भाकपा माले ने केंद्रीय ट्रेड यूनियनों व किसान संगठनों के आह्वान पर भाकपा माले ने मनाया काला दिवस।

भाकपा माले ने केंद्रीय ट्रेड यूनियनों व किसान संगठनों के आह्वान पर भाकपा माले ने मनाया काला दिवस।

Bihar West Champaran

बेतिया: न्यूज़ ब्यूरो वकीलुर रहमान खान,
पूंजीपतियों -कॉरपोरेटों के हित मे किसान आंदोलन को लम्बा खींचने के खिलाफ भाकपा माले ने राष्ट्रीय स्तर पर काला दिवस मनाया, भाकपा माले राज्य कमिटी सदस्य सुनील कुमार यादव ने कहा कि देश के अन्नदाता दिल्ली के बॉर्डरों पर 6 माह से धरना पर बैठा है और मोदी सरकार सुन नहीं रहीं हैं, मोदी सरकार कोरोना महामारी के इस संकट काल का फायदा उठाते हुए 4 श्रम सहिंता व 3 कृषि कानूनों जैसे काले कानूनों को अमल में लाने तथा निजीकरण को बदस्तूर जारी रखना जारी रखना चाहती है, मोदी सरकार लोकतंत्र के लिए खतरा है, आगे कहा कि
तीन काले कृषि कानून , 4 श्रम संहिता को रद्द करने, बिजली बिल 2020 वापस लेने और सार्वजनिक उपक्रमों के निजीकरण बंद करने जैसे मांगों को लेकर चल रहे किसान आंदोलन का 6 महीना 26 मई 2021 को पूरा हुआ है। मोदी सरकार अभी भी तानाशाही रवैया अपना रहीं हैं भाकपा माले आज पुरे देश में भारतीय लोकतंत्र का काला दिवस के रूप में मनाया है,
भाकपा माले नेता ने कहा कि पश्चिम चंपारण में बेतिया, बैरिया, मझौलिया, सिकटा, मैनाटाड, गौनहां, नरकटियागंज, बगहा आदि अंचलों के दर्जनों गावों में मोदी का पुतला दहन कर काला दिवस मनाया है
आगे कहा कि कोरोना महामारी की आड़ में मोदी सरकार अपने तानाशाही रवैया पर कायम है। परंतु, किसान संगठनों ने भी ठाना है कि जब तक काला कानून 3 कृषि कानून रद्द नहीं होता, बिजली बिल 2020 वापस नहीं लिया जाता, एमएसपी को कानूनी गारंटी नहीं मिलती है तब तक देश के किसान दिल्ली के बॉर्डरों पर 6 माह से आंदोलन पर बैठे वे घर वापस नहीं लौटेगें। नेताओं ने आगे कहा कि भाकपा माले भी इन किसान आंदोलन के समर्थन में में हमेशा आगे रहेगा, मोदी सरकार की उल्टी गिनती शुरू हो गई है।

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