हरिनगर चीनी मिल प्रबंधन पर कानूनी कार्रवाई करने की मांग
पर्यावरण के साथ खिलवाड़ कर रहे है चीनी मिलें, केन्द्रीय पर्यावरण संरक्षण बोर्ड करें कार्रवाई -विधायक!
बेतिया से वकीलुर रहमान खान की ब्यूरो रिपोर्ट!
नरकटियागंज( पश्चिमी चंपारण) नरकटियागंज अनुमंडल क्षेत्र के चतुर्भुजवा बनवरिया आदि गांवों में हरीनगर चीनी मिल द्वारा छोड़ी गई जहरीली पानी से 500 किसानों के करोड़ों के हुए नुक़सान के खिलाफ मुआवजा की मांग पर भाकपा-माले का किसान संगठन अखिल भारतीय किसान महासभा के बैनर तले नरकटियागंज अनुमंडल पदाधिकारी के समक्ष धरना-प्रदर्शन किया। मुख्यमंत्री के नाम मांग पत्र में किसान नेताओं ने बर्बाद फसल का मुआवजा देने, केन्द्रीय प्रदुषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा पर्यावरण को नुक़सान पहुंचाने वाले चीनी मिलों पर कार्रवाई करने की मांग, चीनी मिलों द्वारा रामरेखा नदी को कब्जा कर जहरीली पानी में बदल देने आदि पर रोक लगाने।
प्रदर्शन को संबोधित करते हुए भाकपा-माले केन्द्रीय कमेटी सदस्य सह सिकटा विधायक वीरेंद्र प्रसाद गुप्ता ने कहा कि
रामरेखा नदी में हरिनगर चीनी मिल प्रबंधन द्वारा चीनी मिल के टेमा का पानी छोड़ा गया, जिसके वजह से नदी का पानी जहरीला हो गया और वह पानी बनवरिया, बेलवा, लाकड़, अनुरमा आदि गांवों के खेतों में फैलकर करीब 500 से भी अधिक किसानों के खेतों में लगी करोड़ों रुपये के फ़सल को बर्बाद कर दिया है। इस जहरीली पानी ने फसलों के साथ साथ जलीय जीव को भी अपने चपेट में लिया है।
फसलों के साथ साथ पर्यावरण का भी भारी नुक़सान हुआ है , किसान काफी परेशान हैं, लेकिन जिला प्रशासन अब तक कोई प्रभावी कदम नहीं उठाया है। चीनी मिलें प्रतिवर्ष अपने फैक्ट्री का टेमा पानी रामरेखा नदी में छोड़ता है, जिसका पानी खेतों में फैल जाता है, फसल बर्बाद हो जाता है लेकिन मिलों के प्रभाव के चलते चीनी मिलों पर किसी तरह की कानूनी कार्रवाई नहीं होती। इस लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से हस्तक्षेप करने की मांग किया।
अखिल भारतीय किसान महासभा जिला अध्यक्ष सुनील कुमार राव ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि केन्द्रीय सरकार के अधीन काम करने वाली केन्द्रीय प्रदुषण नियंत्रण बोर्ड ने पर्यावरण को नुक़सान पहुंचने वाले चीनी मिलों का चल रहा मनमानी राज पर कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है, यानी चीनी मिलों पर मोदी सरकार का आशिर्वाद प्राप्त हैं, यही कारण है कि इतने बड़े पैमाने पर किसानों के नुक़सान के बावजूद एक भी भाजपा के विधायक, सांसद, नेता किसानों से मिलने तक नहीं पहुंच पाए हैं।
आगे कहा कि प्रधानमंत्री फासल बीमा योजना के बावजूद, बाढ़ – सुखाड़,भोलावृष्टि, जहरीले पानी से फ़सल नुक़सान,और लंपी बीमारी से पशुओं को की मृत्यु, जंगली जानवरों से जान-माल के नुकसान होने के बावजूद कोई मुआवजा नहीं मिल पाता है। किसानों के लिए मुआवजा पैकेज देने के लिए आकलन कमेटी का गठन कराकर मुआवजा देने की व्यवस्था किया जाना चाहिए ताकि किसान भविष्य की खेती करने में सक्षम हो सकें। इनके अलावा केदार राम, सुरेश दुबे, नजरें आलम आदि नेताओं ने भी सभा को सम्बोधित किया।