मोतिहारी ने देखा राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय रंगमंडल का सर्वप्रथम नाट्य-प्रदर्शन।
प्रधान संपादक: ललन कुमार सिन्हा
पूर्वी चंपारण: अपने हरक जयंती समारोह (रंग षष्ठी) के अंतर्गत देश-विदेश में भ्रमण कर नाट्य प्रस्तुतियाँ देने वाला दिल्ली का राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय रंगमंडल इन दिनों बिहार प्रवास पर है। यह रंगमंडल पटना, पूर्णिया और बेगूसराय जैसे शहरों में मंचन करने के बाद दुर्गा पूजा के माहौल में 29 सितम्बर, यानी आज, मोतिहारी के महात्मा गांधी प्रेक्षागृह में ‘माई री मैं का से कहूं’ नाटक का प्रदर्शन किया गया। नाटक का उद्घाटन जिला कला संस्कृति पदाधिकारी फहद सिद्दीकी और एन.एस.डी से आए नाट्य प्रबंधक अभिषेक मुद्गल द्वारा संयुक्त रूप से किया गया । मंच का संचालन शिक्षक आदित्य मानस ने किया
‘माई री मैं का से कहूं’ नाटक हिंदी के प्रसिद्ध लेखक विजयदान देथा की कहानी ‘दुविधा’ पर आधारित है। इसमें एक स्त्री के अंतर्मन की दुविधा को मार्मिक और संवेदनशील ढंग से प्रस्तुत किया गया है। संगीत और कलाकारों की अनूठी प्रस्तुति से सजा यह नाटक दर्शकों का केवल मनोरंजन ही नहीं करता, बल्कि उनके मन पर गहरा प्रभाव भी छोड़ता है। इस नाटक का निर्देशन श्री अजय कुमार ने किया है, जिन्होंने इसके लिए संगीत भी संयोजित किया है।
मोतिहारी के महात्मा गांधी प्रेक्षागृह में खेले जाने वाले अन्य दो नाटकों में से पहला नाटक ‘बाबूजी’ है, जो हिंदी के प्रतिष्ठित कथाकार श्री मिथिलेश्वर की कहानी पर आधारित है और जिसका नाट्य रूपांतरण श्री विभांशु वैभव ने किया है। इस नाटक का निर्देशन राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय रंगमंडल के प्रमुख श्री राजेश सिंह ने किया है। इसके साथ इस श्रृंखला का अंतिम नाटक ‘ताजमहल का टेंडर’ होगा, जिसे वरिष्ठ लेखक श्री अजय शुक्ल ने लिखा है और राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के वर्तमान निदेशक श्री चित्तरंजन त्रिपाठी ने निर्देशित किया है। इन दोनों नाटकों का मंचन क्रमशः 30 सितम्बर और 1 अक्टूबर को किया जाएगा।
यह बिहार यात्रा राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय रंगमंडल की 60वीं वर्षगांठ (हीरक जयंती) समारोह का हिस्सा है। यह समारोह अगस्त 2024 से शुरू होकर 2026 तक चलेगा। इस दौरान मंडली भारत के विभिन्न शहरों—ग्वालियर, देहरादून, शिमला, जयपुर, बेंगलुरु और मुंबई—के साथ-साथ रूस, सिंगापुर, श्रीलंका और नेपाल जैसे देशों में भी प्रदर्शन कर चुकी है।