पूरी दुनिया तक पहुंचाया जाएगा महात्मा गांधी का “स्वच्छता ही सेवा है ‍”का संदेश।

पूरी दुनिया तक पहुंचाया जाएगा महात्मा गांधी का “स्वच्छता ही सेवा है ‍”का संदेश।

Bettiah Bihar West Champaran
पूरी दुनिया तक पहुंचाया जाएगा महात्मा गांधी का “स्वच्छता ही सेवा है ‍”का संदेश।

नफरत ,बदले की भावना, हिंसा एवं युद्ध का रास्ता त्याग कर विश्व शांति, अहिंसा एवं मानवता की सेवा को आगे आए समाज के भटके हुए युवा पीढ़ी।

अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस पर सत्याग्रह रिसर्च फाउंडेशन मदर ताहिरा चैरिटेबल ट्रस्ट एवं विभिन्न सामाजिक संगठनों द्वारा ऐतिहासिक गांधी संग्रहालय भितिहरवा आश्रम में किया गया वृक्षारोपण।

छात्र-छात्राओं ने लिया विश्व शांति, स्वच्छता ,मानवता की रक्षा, अहिंसा, पर्यावरण संरक्षण, जलवायु परिवर्तन की रोकथाम, बाल श्रम निषेध, घरेलू हिंसा की रोकथाम, सामाजिक सद्भावना एवं विभिन्न सामाजिक कुरीतियों से मुक्ति का संकल्प।

बेतिया से वकीलुर रहमान खान की बयूरो रिपोर्ट।

गौनाहा (पश्चिमी चंपारण) अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस पर सत्याग्रह रिसर्च फाऊंडेशन मदर ताहिरा चैरिटेबल ट्रस्ट गांधी संग्रहालय भितिहरवा आश्रम एवं विभिन्न सामाजिक संगठनों द्वारा संयुक्त रूप से वृक्षारोपण किया गया । इस अवसर पर पश्चिम चंपारण गांधी संग्रहालय भितिहरवा आश्रम के प्रभारी डॉक्टर शंकर सुमन,ब्रांड एंबेसडर स्वच्छ भारत मिशन सह सचिव सत्याग्रह रिसर्च फाउंडेशन डॉ एजाज अहमद अधिवक्ता, डॉ अमानुल हक द्वारा ऐतिहासिक गांधी संग्रहालय भितिहरवा आश्रम में वृक्षारोपण किया गया। इस अवसर पर ब्रांड एंबेसडर स्वच्छ भारत मिशन नगर निगम बेतिया सह सचिव सत्याग्रह रिसर्च फाउंडेशन डॉ एजाज अहमद अधिवक्ता,डॉ अमानुल हक ने संयुक्त रूप से कहा कि महात्मा गांधी का स्वच्छता ही सेवा है संदेश पूरी दुनिया तक पहुंचाया जाएगा। हमारा यह छोटा सा प्रयास आने वाले दिनों में पर्यावरण संरक्षण एवं जलवायु परिवर्तन की रोकथाम में मिल का पत्थर साबित होगा।के विश्व एवं अनेक राष्ट्रों को भारत का कचरा मुक्त भारत अभियान जलवायु परिवर्तन की रोकथाम के लिए प्रेरित करेगा। इस अवसर पर महात्मा गांधी, कस्तूरबा गांधी,अमर शहीदों ,स्वतंत्रता सेनानियों एवं दुनिया भर में मानवता के लिए काम करने वाले विभूतियों कोों श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि प्रत्येक वर्ष महात्मा गांधी के जन्म दिवस के अवसर पर संयुक्त राष्ट्र संघ के प्रयासों के बदोलत प्रत्येक वर्ष अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में मनाया जाता है। महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को भारत के गुजरात राज्य में हुआ था ।उनका सारा जीवन स्वाधीनता, मानवता एवं सामाजिक बंधुत्व के लिए रहा। महात्मा गांधी ने दक्षिण अफ्रीका में अंग्रेजों के अत्याचारों से मुक्ति, अफ्रीकी, एशियाई लोगों के नागरिक अधिकारों के लिए आंदोलन के बाद भारत की स्वाधीनता एवं एवं सामाजिक कुरीतियों से मुक्ति के लिए सर्वप्रथम भारत के बिहार राज्य के बेतिया चंपारण में 1917 में आंदोलन का आरंभ किया था। महात्मा गांधी ने चंपारण सत्याग्रह के लिए शाम 5:00 बजे 22 अप्रैल 1917 को रेल से महात्मा गांधी बेतिया पहुंचे थे। उनका स्वागत महान स्वतंत्रता सेनानी पंडित राजकुमार शुक्ल ,पीर मोहम्मद मुनीश जैसे चंपारण की हजारों विभूतियों ने किया था । मौलाना मजहरूल हक एवं राजेंद्र प्रसाद ने अहम भूमिका निभाई थी। 22 अप्रैल 1917 को बेतिया के ऐतिहासिक हजारीमल धर्मशाला में चंपारण सत्याग्रह कार्यालय की आधारशिला रखी थी। साथ ही अंग्रेजों के अत्याचार एवं नील के अभिशाप से चंपारण के किसानों के मुक्ति के लिए चंपारण जांच कमेटी के समक्ष 16 जुलाई 1917 को ऐतिहासिक हजारीमल धर्मशाला एवं 17 जुलाई 1917 को 10,000 से ज्यादा किसानों ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के नेतृत्व में चंपारण जांच समिति के समक्ष अपना बयान दर्ज कराया था । आखिरकार अंग्रेजो को अपने दोषपूर्ण कानून को 1918 मे बदलना पड़ा। देखते ही देखते लगभग 30 वर्षों के अंदर ही भारत अंग्रेजों के गुलामी से आजाद हो गया। इस अवसर पर
डॉ एजाज अहमद,डॉ शाहनवाज अली, प्रज्ञान अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय के चांसलर डॉ सुरेश कुमार अग्रवाल जाने-माने सामाजिक कार्यकर्ता नवीदू चतुर्वेदी ने संयुक्त रूप से कहा कि आज पूरा विश्व आज पूरा विश्व युद्ध एवं हिंसा से जूझ रहा है। महात्मा गांधी के आदर्शों एवं मूल्यों से ही विश्व में स्थाई शांति लाई जा सकती है। इस मंच से महात्मा गांधी का स्वच्छता ही सेवा है संदेश पूरी दुनिया तक पहुंचाया जाएगा। इस अवसर पर वक्ताओं ने छात्र छात्राओं को विश्व शांति, अहिंसा, स्वच्छता ,पर्यावरण संरक्षण, जलवायु परिवर्तन की रोकथाम, बाल श्रम की रोकथाम ,सिमा पार मानव व्यापार रोकथाम ,घरेलू हिंसा की रोकथाम एवं विभिन्न सामाजिक कुरीतियां से मुक्ति का संकल्प दिलाया गया ।इस अवसर पर वक्ताओं ने विश्व की नई पीढ़ी से आह्वान करते हुए कहा कि हिंसा एवं युद्ध छोड़कर मुख्यधारा में शामिल हो समाज के भटके हुए युवा पीढ़ी। आधुनिक सभ्य समाज में हिंसा एवं युद्ध के लिए कोई जगह नहीं है। जटिल समस्याओं का हल शांतिपूर्ण तरीके से आपसी बातचीत से ही संभव है। विश्व शांति एवं मानवता की रक्षा के लिए महात्मा गांधी के विचार प्रासंगिक है ।जिससे मानव जाति को युद्ध एवं हिंसा से बचाया जा सकता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *