चुनावआयोग का फैसला गलत,आधार कार्ड,वोटर आईडी कार्ड की मान्यता परप्रश्न चिन्ह।

चुनावआयोग का फैसला गलत,आधार कार्ड,वोटर आईडी कार्ड की मान्यता परप्रश्न चिन्ह।

Bettiah Bihar West Champaran

चुनावआयोग का फैसला गलत,आधार कार्ड,वोटर आईडी कार्ड की मान्यता परप्रश्न चिन्ह।

बेतिया से वकीलुर रहमान खान की‌ ब्यूरो रिपोर्ट।

बेतिया(पच्छिम चम्पारण)
भारत के निर्वाचन आयोग ने अपने द्वारा ही जारी मतदाता पहचान कोअविश्वसनीय मान लिया है,इतना ही नहीं, मतदाता बनने के लिए भारत सरकार नेआधार कार्ड को भी बेमतलब साबित कर दिया है। बिहार में मतदाता बनने के लिए जिन11दस्तावेजों की सूची जारी की गई है,उसमें चुनावआयोग ने मतदाता पहचान पत्र,आधार कार्ड या मनरेगा कार्ड को जगह नहीं मिली है।

मतदाता बनने के लिए जिनको सबसे विश्वसनीय बताया गया है उसमें कुल11दस्तावेजों में प्रमुख है,पासपोर्ट,बर्थ सर्टिफिकेट,जाति प्रमाण पत्र, हाई स्कूल सर्टिफिकेट।अब बिहार में इनकी असलियत देखिए,बिहार में पासपोर्टधारी लोगों की संख्या इस वक्त 2.4% बताई गई है,बर्थ सर्टिफिकेट रखने वालों की संख्या काआंकड़ा 2.8% है,

बिहार सरकार द्वारा 2023 में जारी जातिवार जनसंख्या सर्वेक्षण में कक्षा 9 से 10 तक पढ़े लोगों की संख्या 14.71% बताई गई है,इनमें कितने लोगों के पास हाई स्कूल सर्टिफिकेट होगा,यह बताना मुश्किल है,क्योंकि 14.71% का आंकड़ा 9 से 10 तक पढ़े लोगों का है,हाई स्कूल के परीक्षा पास लोगों का नहीं।विशेष मतदाता सूची पुनरीक्षणअभियान शुरू करने से पहलेआयोग को बिहार कीआबादी के इन तथ्यों की जानकारी नहीं थी? चुनावआयोग के इस
अभियान का मतलब बोगस, संदिग्ध लोगों को मतदाता सूची से निकलना है या फिर बिहार के करोड सेअधिक
सहीऔर दुरुस्त किंतु गरीब, अपेक्षाकृत कम पढ़े या अशिक्षित मतदाताओं को वोटर लिस्ट से बाहर निकलना है ।

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