पटना: कोरोना वैशिक महामारी के कारण उत्पन्न संकट की घड़ी में आज जब आप खुद सरकारी विद्यालयों में रह रहे हैं तो आप पंखे, शौचालय और अन्य सुविधाओं के लिए हल्ला कर रहे हैं। वक्त रहते आपने आवाज़ उठाई होती, अपने बच्चों के खातिर ही सही तो आज हर विद्यालय उच्चस्तरीय रहता और आपको कोई तकलीफ़ नहीं होती।
आप धूर्त मध्यम वर्ग के चपेट में आकर ये मान बैठे की सरकारी स्कूलों की कोई जरूरत नहीं है। आप उससे घृणा करने लगे शिक्षकों से तो आप इस कदर घृणा करने लगे कि नेता के बाद सबसे ज्यादा गाली खाने वाला प्राणी बन चुका है शिक्षक।
सवाल पूछना सीखो
भ्रष्ट नेता भ्रष्ट सरकार जाती और धर्म के नाम पर तुम्हे भ्रमाता है और तुम बड़ी आसानी से बिना कुछ सवाल किये उन धूर्त नेताओ के चंगुल में फस जाते हो और जब मुसीबत की घड़ी संकट से घिरते हो तब तुमारी आँख खुलती तो है, लेकिन चुनाव आते आते तुम सब कुछ भूल जाते हो।
सवाल सरकार से पूछने के वजाय शिक्षक से पूछते हो शिक्षकों के साथ गाली-गलौज करके कभी-कभार आप पीट-पाट भी देते हो।
जिस शिक्षक के खिलाफ आपके मन में दुर्भावना भरी गयी थी वही शिक्षक आज दिन-रात आपकी सेवा में हैं। जिसने दुर्भावना भरी वो घरों में आराम कर रहे।
संकट की घड़ी है लेकिन आज नहीं तो कल खत्म हो जाएगी। लेकिन इस बार बाहर काम पर जाने ( मैं तो कहूंगा जाइये ही मत) से पहले आप और हम मिलके सरकारी शिक्षा और स्वास्थ्य को ठीक कर सकते हैं। सबसे पहले आप शिक्षकों पर विश्वास करना सीखें, उनकी भी समस्या को समझें।
किसी के बहकावे में न आएं। जब आप सकारात्मक आलोचना करेंगे, सकारात्मक भाव से शिक्षकों से बात करेंगे तो सब कुछ बेहतर हो जाएगा।
अभी आप बहकावे में आकर शिक्षकों के साथ क्या सलूक करते हैं सबको पता है। तमाम तरह के निराशा को आप शिक्षकों पर ही निकालते हैं।_
शिक्षक और समाज एक दूसरे के पूरक हैं। दोनों के बीच उत्पन्न खाई से सिर्फ पूंजीपतियों को लाभ होता है।
आप आम आदमी पार्टी पर विश्वास करें और हम आप पर।
बिहर में ही नए रोज़गार का सृजन करने में सहयोग करें। दोनों मिलके इस बार नए बिहार का निर्माण करें।