अफगानिस्तान में बढ़ रहे पाकिस्तानियो के वर्चस्व को खत्म करने को लेकर भारतीय विदेशमंत्री एस. जयशंकर का पूरे एशिया का दौरा जारी, अमेरीकी और रूसी नेतृत्व से भी मुलाक़ात

अफगानिस्तान में बढ़ रहे पाकिस्तानियो के वर्चस्व को खत्म करने को लेकर भारतीय विदेशमंत्री एस. जयशंकर का पूरे एशिया का दौरा जारी, अमेरीकी और रूसी नेतृत्व से भी मुलाक़ात

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अफगानिस्तान में बढ़ रहे पाकिस्तानियो के वर्चस्व को खत्म करने को लेकर भारतीय विदेशमंत्री एस. जयशंकर का पूरे एशिया का दौरा जारी, अमेरीकी और रूसी नेतृत्व से भी मुलाक़ात

अमेरिका और तालिबान के बीच हुए, शांति समझौते के बाद अमेरिकी सेना अफगानिस्तान छोड़ना शुरू कर चुके है अब मात्र कुछ हज़ार सैनिक ही बचे है जो कुछ महीनों में वापस चले जायेंगे। लेकिन अब तालिबान भी अपना क्रूर रूप दिखाना शुरू कर दिया है,अब तक तालिबान अफगानिस्तान के 85% क्षेत्र पर कब्जा कर चुका है, बीते कुछ दिन पहले ही पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बॉर्डर के समीप कंधार नामक चेकपोस्ट से 300 करोड़ पाकिस्तानी रूपया मिला,ये पैसे घूस के पैसे है जो अफगानिस्तानी सेना ड्रग्स के स्मगलिंग के लिए लेती है,कंधार के वाणिज्य दूतावास से भारत सरकार ने अपनी सारे कर्मचारियों को बुला लिया है। कंधार भारत के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण था क्योंकि इसी के करीब से गारलैंड रोड से हो कर भारत और मध्य एशिया का ट्रेंड (व्यापार) होता हैं क्योंकि रोड से होकर सबसे नजदीक हाईवे भारत के लिए वही है लेकिन अब उसपार तालिबान के कब्जे के बाद पाकिस्तान को फायदा हो सकता है।

इसी मसले को लेकर भारत के विदेशमंत्री एस. जयशंकर कतार के  बाद जयशंकर ईरान, रूस, ताजिकिस्‍तान और अब उज्‍बेकिस्‍तान पहुंचे हैं। ताशकंद में भारतीय विदेश मंत्री ने अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी से मुलाकात कर युद्धग्रस्त देश से अमेरिकी सैनिकों की वापसी के बाद वहां तेजी से बिगड़ रही स्थिति पर चर्चा की। जयशंकर ने कहा कि उन्होंने अफगानिस्तान में शांति, स्थिरता और विकास के प्रति भारत का समर्थन दोहराया। यह मुलाकात बहुपक्षीय कनेक्टिविटी सम्मेलन से इतर हुई।

भारतीय विदेश मंत्री ने ट्वीट किया, ‘राष्ट्रपति अशरफ गनी से मुलाकात कर प्रसन्न हूं। अफगानिस्तान के भीतर और आसपास मौजूदा स्थिति पर चर्चा की। अफगानिस्तान में शांति, स्थिरता और विकास के प्रति समर्थन दोहराया।’ यही नहीं भारतीय विदेश मंत्री ने अमेरिका के अफगानिस्‍तान में विशेष प्रतिनिधि जाल्‍मई खलीलजाद के साथ भी मुलाकात की। जयशंकर ताजिकिस्तान की राजधानी दुशांबे की दो दिवसीय यात्रा के बाद ताशकंद पहुंचे हैं। दुशांबे में जयशंकर शंघाई सहयोग संगठन के विदेश मंत्रियों की महत्वपूर्ण बैठक में शामिल हुए। एससीओ देशों के विदेश मंत्रियों ने अमेरिकी सैनिकों की वापसी के बाद अफगानिस्तान में तालिबान का प्रभाव बढ़ने से बिगड़ रही स्थिति पर गंभीर चर्चा की।

दरअसल, अमेरिका ने अफगानिस्तान से अपने 95 फीसदी सैनिकों को वापस बुला लिया है और वह युद्धग्रस्त देश में लगभग दो दशक तक अपनी मौजूदगी के बाद अगस्त के अंत तक अपने सभी सैनिकों को वापस बुलाने की प्रक्रिया पूरा करना चाहता है। अफगानिस्तान में हाल के सप्ताहों में तालिबान ने सिलसिलेवार हमलों को अंजाम दिया है। जयशंकर ने बुधवार को एससीओ की बैठक में अपनी टिप्पणी में कहा कि अफगानिस्तान का भविष्य इसका विगत नहीं हो सकता और विश्व हिंसा एवं ताकत के दम पर सत्ता हथियाने के खिलाफ है। रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव, चीन के विदेश मंत्री वांग यी, पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी और अफगानिस्तान के विदेश मंत्री मोहम्मद हनीफ अतमार बैठक में शामिल हुए। इस बीच पाकिस्‍तान भी एक शांति बैठक आयोजित करने जा रहा है। पाकिस्‍तान ने अब तालिबान को एयर सपॉर्ट भी देना शुरू कर दिया है।

भारत-अफगान दोस्‍ती के प्रतीक पर तालिबान का हमला
तालिबान ने अब भारत-अफगान दोस्‍ती के प्रतीक कहे जाने वाले सलमा बांध पर हमले करना शुरू कर दिया है। सलमा बांध पर भारत ने करोड़ों रुपये खर्च किया था और यह अफगानिस्‍तान में भारत के सबसे महंगे प्रॉजेक्‍ट में से एक था। इस बांध न केवल बिजली का उत्‍पादन होता है, बल्कि जमीन सिंचाई के ल‍िए भी पानी की सप्‍लाइ होती है। अब ताल‍िबान इस बांध को तबाह करने में जुट गया है और लगातार बम बरसा रहा है। सलमा बांध अफगानिस्‍तान के हेरात प्रांत में स्थित है। इस बांध का भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अफगानिस्‍तान के राष्‍ट्रपति अशरफ घनी ने वर्ष 2016 में उद्घाटन किया था। अधिकारियों ने बताया कि तालिबान आतंकी रॉकेट और तोपों से गोलों की बारिश कर रहे हैं।

तालिबान राज में भारत में बढ़ सकते हैं आतंकी हमले’
विशेषज्ञों का कहना है कि अगर तालिबान सत्‍ता में आया तो पाकिस्‍तान के पाले आतंकी कश्‍मीर और भारत के अन्‍य हिस्‍सों में पहले की तरह से आतंकी हमले तेज कर सकते हैं। पाकिस्‍तान तालिबान आतंकियों का इस्‍तेमाल अपने फायदे के लिए कर सकता है। इस बीच ऐसी खबरें आई हैं कि भारत ने तालिबान के साथ पर्दे के पीछे से बात की है लेकिन अभी तक तालिबान की ओर से ठोस जवाब नहीं आया है। तालिबान के प्रवक्ता सुहैल शाहीन ने दावा किया है कि भारत अफगान सेना को हथियार दे रहा है। इतना ही नहीं, तालिबान ने बातचीत की पहल से पहले भारत को अपनी निष्पक्षता साबित करने के लिए भी कहा है। फॉरेन पॉलिसी मैगजीन से बातचीत में सुहैल शाहीन ने कहा कि अगर भारत तालिबान के साथ बात करना चाहता है तो उसे पहले अपनी निष्पक्षता साबित करनी होगी।

अफगान सरकार को हथियार दे रहा भारत: तालिबान
तालिबान के प्रवक्ता ने कहा कि भारत विदेशियों द्वारा स्थापित अफगान सरकार का पक्ष ले रहा था। वे हमारे साथ नहीं हैं। अगर वे अफगानों पर थोपी गई सरकार का समर्थन करने की अपनी नीति पर कायम रहते हैं, तो शायद उन्हें चिंतित होना चाहिए। वह एक है गलत नीति जो उनकी रक्षा नहीं करेगी। भारत शुरू से ही अफगानिस्तान में किसी भी सैन्य संगठन या मिलिशिया का समर्थन करने में चौकन्ना रहा है। नॉर्दन अलायंस को दी गई रक्षा मदद से भी भारत को बड़ी सीख मिली है। शाहीन ने कहा, ‘हमें अपने कमांडरों से रिपोर्ट मिली है कि भारत दूसरे पक्ष को हथियार मुहैया करा रहा है। यह कैसे संभव है कि वे तालिबान से बात करना चाहते हैं लेकिन व्यावहारिक रूप से वे काबुल को हथियार, ड्रोन, सब कुछ उपलब्ध करा रहे हैं? यह विरोधाभासी है।’

भारत को अफगानिस्‍तान में भेजनी चाहिए सेना ?
अफगानिस्‍तान में खराब होते हालात के बीच अब सामरिक हलकों में यह चर्चा तेज हो गई है कि क्‍या तालिबान और पाकिस्‍तान की नापाक साजिश को नाकाम करने के लिए भारत को अपनी सेना भेजनी चाहिए। फॉरेन पॉलिसी के मुताबिक अफगान सरकार भारत के तालिबान के साथ बातचीत की खबरों से खुश नहीं है। अफगान सरकार ने भारत से अपील की है कि संकट की इस घड़ी में वह और ज्‍यादा समर्थन दे। अफगानिस्‍तान ने कहा क‍ि अमेरिका उसे हर साल साढे़ 4 अरब डॉलर देने जा रहा है। इसमें बड़ी मात्रा में हथियार भी शामिल हैं। अफगानिस्‍तान के भारत में राजदूत फरीद ममुंदजाय कहते हैं, ‘हमने अभी भारत से सैन्‍य सहायता नहीं मांगी है लेकिन उसे ऐसा करना पड़ सकता है।’ उन्‍होंने कहा कि अगर तालिबान के साथ बातचीत फेल होती है तो हम भारत से सैन्‍य सहायता मांग सकते हैं। अमेरिकी खुफिया एजेंसियों का अनुमान है कि अगले 6 महीने में अफगान सरकार गिर सकती है। ऐसे में अफगानिस्‍तान को तत्‍काल मदद की जरूरत है।

संयुक्‍त राष्‍ट्र में भारत के राजदूत रह चुके चर्चित राजनयिक सैयद अकबरुद्दीन कहते हैं कि इस बात के कोई आसार नहीं हैं कि भारत अफगानिस्‍तान में अपनी सेना को भेजेगा। उन्‍होंने फॉ‍रेन पॉलिसी मैगजीन से बातचीत में कहा, ‘हमारी सीमाओं पर हमारी अपनी चुनौतियां हैं। वर्तमान स्थिति में मैं नहीं समझता हूं कि इसके लिए कोई राजनीतिक या जनता की ओर से स्‍वीकारोक्ति दी जाएगी।’ वहीं एक अन्‍य विश्‍लेषक राहुल बेदी कहते हैं कि भारत किसी देश में विदेशी सेनाओं के हस्‍तक्षेप का विरोध करता रहा है। उन्‍होंने कहा कि भारत अफगानिस्‍तान को चार हेलिकॉप्‍टर, तोप के गोले, छोटे हथियार और रेडार दे चुका है। उन्‍होंने कहा कि भारत हथियार तो दे सकता है लेकिन सेना नहीं भेजेगा। उन्‍होंने बताया कि अभी अफगानिस्‍तान में 3100 भारतीय नागरिक मौजूद हैं।

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