पटना: प्रदेश में फंसे प्रवासी मजदूर को बिहार में लाने के लिए एक तरफ नीतीश कुमार ने हाथ खड़ा कर लिए तो वही दूसरी तरफ दिल्ली सरकार के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने बिहार के प्रवासी मजदूरों को अपने निजी खर्चे पर बिहार भेजने का फैसला किया, और बड़े ही अपने निजी खर्चे से आदर के साथ बिहारी भाइयों को उनके घर भेजने के लिए ट्रेन की व्यवस्था की और ट्रेन को दिल्ली से बिहार के लिए रवाना कर दी।
तो वही दूसरी तरफ जो प्रवासी मजदूर पैदल अपने घर जाने के लिए मजबूर थे तो उनके दुःख और तकलीफ को समझते हुए बिहार प्रदेश प्रभारी राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने दिल्ली सरकार के द्वारा 50 बस की व्यवस्था करवाई और प्रवासी मजदूरो को इनके गन्तव्य तक पहुचने का काम किया।
जिसे प्रवासी मजदूरों ने दिल्ली सरकार को तहे दिल से धन्यवाद दे रही है, वही घर पहुचे मजदूरो ने अपनी नाराजगी जाहीर करते हुए कहाँ की दिल्ली सरकार ने जितना सम्मान के साथ हमे घर भेजा तो वही बिहार सरकार ने हमें क्वॉरेंटाइन में सुविधा देने के नाम पर गरीबो से भदा मजाक कर रही है।
दिल्ली सरकार ने खाना से लेके लेके घर भेजने की जितनी बेहतरीन व्यवस्था की जितना प्रशंसा की जाये उतना कम है कास ऐसी सरकार देश के 28 राज्यों में होनी चाहिए।
वही बिहार प्रदेश उपाध्यक्ष अंगेश सिंह ने कहाँ हमारी सरकार ने मजदूर के जख्मों पर मरहम लगाने की काम कर रही हैं तो वहीं है दूसरी तरफ मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इस दुःख की घड़ी मे गरीबो के जख्मो पर नमक छिड़क रही है।
दर्जनों मजदूरों की सड़क दुर्घटना में मौत हो गई और नितीश सरकार मौत का अकड़ छुपा रही है। मरने वाले प्रवासी मजदूरो के प्र्तेक परिवारों को मो 10 10 लाख रुपया मुआबजा की मांग श्री सिंह ने की है।
और अपनी नाकामी और कमजोरी छुपाने के लिए क्वॉरेंटाइन सेंटर पर मीडिया को जाने से रोक दिया गया है ताकि सरकार की सच्चाई को जनता जान न सके। लेकिन जनता सब जानती है इसी वर्ष में होने वाले विधानसभा चुनाव में जनता उन्हें मुंहतोड़ जवाब देगी।