घोड़ासहन (पूर्वी चंपारण):- कोविड-19 महामारी से उत्पन्न संकट से आजकल पूरे देश में लॉकडाउन लगा हुआ है,कल-कारखानें, निर्माण कार्य, मानवीय गतिविधियां एवं गाड़ियों का परिचालन पूर्णतः बन्द है। जिसके कारण पिछले कई दशकों में प्रदूषण का स्तर सबसे कम आँकी गयी है। देश की राजधानी दिल्ली, मुम्बई, पटना व अन्य सभी बड़े-बड़े महानगरों में भी प्रदूषण का स्तर काफी घटा हैं।
नदियों को साफ रखने के लिए सरकार द्वारा नमामि गंगे जैसे विभिन्न योजनाओं के क्रियान्वयन के वावजूद इतनी सफलता नही मिली जितनी आज लॉक डाउन से मिली है। गंगा, यमुना के साथ-साथ सभी छोटे बड़े नदियों का पानी भी बिल्कुल साफ दिख रहा है।
सीमावर्ती क्षेत्रों से सैकड़ों मिलों दूर हिमालय के पर्वत श्रेणियों के दृष्टिगोचर होना,नई पीढ़ी के लोगों के लिए कौतूहल का विषय बना हुआ है। बड़े बुजुर्गों के लिए भी यह किसी आश्चर्य से कम नही है। प्रकृति के इस मनोरम दृश्य को लोग अपने मोबाइल में कैद कर सोशल मीडिया पर शेयर करके खुशी का इज़हार रहे है।
स्थानीय प्रबुद्ध लोगो का मानना है कि वायु प्रदूषण कम होने से दृश्यता काफी बढ़ गयी है। आसमान साफ रहने के कारण दूर से ही हिमालय की पर्वत श्रेणियां दिखाई दे रही है। इसको लेकर सामाजिक कार्यकर्ता सह जदयू किसान प्रकोष्ठ के जिलाध्यक्ष रामपुकार सिन्हा ने कहा कि सैकडों किलोमीटर दूर स्थित पर्वत श्रेणियों का सीमावर्ती क्षेत्रों से स्पष्ट दिखाई देना प्रकृति के सान्निध्य होने है अहसास करा रही है। बचपन से लेकर आज तक हमने ऐसा नही देखा है। यह प्रदूषण में कमी के कारण ही संभव हो पाया है।
मोतिहारी से मशहूर साइंस टीचर सुरेंद्र प्रसाद ने बताया है कि मानवीय गतिविधियों में कमी से प्रदूषण कम हुई है। साथ ही बारिश के बाद आसमान पूर्णतः साफ है जिससे विज़ुअलिटी काफी बढ़ गयी है।
जय हिंद क्रांति सेवा मिशन के प्रदेश उपाध्यक्ष प्रभात कुमार सिन्हा के अनुसार सीमाई क्षेत्र से हिमालय के पर्वत श्रेणियों का दिखाई देना प्रदूषण में कमी का प्रतीक है। प्रदूषण के लिए किसानों पर आरोप लगाने वाले नेताओं के बयान पर तंज कसते हुए उन्होंने कहा कि प्रदूषण के लिए किसान द्वारा केवल पराली जलाना ही नही,बल्कि कल-कारखाने और गाड़ियों से निकलने वाले विषैले धुँए भी जिम्मेवार है।
समाजसेवी मधुसूदन ने कहा कि प्रकृति के सान्निध्य में रहकर ही पूरी दुनिया में शांति की प्राप्ति और पर्यावरण रक्षा की जा सकती है।
शिक्षक रामनिवास मौर्यवंशी बताते है कि लॉकडाउन के कारण आज विश्व में पिछले दो दशकों से प्रदूषण का स्तर अपने निचले पायदान पर पहुँच गया है। मानवीय क्रियाकलाप निष्क्रिय है जिससे सड़कों पर भालू, हिरण, मोर, सियार और अन्य जंगली जीव-जंतु देखे जा रहे है। विषैले गैसों का उत्सर्जन कम होने से पृथ्वी के तापमान में भी गिरावट आई है । समय पर बारिश हो रही है आसमान भी बिल्कुल साफ है जिससे प्रकृति अपना मनोरम छंटा बिखेर रही है और बिहार में भी हमें कुल्लू मनाली जैसे मौसम का अहसास हो रहा है।
इसपर झरोखर से पूर्व मुखिया अमरेंद्र प्रसाद कुशवाहा,इंजीनियर दिनेश कुमार सिन्हा, शिक्षक प्रदीप कुशवाहा, राकेश कुमार,समाजसेवी मुकेश कुमार, डॉ आनंद कुमार, रत्नेश कुमार,बिजबनी से सरपंच लालबाबू कुशवाहा, जाप जिलाध्यक्ष आकाश कुमार, दीपक कुमार आदि ने भी अपनी अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। साथ ही कोरोना महामारी से बचने व प्रकृति को बचाने के उद्देश्य से लॉकडाउन का पालन करना अनिवार्य बताएं है।