बेतिया /सिकटा संवाददाता अमर कुमार की रिपोर्ट, जीवन भी अजीब चीज है, कभी खुशी तो कभी गम।प्राकृतिक आपदा के आगे सब बेबस है।बरसात, बाढ़, बाढ़ के बाद निवाले की दिक्कतें, मानो जीवन को बे रंग कर दिया हो।कुछ ऐसे ही दर्द को झेल रहे है बेहरा पंचायत के बेहरा गांव में घिरे बाढ़ पीड़ित।बच्चों के संग रात में बिना कुछ खाये पिये बाढ़ से रखवाली करते बिता की सुबह पानी खत्म हो जाएगा, फिर घर की साफसफाई कर खाने पीने का इंतजाम किया जाएगा।
पर कुदरत को कुछ और ही मंजूर था, न बारिश रुका और न घरों से बाढ़ का पानी।ये दर्द है गांव के हिरामती देवी,सीता देवी,मु0संगीता, मीरा देवी, और लालजी दास का।पीड़ितों ने बताया कि अचानक पानी आया।तब तक पानी मे सभी सामान भींग गए।
रात में खाने के लाले पड़ गए।रात में बच्चे भी भूखे रह गए।जैसे तैसे सुबह हुई स्थिति जस की तस बनी रही।फिर गांव वालों की हाथ मदद को उठे।उनलोगों में खाना बनवा कर भूख से बिलखते बच्चों को खाना खिलाया।सरकारी स्तर पर कोई मदद मिलने की बात से इनकार करते हुए मांग भी किया कि सरकार राशन के अलावे भी अन्य जरूरत के सामानों को मुहैया कराए।
हालांकि मुखियापति दीपक शर्मा ने भी बताया कि बाढ़ के पानी से अभी भी कई घर घिरे है, जहाँ चूल्हे बंद पड़े है।इस संदर्भ में पूछे जाने पर अंचलाधिकारी मनीष कुमार ने बताया कि ऐसी सूचना नही है।फिर भी जांच करवाई जाएगी पीड़ित परिवार होंगे तो हर सम्भव सरकारी मदद उपलब्ध कराई जाएगी।