मोतिहारी: टीवी शो KBC के पांचवें सीजन (2011) में 5 करोड़ रुपए जीतने वाले मोतिहारी के सुशील कुमार 12 साल बाद शिक्षक बन गए हैं। उन्होंने BPSC की शिक्षक भर्ती परीक्षा के माध्यमिक और उच्च माध्यमिक सेक्शन में बाजी मारी है। उन्होंने सोशल मीडिया के जरिए इसकी जानकारी लोगों को दी है।सुशील कुमार जब KBC के विजेता बने थे, उस वक्त वो मनरेगा में कंप्यूटर ऑपरेटर की नौकरी कर रहे थे। हालांकि करोड़पति बनने के बाद भी वो मोतिहारी में ही सादगी भरी जिंदगी गुजार पर्यावरण संरक्षण के लिए काम कर रहे थे।सुशील ने क्लास 6 से 8 और 11 से 12 के लिए परीक्षा दी थी। दोनों परीक्षा में उन्होंने सफलता हासिल कर ली है। सुशील को +2 में मनोविज्ञान में 119वां रैंक मिला, जबकि वर्ग 6 से 8 में सोशल साइंस में 1692वां रैंक मिला है। अब सुशील स्कूल में Psychology पढ़ाएंगे। हालांकि, अब तक लेटर नहीं मिला है। मगर, बीपीएससी से जारी रिजल्ट में उनका नाम है।सुशील कुमार ने साल 2011 में ‘कौन बनेगा करोड़पति’ में पार्टिसिपेट किया था। जब वे इस शो में हिस्सा लेने पहुंचे थे, तब मोतिहारी में बतौर कम्प्यूटर ऑपरेटर काम करते थे। शो जीतने से ठीक पहले तक उनकी सैलरी मात्र छह हजार रुपए थी। केबीसी जीतने के बाद उन्हें ग्रामीण विकास मंत्रालय का ब्रांड एम्बेसडर बनाया गया था। हालांकि, कुछ महीनों बाद मीडिया में खबरें आई थी कि उनके रुपए खत्म हो गए हैं और उनके पास कोई जॉब नहीं है।_
*मजाक को बना दिया खबर*
_सुशील ने बताया कि एक बार एक जर्नलिस्ट का फोन आया था। उन्होंने सवाल किया कि सुशील क्या आप पॉलिटिक्स में जा रहे हैं, मैंने मना कर दिया। इसके बाद उन्होंने पूछा कि शो में जीते हुए पैसों का क्या हुआ ? इसपर मैं बताना नहीं चाहता था, इसलिए मजाक में बोल दिया कि पैसे खत्म हो गए और उसके बाद मीडिया के लिए यह खबर बन गई।_
*’केबीसी’ से मिले थे सिर्फ 3.6 करोड़ रुपए*
_शो जीतने के बाद इनकम टैक्स काटकर सुशील के खाते में कुल 3.6 करोड़ रुपए ही आए थे। इस रकम में से उन्होंने कुछ पैसा पुश्तैनी मकान को ठीक कराने में लगा दिया और कुछ से अपने भाइयों के लिए बिजनेस शुरू करवाया। बाकी बचे पैसे उन्होंने बैंक में जमा करा दिए थे, जिसके ब्याज से उनके परिवार का खर्च चलता रहा।बता दें कि करोड़पति बनने के बाद भी सुशील ने बिना किसी तामझाम के सादा जीवन उच्च विचार को चरितार्थ करते हुए अपने समाज में रहकर समाज के प्रति जवाबदेही तय की। पर्यावरण संरक्षण के दिशा में काफी सफल कार्य किए। जिसमें उनके द्वारा चलाया गया गौरैया संरक्षण अभियान और चम्पा से चंपारण अभियान पूरे राज्य में चर्चा का विषय बना हुआ है।इस सब के बीच भी उन्होंने पढ़ाई जारी रखा। शिक्षा के क्षेत्र में जाने का लक्ष्य तय किया। इसके लिए समय निकाल कर सेल्फ स्टडी की। इनका लक्ष्य हमेशा से तय होता है। इसी महीने मनोविज्ञान विषय में P.HD करने के लिए उनका चयन बाबा साहब भीमराव अंबेडकर यूनिवर्सिटी में हो गया। आज BPSC द्वारा आयोजित शिक्षक परीक्षा का परिणाम आया, जिसमें उनका चयन हो गया।_
*बचपन से ही समाचार सुनने का था शौक*
_सुशील कुमार का निक नेम मंटू कुमार है। उनके भाई सुधीर के मुताबिक सुशील को बचपन से ही रेडियो पर समाचार सुनने का काफी शौक था। सुशील एक बार मैट्रिक की परीक्षा में फेल भी हो चुके हैं। उन्होंने साइकोलॉजी में पीजी किया है। वे एक डांस रियलिटी शो में भी पार्टिसिपेट कर चुके हैं।_