पारिवारिक कलह या बीमारी? बगहा में दंपति की दर्दनाक मौत से गांव में शोक की लहर

पारिवारिक कलह या बीमारी? बगहा में दंपति की दर्दनाक मौत से गांव में शोक की लहर

Bettiah Bihar West Champaran

पारिवारिक कलह या बीमारी? बगहा में दंपति की दर्दनाक मौत से गांव में शोक की लहर

बगहा से रमेश ठाकुर के सहयोग से बेतिया से वकीलुर रहमान खान की‌ ब्यूरो रिपोर्ट।
बगहा(पच्छिम चम्पारण)
चौतरवा थाना क्षेत्र के रायबारी महुआ पंचायत में मंगलवार की सुबह एक दर्दनाक और रहस्यमयी घटना ने पूरे इलाके को झकझोर कर रख दिया। पंचायत के पूर्व मुखिया अरविंद लाल श्रीवास्तव और उनकी पत्नी की एक साथ मौत ने हर किसी को स्तब्ध कर दिया है। गांव की गलियों से लेकर चौपाल तक बस एक ही चर्चा है — “आखिर ऐसा क्या हुआ कि एक हंसता-खेलता परिवार यूं खत्म हो गया?”

सूत्रों के मुताबिक, कुछ ग्रामीणों का कहना है कि पूर्व मुखिया पारिवारिक कलह से बुरी तरह टूट चुके थे। बताया जाता है कि इसी तनाव में उन्होंने पहले अपनी पत्नी को गोली मारी और फिर खुद को गोली मारकर जीवन लीला समाप्त कर ली। घटना स्थल पर बिखरे खून के छींटे और मृत शरीर देखकर हर कोई सिहर उठा।

हालांकि, एक दूसरा पक्ष भी सामने आ रहा है। कुछ लोगों का दावा है कि पूर्व मुखिया कैंसर से पीड़ित थे। बीमारी से परेशान होकर उनकी मौत हो गई और जैसे ही पत्नी ने यह भयावह दृश्य देखा, उन्हें हार्ट अटैक आ गया, जिससे उनकी भी मौत हो गई।

इधर, परिजनों ने भी जल्दीबाजी में मंगलवार को ही दोनों का अंतिम संस्कार कर दिया। किसी ने नहीं सोचा था कि जिन हाथों ने वर्षों तक पंचायत की कमान संभाली, वही हाथ एक दिन ऐसी दुखद कहानी लिख देंगे।

गांव के बुजुर्गों की आंखें नम हैं। महिलाएं घरों के आंगन में बैठी विलाप कर रही हैं। बच्चे भी डरे-सहमे नजर आ रहे हैं। रायबारी महुआ पंचायत में आज भी हर चौपाल, हर चाय की दुकान पर लोग इन्हीं दोनों की बात कर रहे हैं।

जैसे ही घटना की भनक पुलिस को लगी, बुधवार को चौतरवा थाना की टीम हरकत में आई। बगहा के एसडीपीओ कुमार देवेंद्र ने खुद मामले की पुष्टि करते हुए बताया कि पुलिस इंस्पेक्टर संजय कुमार पाठक के नेतृत्व में एक विशेष जांच टीम बनाई गई है। इंस्पेक्टर पाठक वर्तमान में चौतरवा के प्रभारी भी हैं।

पुलिस ने मृतक पूर्व मुखिया की लाइसेंसी बंदूक को जब्त कर लिया है और हर पहलू से जांच शुरू कर दी है। पुलिस अधिकारियों का साफ कहना है कि जांच के बाद ही साफ हो पाएगा कि यह आत्महत्या थी या फिर कोई और गहरी साजिश।
ग्रामीणों की मानें तो मुखिया जी अपने सरल स्वभाव और सामाजिक कामों के लिए जाने जाते थे। अब उनकी मौत पर सवालों का अंबार खड़ा हो गया है। क्या पारिवारिक झगड़ा वाकई इतना बड़ा था? क्या बीमारी से टूटकर उन्होंने यह कदम उठाया? या फिर कोई और राज दफन है?

फिलहाल गांव में मातम पसरा हुआ है और लोग बस यही कह रहे हैं — “जो भी हुआ, बहुत गलत हुआ। ऐसा अंत किसी का न हो।”

पुलिस की जांच पर सबकी नजर टिकी है। सच चाहे जो भी हो, पर पंचायत ने अपने एक अनुभवी नेता और एक मजबूत गृहिणी को एक ही दिन में खो दिया। यह जख्म शायद ही कभी भर पाए।

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