घोड़ासहन/ पूर्वी चंपारण: विधि छात्र संघ के अध्यक्ष मधुसूदन कुशवाहा और नितेश कुमार ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बताया कि देश को आजाद हुऐ 76 वर्ष होने को है लेकिन आज भी हमारा समाज दहेज प्रथा जैसी कुरीतियों से ऊपर नहीं उठ पाया है, आजादी के बाद 1961 ई• में दहेज प्रथा के खिलाफ में दहेज प्रतिषेध कानून बना दिया गया था लेकिन सरकार के उदासीनता के वजह से आज तक इस कानून पर प्रमुखता से कार्य नहीं किया जा रहा है।यही कारण है कि एनसीआरबी के अनुसार देश में प्रत्येक घंटा एक महिला की मृत्यु दहेज के कारण हो रही है। हमारे समाज के कई पढ़े-लिखे युवा भी इसके खिलाफ नहीं बोलते हैं क्योंकि वे दहेज लेने पर गर्व महसूस करते हैं, उनको ऐसा लगता है की अगर वे दहेज प्रथा के खिलाफ में बोलेंगे तब समाज और परिवार के लोग हमें अच्छा नहीं समझेंगे जो कुत्सित सोच सोच को दर्शाता है।
हम समझते हैं कि जब तक रूढ़िवाद, पितृसत्तात्मक सोच और अशिक्षा आदि की खात्मा जब तक नहीं होगा तब तक हम लोगो के बीच मे जागरूकता नही पहुँचा पाएंगे और दहेज प्रथा जैसी कुरीतियों को खत्म नहीं किया जा सकता है।
आज के समय में दहेज प्रथा के वजह से ही हमारे समाज में कई लोग बच्चियों को गर्भ में ही हत्या करवा दे रहे हैं जो महापाप है इससे कई राज्यों के लिंगानुपात में असमानता आई है जिसके कारण कई लड़कों की शादियाँ भी नहीं हो पा रही है और बलात्कार की घटनाओं में और भी इजाफा हो रहा है।
मौजूदा समय में हर क्षेत्रों में देश की बेटियां, महिलाएं अग्रणी भूमिका निभा रही है। महिला सशक्तिकरण को लेकर के सरकार और हमारा समाज सजग है लेकिन बात जब दहेज प्रथा की आती है तब बेटियों को एक ठेस पहुंचती है, सही मायने में माना जाए तब जिस बच्चियों को शादी के समय में दहेज देने का मनसा अभिभावक रखते हैं यदि वही पैसा बेटियों को पढ़ाने में खर्च कर दिया जाए तो बेटियां अपनी सोची मंजिल पर पहुंच जाएगी या बहु लाने वाले अभिभावक यदि ऐसा सोच रखें कि मुझे पढ़ी लिखी बहू चाहिए, दहेज से कोई मतलब नहीं है तब भी देश की बेटियां बहुत आगे तक पढ़ पाएंगी।
दहेज प्रथा जैसे कुरीतियों को खत्म करने की जिम्मेवारी आज हम देश के 65% छात्र- नौजवानों की है हम नौजवानों के ऊपर इस देश की सत्ता की बुनियाद टिकी हुई है, हम इस देश से दहेज प्रथा जैसे कुरीतियो को उखाड़ फेंकने की हिम्मत रखते हैं। इसलिए हम तमाम नौजवान एकजुट होकर के आइए इस महामारी जैसे दहेज प्रथा का विरोध करते हैं और 23 मार्च को टी आर एम पी उच्च विद्यालय घोड़ासहन के प्रांगण में अपनी बातों को रखते हुए दहेज प्रथा के खिलाफ अपनी आवाज को बुलंद करते हैं।