मौके पर पहुंची पुलिस तो मामला हुआ शांत।
हंगामा की भनक लगते ही कार्यालय छोड़कर चली गई महापौर।
बाइक देने से महापौर ने किया इनकार, कहां निगम आयुक्त से ले*ले लीजिए बाइक।
कार्यालय कर्मी दिनभर कार्यालय से रहे बाहर।
बेतिया से वकीलुर रहमान खान की ब्यूरो रिपोर्ट।
बेतिया (पच्छिम चम्पारण)
बेतिया नगर निगम कार्यालय के समक्ष आज दिन भर निगम पार्षदो ने जमकर बवाल काटा, प्रदर्शन किया, तथा बाद में निगम कार्यालय के मुख्य गेट पर धरने पर बैठ गए। पुलिस शांति व्यवस्था के लिए खड़ी रही। निगम पार्षद जमकर नारेबाजी करते रहे। मामला निगम आयुक्त के द्वारा 15 लाख तक के ठेकेदारी के कार्यों को विभागीय स्तर से ना कराकर उसे टेंडर करने को लेकर था।। इसके अलावा शिलान्यास पटपर नाम लिखने का विवाद भी चर्चा का विषय बना हुआ है।
बताते चले कि नगर निगम कार्यालय के द्वारा बिहार सरकार के विभागीय आदेश के बावजूद 15 लाख से नीचे की योजनाओं का टेंडर नगर आयुक्त के द्वारा करके प्रकाशित कर दिया गया। इसके अलावा अन्य कई भ्रष्टाचार के मुद्दों का नगर निगम पार्षदों के द्वारा नारों के माध्यम से आरोप लगाया गया । इन तमाम बातों को लेकर जब महापौर से संपर्क किया गया तथा पूछा गया कि यह धरना प्रदर्शन और नारा क्यों हो रहा है ,तो उनका जवाब था कि नगर आयुक्त से बात कर लीजिए और वह कार्यालय से चली गई। नगर आयुक्त से जब संपर्क साधकर जाननेकी बात की गई तो उन्होंने खबर दिया कि सरकार से भी सी चल रही है । उसके बाद आप लोगों से बात करेंगे। लगातार कई घंटे तक खड़ा रहने के बावजूद नगर आयुक्त मिलने से कतराते रहे । उधर सभी नगर पार्षद मुख्य गेट पर धरने पर अड़े रहे। नगर आयुक्त कार्यालय कर्मी सुबह 10:00 बजे से ही अपना-अपना काम छोड़कर आयुक्त कार्यालय से बाहर घूमते नजर आए। पूछे जाने पर उन लोगो ने बताया कि नगर निगम पार्षदों ने काम नहीं करने की नसीहत दी, तथा काफी भला बुरा कहा जिसके चलते निगम कार्यालय कर्मी काम नहीं कर रहे हैं,।कुल मिलाकर यह कहा जाए की जब बेतिया नगर निगम बना उसके दशकों पहले से ही नगर परिषद कार्यालय काफी भ्रष्टाचार का आखड़ा बना रहा है। जिसको को लेकर कई मामले कोर्ट में लंबित है और कितने लोग आज भी कोर्ट से जमानत पर हैं। निगम में बहुत सारे मामले नगर आयुक्त की मनमानी रवैया से चर्चा का विषय है। निष्पक्ष एवं बुद्धिजीवी लोगों का मानना है कि 15 लाख से नीचे के टेंडर वाले राशि का कार्य, बिहार सरकार के विभागीय आदेश से विभागीय अधिकारियों के द्वारा कराया जाता था जिसकी ठेकेदारी निगम पार्षद अपने इच्छा अनुसार करवाते थे ।जिसमें काफी सारा गड़बड़ कार्य हो रहा था,। इन्हीं बातों के मद्दे नजर नगर आयुक्त के द्वारा टेंडर कर विभागीय नहीं करने का फैसला लेकर ऐसा किया गया है। धारना प्रदर्शन करने वाले निगम पार्षदों में लगभग दो दर्जन से ज्यादा पार्षद नजर आए।