बगहा में दिल दहला देने वाली घटना: एक ही परिवार के दो बेटे सात महीने में लापता, पुलिस हाथ पर हाथ धरे बैठी ‌रही।

बगहा में दिल दहला देने वाली घटना: एक ही परिवार के दो बेटे सात महीने में लापता, पुलिस हाथ पर हाथ धरे बैठी ‌रही।

Bettiah Bihar West Champaran

बगहा में दिल दहला देने वाली घटना: एक ही परिवार के दो बेटे सात महीने में लापता, पुलिस हाथ पर हाथ धरे बैठी ‌रही।

रामनगर/बगहां से रमेश ठाकुर के सहयोग से बेतिया से वकीलुर रहमान खान की‌ ब्यूरो रिपोर्ट।

बगहां/रामनगर/बेतिया (पच्छिम चम्पारण)
नगर परिषद बगहा के वार्ड नंबर 9 डुमवालिया से एक ऐसी दर्दनाक खबर सामने आई है जिसने पूरे क्षेत्र को झकझोर कर रख दिया है। स्थानीय निवासी नरेश शर्मा के घर की खुशियां पिछले सात महीनों में दो बार उजड़ चुकी हैं। उनके बड़े बेटे करण कुमार (उम्र 19 वर्ष) सात महीने पूर्व रहस्यमय परिस्थितियों में लापता हो गए थे, जिनका अब तक कोई सुराग नहीं लग पाया है। परिजनों ने उस वक्त स्थानीय पटखौली थाना में लिखित शिकायत भी दी थी, लेकिन प्रशासन की उदासीनता के चलते अब तक इस मामले में कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो पाई है।

अब, इस परिवार की पीड़ा और बढ़ गई है। करण ये है कि छोटे भाई सुधांशु कुमार (उम्र 13 वर्ष) भी बीते सप्ताह अचानक लापता हो गए हैं। परिजन दिन-रात उनकी तलाश में भटक रहे हैं, लेकिन अब तक कोई जानकारी नहीं मिल सकी है। यह दूसरी घटना भी उसी तरह संदिग्ध हालात में हुई है जैसे बड़े भाई के साथ हुई थी, जिससे परिजनों के साथ-साथ पूरे गांव में दहशत का माहौल है।

दो बेटों के अचानक और रहस्यमय तरीके से गायब होने से नरेश शर्मा का परिवार गहरे सदमे में है। गांव में मातमी सन्नाटा पसरा हुआ है। ग्रामीणों का कहना है कि इस प्रकार की घटनाएं पहले कभी नहीं हुई थीं। एक ही परिवार के दो मासूम बेटों का लापता होना किसी बड़ी साजिश की ओर इशारा कर रहा है।

वहीं, बगहा पुलिस की कार्यशैली पर सवाल खड़े हो रहे हैं। परिजनों का आरोप है कि पुलिस ने करण के मामले को गंभीरता से नहीं लिया, जिसका नतीजा अब सुधांशु के लापता होने के रूप में सामने आया है। लोगों में आक्रोश है कि आखिर जब पहला बच्चा लापता हुआ, तब ही अगर पुलिस ने समय रहते कार्रवाई की होती, तो शायद दूसरी घटना को रोका जा सकता था।
ग्रामीणों और समाजसेवियों ने इस मामले को लेकर जिला प्रशासन से उच्चस्तरीय जांच की मांग की है। उन्होंने कहा है कि यह सिर्फ एक परिवार का मामला नहीं है, बल्कि पूरे समाज की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़ा करता है। अगर ऐसा ही चलता रहा, तो कोई भी बच्चा सुरक्षित नहीं रहेगा।

अब तक पुलिस की ओर से इस मामले पर कोई ठोस बयान नहीं आया है। सूत्रों के अनुसार, पुलिस केवल खानापूर्ति में लगी हुई है और न तो तकनीकी जांच हो रही है और न ही गंभीरता से सर्च ऑपरेशन। ऐसे में सवाल उठता है – आखिर कब तक लापरवाह प्रशासन के भरोसे लोगों की जिंदगियां तबाह होती रहेंगी?

स्थानीय आम जनता पुलिस प्रशासन से अपील करती हैं कि इस हृदयविदारक मामले को प्राथमिकता देते हुए दोनों बच्चों की बरामदगी के लिए विशेष जांच टीम गठित की जाए। साथ ही पीड़ित परिवार को सुरक्षा और न्याय सुनिश्चित किया जाए।

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