कई स्कूलों मे नही आते सभी बच्चे
भौगोलिक स्थिति के कारण भी हो रही है परेशानियां
बैरिया से अजहर आलम के सहयोग से बेतिया से वकीलुर रहमान खान की ब्यूरो रिपोर्ट।
बैरिया (पश्चिमी चंपारण )
बैरिया प्रखंड के दियारा क्षेत्र में अभी भी दर्जनो स्कूल भवन की वाटजोह रहा है । क्योंकि इन स्कूलों मे न तो जमीन है न भवन । पिछले दिन इसका खुलासा उस समय हुआ जब एक बीपीएससी से बहाल शिक्षिका का जमीन पर बैठ कर योगदान देने का वीडियो वायरल हुआ था । बैजुआ पंचायत के दियारा क्षेत्र के राजघाट गोबरही प्राथमिक विद्यालय मे बीपीएससी से पास शिक्षिका का झोपड़ी में जमीन पर बैठकर योगदान देते का वीडियो व फोटो वायरल होते ही शिक्षा विभाग मे खलबली मच गई ।बैरिया प्रखंड के राजघाट गोबरही का यह स्कूल गंडक नदी के उस पार है। वहां जाने के लिए नाव ही सहारा है। यही नहीं स्कूल के आसपास भी कोई सड़क नहीं है। स्कूल आवंटन के बाद चनपटिया की शिक्षिका पता करते हुए किसी तरह गंडक किनारे पहुंची। यहां 20 रुपये देकर नाव पर बैठकर गंडक नदी पार की, फिर घास-फूस वाले रास्ते से होकर किसी तरह वह स्कूल में पहुंच गई। यहां बैठने तक की व्यवस्था नहीं थी। हेडमास्टर ने किसी तरह शिक्षिका का योगदान कराया। लौटते समय भी नाव के लिए 20 रुपये खर्च किये। गोबरही के इस प्राथमिक विद्यालय में उस समय 55 बच्चे नामांकित थे।लेकिन आज केके पाठक के नया फरमान पचहत्तर प्रतिसत बच्चे की उपस्थिति को लेकर सभी बच्चे का नाम काट कर एक भी बच्चे का नामांकन नही है और स्कूल के चार शिक्षको में से एक का डिप्टेशान किसी दूसरे स्कूल में हो गया है । वही एक शिक्षक अवकाश में है और दो शिक्षक प्रति दिन स्कूल में समय से आते रहते है लेकिन एक भी बच्चे स्कूल में नही आते है।जिसका कारण दियारावर्ती इलाका होने के कारण एवं गंडक नदी पहले दूर थी लेकिन इस वर्ष नदी जून जुलाई के महीने में इतना कटाव किया की नदी स्कूल के काफी समीप आ गई है।जिसके चलते कितना लोगो का आशियाना गंडक नदी के कटाव से धराशाही हो गया और लोग किसी दूसरे जगह चले गए।वही स्कूल के प्रधानाध्यापक ने बताया की मेरे द्वारा प्रखंड से लेकर जिला तक कई बार विद्यालय को किसी दूसरे विद्यालय में विलियन करने के लिए आवेदन दिया गया है।जब बच्चे आते ही नही तो इस स्कूल को किसी दूसरे में विलयन ही उचित है ।यह स्कूल भूमिविहीन है। दियारा क्षेत्र होने के कारण आवागमन में परेशानी होती है। स्कूल में संसाधन की कमी होने की वजह से शिक्षिका का योगदान भूमि पर बोरा पर बैठ किया गया था।