बेतिया: न्यूज़ ब्यूरो वकीलूर रहमान खान, नरकटियागंज नेशनल एन्टी करप्शन एंड क्राइम कंट्रोल ब्यूरो के राष्ट्रीय अध्यक्ष रविकान्त उपाध्याय ने कहा इस समय जिस तरीके से जनसंख्या बेकाबू होता जा रहा है वह दिन दूर नहीं की आज हम जिन परिस्थितियों से ऑक्सीजन की कमी को लेकर झेले हुए हैं वह परिस्थितियां आम जनमानस को रोज झेलनी पड़ेगी आज इस कोरोना काल में जिस तरीके से मानव जाति ऑक्सीजन के लिए परेशान रहा और दरबदर भटकता रहा यह किसी से अछूता नहीं रहा है।
और एक नजीर भी बन गई है कि मनुष्य का जीवन कितना भविष्य में कठिन प्रद होगा लेकिन क्या मनुष्य इसके बारे में जरा सा भी सोच रहा है की अपनी जान बचाने के लिए मनुष्य खुद दर बदर की ठोकरें खाया और आगे भविष्य में खाएगा भी जनसंख्या जिस तरीके से बढ़ रही है उसी तरीके से बहुत तेजी से जंगल पेड़ कटते चले जा रहे हैं और पर्यावरण का संतुलन बिगड़ता चला जा रहा है जिसके वजह से बारिश का कम होना मौसम का संतुलन बिगड़ना और बहुत सारी प्राकृतिक आपदाओं का मनुष्यों को झेलना यह सब किसी से अछूता नहीं रहा है लेकिन क्या मनुष्य जनसंख्या नियंत्रण के बारे में भी सोच रहा है।
अगर इसी तरह से पेड़ करते रहे खेतों पर बड़े-बड़े बिल्डिंग बड़े-बड़े मकान बनते रहे तो 1 दिन ऐसा आएगा कि खेती के लिए भी जमीन नहीं बचेगी और मनुष्य खाने के लिए भी परेशान हो जाएगा जनसंख्या नियंत्रण इस समय मनुष्य का सबसे बड़ा विषय है कि अगर जनसंख्या नियंत्रण पर हम काबू नहीं पाते हैं तो फिर पृथ्वी आज नहीं तो कल खत्म हो जाएगी और बचेंगे सिर्फ बिल्डिंग मकान घर क्योंकि जब इस धरती पर अनाज उगाने के लिए खेत ही नहीं रहेंगे तो हम और आप खाएंगे क्या बात इतनी तक ही नहीं रुकती है बहुत सारे धर्म बहुत सारे संप्रदाय के लोग जनसंख्या वृद्धि पर भी बहुत जोरों से काम कर रहे हैं और उस पर रोकने के बजाय लोगों को बढ़ावा देते हैं कि जनसंख्या वृद्धि करिए जनसंख्या वृद्धि करवा कर वह कहीं ना कहीं इस पृथ्वी को विनाश की तरफ ले जाते हैं.
जबतक समाज से सामाजिक बुराइयां मसलन, गरीबी, अशिक्षा, बेकारी और दरिद्रता को दूर नहीं किया जायेगा जनसंख्या पर नियंत्रण संभव नहीं है. अत: सरकार को पहले यह सुनिश्चित करना चाहिए कि इन बुराइयों को कैसे मिटाया जाये. जहां तक बात जनसंख्या पर नियंत्रण की है तो इसपर काफी हद तक लगाम कसी जा चुकी है. शहरों में लोग दो से ज्यादा बच्चे पैदा नहीं करते हैं, जबकि ग्रामीण इलाकों में जहां गरीबी, अशिक्षा और भुखमरी है, वहां के लोग जनसंख्या बढ़ाते हैं, क्योंकि उनके लिए एक आदमी यानी काम करने वाला एक और हाथ है. भारत की सामाजिक व्यवस्था में यह खामियां हैं, इसे धर्म से जोड़ना अनुचित है, क्योंकि गरीबी, अशिक्षा और बेरोजगारी जैसी समस्या हर जगह पर है।
और इसका धर्म से कोई लेना-देना नहीं है. समतामूलक समाज का निर्माण हो तो जनसंख्या पर नियंत्रण सहज संभव है.
सरकार ने जनसंख्या नियंत्रण पर बहुत सारे योजनाएं निकाल कर रखी हैं लेकिन फिर भी कुछ धार्मिक प्रवृत्ति के लोग इसे नहीं मानते हैं और इस धरातल को विनाश के आगोश में ले जाना चाहते हैं हरी-भरी धरातल को जितना जनसंख्या बढ़ेगा उतनी लोग बढ़ेंगे उतने उनको घर चाहिए रहने के लिए उतने पेड़ कटेंगे उतनी खेती कम होगी जब इन सब चीजों की कमी होगी तो ऑक्सीजन कहां से बनेंगे आदमी अनाज कहां से खाएगा अनाज कहां हो जाएगा अगर इन सब चीजों को आम जनमानस नहीं समझेगा तो आखिरकार कौन समझेगा भविष्य में जनसंख्या विस्फोट ही इस पृथ्वी का विनाश बनेगा ऐसा ही दृश्य भविष्य में देखने के लिए मिल रहा है।