रेगानिया बॉर्डर बना खाद तस्करी का सेफ जोन।

रेगानिया बॉर्डर बना खाद तस्करी का सेफ जोन।

Bihar East Champaran Ghorasahan

बनकटवा/घोड़ासहन
प्रखण्ड का घोंघिया गांव इन दिनो खाद तस्करी के लिए काफी चर्चित हो गया है। गांव में तीन खाद दुकान खुला है।पहले से अगरवा गांव तस्करी के लिए चर्चित था।अगरवा बॉर्डर से खाद तस्करी सहित पेट्रोलियम पदार्थों,किराना की बस्तुएं कपड़ा व अन्य प्रतिबंधित सामानों की तस्करी ब्यापक पैमाने पर होती थी।

सीमा पर तैनात एसएसबी की कार्रवाई में दर्जनों गाजा तस्करों को जेल भेजा जा चुका है। कपड़ा तस्करी को लेकर पूर्व में सिकरहना एसडीओ के द्वारा भी अगरवा गांव में कई बार छापेमारी कर लाखो रुपये मूल्य के कपड़ा को जब्त किया गया है। खाद तस्करी को लेकर एसएसबी द्वारा लगातार छापेमारी करने के बाद फिलहाल 6 महीनों से अगरवा बॉर्डर से सामानों की तस्करी पर लगाम लगाया जा सका है।जिसके बाद तस्करों ने एक वैकल्पिक मार्ग खोजा है।

और इसके लिए तस्करों के सेंडिकेटर ने अब नया गांव चुना है।घोंघिया गांव के उत्तर यमुनी नदी है जिसमे तस्करों ने मोटा पाइप गिरा कर उनके ऊपर मिट्टी से भरकर साइकिल ,मोटरसाइकिल चलने लायक बना दिया है।नदी पार कर तस्कर रेगानिया बॉर्डर पार कर आसानी से नेपाल चले जाते है।साइकिल और मोटरसाइकिल से ये तस्कर बडी संख्या में सुबह और शाम को चलते है और वे नेपाल के सुदूर गांव तक पहुंचा देते है। बताया जाता है कि इन तस्करों की प्रति दिन की कमाई प्रति तस्कर 3000 रु है।

भारतीय क्षेत्र में 1700 रु प्रति वेग डीएपी खरीद कर नेपाल में 3200 नेपाली रुपये में बेचा जाता है।वही 400 रु यूरिया खाद को नेपाल में 1000 नेपाली में बेचा जाता है।इधर मंगलवार को बड़ैला बॉर्डर से एसएसबी की कार्रवाई में 6 वैग यूरिया के साथ दो बाइक पकड़ा गया है।किंतु तस्कर भाग निकलने में सफल रहा।पुष्टी असिस्टेन्ट कमांडेंट टी दोर्जे ने की है। प्रखण्ड कृषि पदाधिकारी शिलानाथ झा ने कहा इन दुकानों की जांच की जाएगी।और आवश्यक करवाई सुनिश्चित की जाएगी।

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