मोतिहारी/ढाका:– 9 बजे 9 मिनट के लिए प्रधानमंत्री के आह्वान पर पूरे भारतवर्ष में प्रकाश उत्सव मनाई गई,
लेकिन प्रकाश उत्सव के स्थान पर पूरा गाँव जलकर राख बन गया।
दरअसल यह मामला ढाका प्रखंड के सपही गांव का है। जहाँ लगभग बारह से पंद्रह घर जल कर राख हो गई. आग पर काबू पाने के लिए ग्रमीणों ने लगभग एक घण्टे से प्रयास किया,अग्निशामक भी पहुँची।काफी जद्दोज़हद के बाद आग पर काबू तो पा लिया गया लेकिन तबतक बहुत देर हो चुकी थी सारा घर जलकर राख हो गया जिसमें लाखों की क्षति हो गई।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार आग लगने की वजह पटाखें हैं। देश में अंधभक्त और मूर्खो की कमी नहीं है, प्रधानमन्त्री द्वारा किये गए आग्रह का ठीक उल्टा किया गया। कोरोना के खिलाफ जंग में पूरे देश को एक सूत्र में बाँधने के उद्देश्य से एक दिया जलाने का अनुरोध किया गया था लेकिन अधिकांश लोगों ने इसे दीपावली की तरह पटाखों के साथ मनाया।
देश एक परिवार की तरह है जब परिवार में किसी का मौत हो जाये तो दीवाली और पटाखें नही बजाए जाते बल्कि शोक व्यक्त की जाती है। लेकिन PM के आदेश का अवहेलना कर बर्बादी का मंजर जो कायम किया है वह शर्मनाक है और दंडनीय अपराध भी है। उसको सख्त से सख्त सजा मिलनी ही चाहिए, इस वीरान पड़े बस्ती का आलम ये था कि अपनी बर्बादी को देख कर ग्रामीण ने फुट फुट कर रोते हुए नज़र आये।
करोना के संकट से जूझ रहा देश भुखमरी के कगार पर है बहुत ऐसे गांव है जहाँ दो वक्त की रोटी लोगो बड़ी सिद्दत से मिल रही है। जिन गरीबो का आशियाना उजड़ गया, जिनका सारा अनाज जल गया उन्हें यथाशीघ्र मुआवज़ा मिलनी चाहिए।