छोटे एवं दूरस्थ पशुपालकों को सुधा एवं अन्य “मिल्क नेटवर्क” से जोड़ने का प्रारंभ करें बड़ा अभियान : जिलाधिकारी।

छोटे एवं दूरस्थ पशुपालकों को सुधा एवं अन्य “मिल्क नेटवर्क” से जोड़ने का प्रारंभ करें बड़ा अभियान : जिलाधिकारी।

Bihar West Champaran
छोटे एवं दूरस्थ पशुपालकों को सुधा एवं अन्य “मिल्क नेटवर्क” से जोड़ने का प्रारंभ करें बड़ा अभियान : जिलाधिकारी।

सुधा को 14000 लीटर प्रतिदिन दुग्ध कलेक्शन से बढ़ाकर 20000 लीटर करने का दिया गया लक्ष्य।

हरनाटांड़ एवं मैनाटांड़ में शीघ्र अधिष्ठापित करायें दुग्ध शीतक केन्द्र।

मैनेजिंग डायरेक्टर, तिमुल, मुजफ्फरपुर के साथ समीक्षा बैठक सम्पन्न।

बेतिया/ न्यूज़ ब्यूरो वकीलुर रहमान खान,        जिलाधिकारी, कुंदन कुमार ने कहा कि असंगठित क्षेत्र के ऐसे गव्य पालक जो दुग्ध की बिक्री विभिन्न जगहों पर करते हैं, उन्हें संगठित क्षेत्र में लाते हुए उनके रोजगार को बढ़ावा देने की आवश्यकता है। ऐसे सभी गव्य पालकों को दुग्ध व्यवसाय में उतरोत्तर वृद्धि कराते हुए उनके जीवन स्तर को सुदृढ़ करने की कार्रवाई तीव्र गति से क्रियान्वित की जाय।

उन्होंने कहा कि पश्चिम चम्पारण जिले के दुग्ध उत्पादकों को ज्यादा से ज्यादा रोजगार के अवसर प्रदान करना है ताकि निरंतर इनके आय स्रोत में वृद्धि होती रहे। उन्होंने कहा कि पश्चिम चम्पारण जिला मूलतः कृषि प्रधान है।  दुग्ध उत्पादकता के क्षेत्र में ज्यादा से ज्यादा किसानों को जागरूक एवं प्रेरित करना सुनिश्चित किया जाय। जिलाधिकारी कार्यालय प्रकोष्ठ में आयोजित महत्वपूर्ण बैठक में संबंधित अधिकारियों को निदेशित कर रहे थे।

इस बैठक में उप विकास आयुक्त, श्री रवीन्द्र नाथ प्रसाद सिंह, डीपीएम, जीविका, डीपीएम, मनरेगा, श्री हृदयानंद सिंह, मैनेजिंग डायरेक्टर, तिरहुत दुग्ध उत्पादक, सहकारी संघ, लिमिटेड, मुजफ्फरपुर सहित अन्य अधिकारी उपस्थित रहे।

समीक्षा के क्रम में मैनेजिंग डायरेक्टर, तिरहुत दुग्ध उत्पादक, सहकारी संघ, लिमिटेड, मुजफ्फरपुर द्वारा बताया गया कि जिले के 15 प्रखंडों में प्राथमिक सहकारी समिति का गठन एवं समिति के माध्यम से दुग्ध संग्रहण का कार्य किया जा रहा है। ग्रामीण दुग्ध उत्पादकों को उनके सामाजिक एवं आर्थिक उत्थान के उदेश्य की पूर्ति हेतु उनके गांव में ही दुग्ध उत्पादक सहयोग समिति का गठन कर दुग्ध के जांच के आधार पर उचित मूल्य दी जाती है। अबतक जिले में 416 दुग्ध उत्पादक सहयोग समिति का गठन कर लिया गया है, जिनके माध्यम से दुग्ध संग्रहण का कार्य किया जा रहा है। दुग्ध उत्पादकों को औसत 11873580.00 रूपये मासिक भुगतान किया जा रहा है।

उन्होंने बताया कि तकनीकी दृष्टिकोण से भी दुग्ध उत्पादकों को बेहतर सेवाएं मुहैया करायी जा रही है। पश्चिम चम्पारण जिले में 57 कृत्रिम गर्भाधान केन्द्र कार्यरत है, जिसके माध्यम से औसत प्रति माह 4350 कृत्रिम गर्भाधान किये जाते हैं। इसके साथ ही दुधारू पशुओं को स्वस्थ रखने के उदेश्य से कृमिनाशक एवं टीकाकरण कार्य भी चलाया जा रहा है। वहीं संतुलित पशु आहार एवं हरा चारा बीज का वितरण भी कराया जाता है।

उन्होंने बताया कि सुधा ब्रांड दुग्ध एवं दुग्धजन्य पदार्थों के विपणन हेतु पश्चिम चम्पारण जिले के अंतर्गत 395 रिटेल काउंटर एवं 02 होलेडे मिल्क पार्लर स्थापित है, जिसके माध्यम से औसत प्रतिदिन 15000 लीटर पाउच दुग्ध एवं उत्पाद शहरी उपभोक्ताओं को उपलब्ध करायी जाती है। उन्होंने बताया कि पश्चिम चम्पारण जिले में पर्याप्त संख्या में दुधारू मवेशी की संख्या को देखते हुए वर्तमान में बेतिया शहर में 10 के0 एल0 क्षमता वाला दुग्ध शीतक केन्द्र सहित चौतरवा में 05 के0 एल0 एवं मैनाटांड़ में 05 के0 एल0 बल्क कुलर कार्यरत है।

उन्होंने बताया कि पश्चिम चम्पारण जिले में समिति स्तर पर 183 डाटा मिल्क प्रोसेसिंग यूनिट स्थापित किये जा रहे हैं, जिससे सुबह-शाम दुग्ध की जांच समिति स्तर पर की जाती है। पश्चिम चम्पारण जिले में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के उदेश्य से 28 महिला दुग्ध समितियां गठित है।
उन्होंने कहा कि दुग्ध उत्पादक सहयोग समितियों के गठन हेतु आर्थिक सहायता की आवश्यकता है। साथ ही रामनगर, गौनाहा एवं चनपटिया प्रखंड अंतर्गत 05 के0 एल0 बल्क कुलर की स्थापना, बेतिया दुग्ध शीतक केन्द्र के भवन का जीर्णोंद्धार सहित और समितियों का गठन दुग्ध कैन की आवश्यकता है।

जिलाधिकारी द्वारा मैनेजिंग डायरेक्टर, तिरहुत दुग्ध उत्पादक, सहकारी संघ, लिमिटेड, मुजफ्फरपुर को कहा गया कि सरकार एवं जिला प्रशासन द्वारा दुग्ध उत्पादकों के बेहतर भविष्य के लिए हरसंभव सहायता एवं प्रयास किया जायेगा।

उन्होंने कहा कि छोटे एवं दूरस्थ पशुपालकों को सुधा एवं अन्य मिल्क नेटवर्क से जोड़ने का बड़ा अभियान शीघ्र प्रारम्भ करें।

समीक्षा के क्रम में बताया गया कि जीविका, मनरेगा द्वारा एक माह में सर्वे कराया गया। सर्वे में में यह ज्ञात हुआ कि लगभग 3 हजार पशुपालकों द्वारा लगभग 40 हजार लीटर दुग्ध का उत्पादन किया जा रहा है। जिलाधिकारी ने कहा कि जल्द से जल्द सुधा जैसे संगठित क्षेत्र में लाया जाय ताकि किसानों को निरंतर आय स्रोत में वृद्धि होती रहे।

उन्होंने कहा कि जिले में फिलवक्त 50 हजार लीटर दुग्ध का उत्पादन हो रहा है। जिसमें से सिर्फ 14 हजार लीटर दुग्ध तिमुल के द्वारा संग्रहण किया जा रहा है, जबकि दूध की बिक्री 16000-17000 लीटर/प्रतिदिन ही है। इस प्रकार संग्रह से अधिक खपत है। इसे तीव्र गति से बढ़ाने की आवश्यकता है। प्रयास ऐसा करें कि ज्यादा से ज्यादा दुग्ध तिमुल क्रय करे। इस हेतु हरनाटांड़ एवं मैनाटांड़ में एक-एक दुग्ध शीतक केन्द्र का अधिष्ठापन शीघ्र कराना सुनिश्चित करें ताकि आसपास के दुग्ध उत्पादक सुगमतापूर्वक अपने दुग्ध का विक्रय कर सके। जिलाधिकारी ने कहा कि जो दुग्ध उत्पादक सहयोग समिति किन्हीं कारणों से शिथिल पड़ गये हैं, उन्हें अविलंब सक्रिय किया जाय।

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