मै मूर्तियो में नही किताब में हूँ मुझे पूजने की नही पढ़ने की जरूरत है: डॉ भीमराव आंबेडकर

मै मूर्तियो में नही किताब में हूँ मुझे पूजने की नही पढ़ने की जरूरत है: डॉ भीमराव आंबेडकर

Desh-Videsh National News

मैं जनतन्त्र का प्राण हूँ, मैं भारत का सरताज हूँ, मैं हर समस्या का समाधान हूँ, मैं संविधान हूँ।

अंबेडकर जयंती या भीम जयंती भीमराव आम्बेडकर जिन्हें  डॉ॰ बाबासाहेब आंबेडकर के नाम से भी जाना जाता है, उनका जन्म दिन 14 अप्रैल को पर्व के  रूप में भारत समेत पूरे संसार में मनाया जाता है। इस दिन को ‘समानता दिवस’ और ‘ज्ञान दिवस’ के रूप में भी मनाया जाता है।

क्योंकी जीवन भर समानता के लिए संघर्ष करने वाले अम्बेडकर को समानता के प्रतीक और ज्ञान के प्रतीक माना जाता है। अम्बेडकर पुरे विश्व भर में उनके मानवाधिकार आंदोलन, संविधान निर्माण और उनकी प्रकांड विद्वता के लिए जाने जाते हैं, और यह दिवस उनके प्रति सम्मान व्यक्त करने के लिए मनाया जाता है।

आंबेडकर की पहली जयंती सदाशिव रणपिसे इन्होंने 14 अप्रेल 1928 में पुणे शहर में मनाई थी। रणपिसे आंबेडकर के अनुयायी थे। उन्होंने आंबेडकर जयंती की प्रथा शुरू की और भीम जयंतीचे अवसरों पर बाबासाहेब की प्रतिमा हाथी के अंबारी में रखकर रथसे, उंट के उपर कई मिरवणुक निकाली थी। जिसे हम सम्मान एव आदर पूर्वक बाबा साहेब का जयंती बड़ी श्रद्धा से मनाते है।

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