*बेतिया न्यूज़ ब्यूरो वकीलुर रहमान खान*
*बेतिया* प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तमाम प्रयासों के बावजूद केंद्र व राज्य सरकार के कार्यालय में कार्यरत कथित भ्रष्ट कर्मचारियों की वजह से भ्रष्टाचार पर अब तक लगाम नहीं लग पाया है। इसका प्रत्यक्ष उदाहरण प्रधान डाकघर बेतिया है। जहां पर इसका नजारा प्रत्यक्ष रूप से देखने को मिलता है। प्रत्यक्षदर्शियों की मानें तो जिला मुख्यालय बेतिया में संचालित इस कार्यालय में निविदा के माध्यम से केंद्र व राज्य सरकार के विभिन्न विकासात्मक योजनाओं में निविदा लेने के लिए संवेदक द्वारा राष्ट्रीय बचत पत्र(N.S.C) अथवा टाइम डिपॉजिट स्कीम में रुपया निवेश किया जाता है। जिसे संबंधित विभाग में संवेदक द्वारा निविदा डालने हेतु प्लेज करना होता है। इसके लिए संबंधित विभाग के वरीय पदाधिकारी के हस्ताक्षर से प्रधान डाकघर बेतिया के डाकपाल के पदनाम से पत्रांक दिनांक के साथ एक पत्र निर्गत किया जाता है। जिसमें संवेदक द्वारा डाकघर से लिए गए एनएससी अथवा टाइम डिपॉजिट का पासबुक रजिस्ट्रेशन नंबर , निवेश की गई राशि एवं तिथि के साथ पत्र में अंकित कर साथ में दिया जाता है । ताकि डाकघर से संवेदक द्वारा निविदा के एवज में राष्ट्रीय बचत पत्र अथवा टाइम डिपॉजिट में जमा किए गए निवेश की रकम से संबंधित पासबुक व उसमें अंकित रकक का सत्यापन किया जा सके । साथ-साथ संबंधित विभाग के नाम से बंधक रखा जा सके। नियमानुसार उक्त पत्र संबंधित विभाग के द्वारा पीउन बुक में अंकित कर पीउन के माध्यम से डाकघर में भेजने का प्रावधान है। किंतु धरातल पर ऐसा नहीं होता। संवेदक द्वारा ही कथित रूप से प्लेज से संबंधित पत्र को हाथों हाथ लाया जाता है । इतना ही नहीं कभी-कभी तो संवेदक बिना एनएससी अथवा टाइम डिपॉजिट के पासबुक के ब ही प्रधान डाकघर बेतिया में पहुंच जाते हैं और डाक कर्मियों से कहते हैं कि मुझे निविदा हेतु एनएससी अथवा टाइम डिपॉजिट में रुपया जमा करना है और समय आज ही भर है। जो भी सुविधा शुल्क लगेगा मैं देने को तैयार हूं ,कृपया हमारे रुपए को एनएससी अथवा टाइम डिपॉजिट में जमा कराकर मुझे पासबुक दें। ताकि मैं निविदा डाल सकूं। इतना सुनते ही संबंधित डाक कर्मी के शरीर में दोगुनी ऊर्जा का संचार हो जाता है और वे अपने चहेते एजेंट की एजेंसी कोड डालकर संवेदक की रकम एनएससी अथवा टाइम डिपॉजिट में जमा कराकर न केवल पासबुक छाप कर दे दिया जाता है बल्कि संबंधित विभाग के नाम से प्लेज भी कर दिया जाता है। ऐसे में संबंधित संवेदक द्वारा जहां एक तरफ कम समय में उनके कार्य के निष्पादन होने की वजह से कथित रूप से सुविधा शुल्क दी जाती है । वहीं दूसरी तरफ बिना हाथ-पांव मारे जिस एजेंट के कोड में संवेदक का एनएससी अथवा टाइम डिपॉजिट की रकम जमा की गई है। उस एजेंट से भी संबंधित डाककर्मी राष्ट्रीय बचत संस्थान भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय बचत कार्यपालक पदाधिकारी के हस्ताक्षर से अधिकृत एजेंट के द्वारा विनियोग योग कार्य करवाने के एवज में दी जाने वाली कमीशन की राशि से कमीशन के रूप में दोहरा लाभ होता है। ऐसे हीं जब संवेदक निविदा लेने के लिए संबंधित विभाग के नाम से प्लेज किए गए एनएससी अथवा टाइम डिपॉजिट से संबंधित रकम को रिलीज कराने के लिए संबंधित विभाग से पत्रांक दिनांक के साथ विभाग के वरीय पदाधिकारी के हस्ताक्षर से निर्गत पत्र बिना पीउन बुक में चढाये हीं हाथो हाथ संवेदक लेकर कथित रूप से आते हैं और चांदी के जूते के बल पर चंद समय में रिलीज कराकरा ले जाते हैं। यदि डाकघर में सीधे एनएससी अथवा टाइम डिपॉजिट में अपनी रकम को निवेश कराने आए संवेदक के राशि को सीधे निवेश किया जाता तो राष्ट्रीय बचत संस्थान भारत सरकार के माध्यम से भारत सरकार के खजाने से एजेंट कमीशन के रूप में निकलने वाली राशि का बंदरबांट नहीं किया जाता और इस राशि को राष्ट्र के विकास में लगाया जाता । वहीं संबंध में डाक अधीक्षक से कई बार संपर्क सम्पर्क करने की कोशिश की गयी ।लेकिन उनसे संपर्क नहीं होने के कारण उनका पक्ष नहीं हो सका। इधर सिकटा विधायक वीरेंद्र गुप्ता, भाकपा माले नेता सुनील राव आप नेता विद्यानंद शुक्ल भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के जिला मंत्री ओमप्रकाश क्रांति,मनौवर अंसारी आदि नें इस मामले की उच्च स्तरीय जांच कराकर दोषी लोगों पर कठोर से कठोर कार्रवाई करने की मांग की है।