य जी महाराज का ‌ का हो रहा है आगमन!

Bettiah Bihar West Champaran

रामनगर से ठाकुर रमेश शर्मा के सहयोग से बेतिया से वकीलुर रहमान खान की ब्यूरो रिपोर्ट!

रामनगर (पश्चिमी चंपारण)
31 अक्टूबर मंगलवार से जगद्गुरु रामभद्राचार्य जी महाराज द्वारा रामकथा का आयोजन प०चम्पारण के रामनगर में किया जा रहा है।
रामभद्राचार्य महाराज जी का जन्म उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले में सांडीखुर्द नामक गांव में 14 जनवरी 1950 मकर संक्रांति के दिन एक सरयूपारीण ब्राह्मण परिवार में हुआ था।
पंडित राजदेव मिश्रा इनके पिता का नाम और शची देवी इनकी माता का नाम था।
बिहार के प० चम्पारण जिलान्तर्गत रामनगर प्रखंड में अर्जुन विक्रम शाह स्टेडियम में जगद्गुरू रामभद्राचार्य के कार्यक्रम को लेकर तैयारी तेज कर दी गई है।
आयोजन कार्यकर्ता शहर के अर्जुन विक्रम शाह स्टेडियम में 31 अक्टूबर से शुरू होने वाली इस कथा से जुड़ी तैयारियों को अंतिम रूप देने में लगे हैं। इसको लेकर स्टेडियम में विशाल पंडाल का निर्माण कराया जा रहा है।लगभग 30 हजार लोगों के बैठने की व्यवस्था रहेगी।
पंडाल में अनेको एलईडी स्क्रीन व्यवस्था की जा रही है ताकि लोगों सात को कथा सुनने में किसी तरह की लिए असुविधा नहीं हों । राष्ट्रीय स्तर के संत रामभद्राचार्य के कार्यक्रम में भारी भीड़ जुटने की संभावना के मद्देनजर प्रशासन भी तैयारियों में जुट गया है। थानाध्यक्ष अनंत राम ने बताया कि आयोजन समिति के साथ समन्वय स्थापित कर कथास्थल पर सुरक्षा से जुड़े बंदोबस्त किए जाएंगे।
इसमें कथा स्थल पर आने जाने वाले रास्तों समेत ट्रैफिक व्यवस्था आदि शामिल हैं। कथा स्थल पर सीसीटीवी कैमरे की व्यवस्था भी रहेगी। इसके माध्यम से पूरे पंडाल में नजर रखी जाएगी। कथा स्थल समेत आने जाने वाले रास्तों पर भी पुलिस बल की तैनाती की जाएगी।
ज्ञात हो कि रामभद्राचार्य जी रामानंद संप्रदाय के चार जगतगुरु में से एक माने जाते हैं। इन्हें श्रीमद भगवद्गीता, रामचरितमानस, वेद तथा उपनिषद, आदि कंठस्थ है।
जगद्गुरु रामभद्राचार्य जी जन्म से ही सूर है।स्वामी जी के आंखों की रोशनी 24 मार्च 1950 में ट्रेकोमा से संक्रमित होने की वजह से खो गई उसे समय उनकी उम्र केवल 2 महीने की थी।
अपने धार्मिक नजरिए से इन्होंने समाज में अपनी एक अलग जगह बनाते हुए यह साबित किया की जीवन जीने व समाज में अपनी पहचान बनाने के लिए नजर नहीं बल्कि नजरिये की जरूरत होती है।जगद्गुरु रामभद्राचार्य जी के दर्शन के लिए नरेंद्र मोदी जी को भी लाइन लगाना पड़ता है।
महाराज श्री को 22 भाषाओं का ज्ञान है तथा इन्होंने 80 ग्रंथो की रचना भी की है।

कथा आयोजन समिति संयोजक मधुकर राय व अध्यक्ष पंकज झुनझुनवाला ने बताया कि “आगामी 30 अक्टूबर को शोभायात्रा के इस रामकथा यज्ञ कार्यक्रम शुरुआत होगी। कथा का शुभारंभ अक्टूबर में ही होगा ,इसका समापन नवंबर में होगा। कथा सुनने के पहुंचने वाले लोगों के लिए भी जरूरी की प्रबंध रहेंगे।

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