गंडक नदी की पक्कीकरण व स्थाई निदान के लिए लोगो ने किया प्रदर्शन।

गंडक नदी की पक्कीकरण व स्थाई निदान के लिए लोगो ने किया प्रदर्शन।

Bettiah Bihar West Champaran

बेतिया से वकीलुर रहमान खान की ब्यूरो रिपोर्ट।

बैरिया (पंचमी चमपारण )
गंडक नदी को चंपारण तटबंध के अत्यधिक करीब आने से लोग हुए भयभीत। उन्हें अनहोनी की सता रही है, कही गंडक इस वर्ष बरसात के मौसम में अपनी उफनती लहरों से चंपारण तटबंध को धराशाई कर निगल ना जाए। यदि इस वर्ष गंडक नदी चंपारण तटबंध का कटाव करती है तो मुख्य रूप से दो प्रखंड, नौतन व बैरिया के दर्जनों पंचायत बुरी तरह प्रभावित होंगे।जिसको लेकर सैकड़ों लोग डुमरिया पंचायत के पोखरिया के गंडक नदी के तट पर प्रदर्शन किया। समय रहते यदि सरकार के द्वारा कोई पहल नहीं किया गया तो गंडक नदी के धार इस वर्ष बैरिया व नौतन प्रखंड के विभिन्न पंचायोतो में दिखना तय है।वही माले नेता सुनील कुमार राव ने कहा की बरसात में जब गंडक की जल स्तर ऊपर होती है तो उस समय सरकार की कान खुलती है।

और फ्लॉड फाइटिंग का कार्य शुरू होता है। जिसमे लाखो बोरी में मिटी डालकर नदी के किनारे डाल दिया जाता है, ताकि कटाव से निजात मिले। परंतु मिट्टी युक्त बैग नदी में चली जाती है। नदी और नजदीक आना शुरू कर देती है। यानी उससे कोई फर्क नहीं पड़ता है। देखा जय तो प्रति वर्ष लगभग 30 से 40 लाख रुपए सरकार के द्वारा खर्च होती है और सार्थक नही होता है।वही सरकार के तरफ से एक बार दर्जनों ठोकर जो ध्वस्त हो चुका है उसका पुनः पक्का ठोकर का निर्माण व बांध का पक्कीकरण कर देने से नदी का कटाव भी रुक जायेगा, वही प्रतिवर्ष सरकार का बड़े पैमाने पर खर्च की गई राशि भी वच जायेगी। श्री राव ने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा की, हम लोग पूरे जीवन की कमाई से अपनी घर बनाए है। अगर नदी का पक्कीकरण नही किया गया तो हम लोगो का घर गंडक नदी की गोद में धराशाई हो जायेगी, जिसके लिए सरकार मुख्य दर्शक बनी हुई है इस समय यदि कार्य पूरा नहीं किया गया तो भाकपा माले पार्टी के तरफ से चरणबद्ध आंदोलन किया जाएगा। मोहन प्रसाद ने कहा जब जब बांध टूटती है तो बाढ़ के चलते हम किसानों का फसल पूरी तरीके से बर्बाद हो जाता है जिसके चलते वर्षो तक महामारी झेलते है।

सत्यनारायण प्रसाद ने कहा बांध जब टूटती है तो बाढ़ की तेज लहरों से पुल पुलिया सड़के जगह जगह ध्वस्त हो जाते है जिसके मरम्मत भी सरकार के द्वारा की जाति है। उसमे भी सरकार की करोड़ों रूपये खर्च होती है तो क्यू ना इसकी पक्कीकरण ही हो जाए। ताकि नदी का कटाव भी रुक जायेंगी व लोगो को कटाव से निजात भी मिल जाएगा।मनोज प्रसाद ने कहा, लोगो की नजर गंडक की तरफ नही रहती है जब बाढ़ आती है तो नेता वह सरकारी मुलाजिम चूरा, मीठा प्लास्टिक इत्यादि लेकर आते है और लोगो के बीच वितरण व आश्वासन दे कर चले जाते है।लेकिन पक्कीकरण का मुदा नही उठते है।मौके पर लालकृष्ण प्रसाद,अवधलाल प्रसाद,प्रेमलाल प्रसाद,रमाकांत प्रसाद,मंसूर आलम, विजय प्रसाद,जयश्री राव,बृजेश यादव,आजाद हवारी,सुरेंद्र प्रसाद,मुंशी प्रसाद,अकीलदार मिया,आदि सैकड़ों लोग मौजूद रहे।

 

 

गंडक नदी का बांध के समीप आने से दलित हुए भयभीत।

गंडक नदी के बांध के समीप आने से दलित बस्ती के लोग भयभीत हो गए है। क्योंकी चंपारण तटबंध के किनारे दलितों का सैकड़ों घर बसे हुए है।जिनको अभी से चिंता सता रही है की यदि नदी बांध का कटाव करती है तो हम लोगो का सैकड़ों घर गंडक नदी में धारासाई हो जाएगा, फिर हम लोग कहा जायेंगे।

 

दो दशक पहले गंडक का रौद्र रूप देखा है लोगों ने।

दो दशक पूर्व गंडक ने रौद्र रूप लिया था जिसमे दामोदरपुर के सकड़ो लोगो का घर गंडक के गोद में धारासाही हो गया था।बड़े बड़े जमींदारों की जमींदारी समाप्त हो गई।गरीब लोग भोजन पर भी आफत हो गए थे।लोगो का जीवन अस्त व्यस्त हो गया था।फलस्वरूप लोगो ने वहा से पलायन करने के लिए मजबूर हुए।
2001 में भी बांध टूटने से बाढ़ आया था।वही 2003 में लौकरिया के यदु राव के टोला के सामने बांध उस पार करीब एक किलोमीटर तक गंडक नदी ने भीषण कटाव कर बस्ती के समीप आ गई । उसी वर्ष गंभीरपुर का बांध नदी के कटाव करने से धराशाही हो गया। जिसके फलस्वरूप भीषण बाढ़ से बैरिया नौतन के लोग प्रभावित हुए थे।
आज फिर से वही समय आ गया है।गंडक नदी चंपारण तटबंध के काफी करीब आ गई है।समय रहते बचाव नही किया गया तो पुनः वही हाल होगा।

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