115 वी सत्याग्रह आंदोलन के शुभारंभ के अवसर पर स्कूली छात्र छात्राओं ने लिया संकल्प

115 वी सत्याग्रह आंदोलन के शुभारंभ के अवसर पर स्कूली छात्र छात्राओं ने लिया संकल्प

Bettiah Bihar

 

बेतिया न्यूज़ ब्यूरो वकीलुर रहमान खान, स्थानीय शहीद पार्क में सत्याग्रह आंदोलन “, महात्मा गांधी का अहिंसक आंदोलन आज भी पूरे विश्व के लिए प्रासंगिक, महात्मा गांधी द्वारा रंगभेद नीति एवं नागरिक अधिकारों की रक्षा लिए दक्षिण अफ्रीका में सर्वप्रथम सत्याग्रह आंदोलन आरंभ किए जाने की 115 वीं वर्षगांठ पर छात्र-छात्राओं ने लिया बालश्रम उन्मूलन, घरेलू हिंसा की रोकथाम एवं बाल अधिकारों की रक्षा का संकल्प, आज दिनांक 11 सितंबर 2021 को सत्याग्रह रिसर्च फाउंडेशन के तत्वधान में विभिन्न सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों, बुद्धिजीवियों एवं छात्र छात्राओं ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी द्वारा रंगभेद नीति के विरुद्ध एवं अधिकारों की रक्षा लिए सर्वप्रथम दक्षिण अफ्रीका में सत्याग्रह आंदोलन आरंभ किए जाने की 115 वी वर्षगांठ पर बेतिया के ऐतिहासिक शहीद स्मारक के प्रांगण में एक भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया, इस अवसर पर डॉ0 एजाज अहमद (अधिवक्ता ) प्रधानाध्यापिका राज कन्या बालिका मध्य विद्यालय के सुधा कुमारी, डॉ0 सुरेश कुमार अग्रवाल चांसलर प्रज्ञान अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय झारखंड ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, स्वतंत्रता सेनानियों, भारतीय मूल के दादा भाई अब्दुल्लाह एंड कंपनी एवं एशियाई अफ्रीकी नागरिकों अधिकारों के लिए संघर्ष करने वाले विभूतियों को श्रद्धांजलि अर्पित की जिन्होंने 1906 में महात्मा गांधी के नेतृत्व में आधुनिक इतिहास के प्रथम सत्याग्रह दक्षिण अफ्रीका में रंगभेद नीति एवं नागरिक अधिकारों के लिए सत्याग्रह आंदोलन में भाग लिया था! इस अवसर पर छात्र छात्राओं ने बाल अधिकारों की रक्षा, बालश्रम उन्मूलन , बाल विवाह एवं बच्चों बच्चियों एवं महिलाओं पर होने वाले घरेलू हिंसा की रोकथाम के लिए संकल्प लिया, इस अवसर पर अंतरराष्ट्रीय पीस एंबेसडर सह सचिव सत्याग्रह रिसर्च फाउंडेशन डॉ0 एजाज अहमद (अधिवक्ता) एवं डॉ0 सुरेश कुमार अग्रवाल चांसलर प्रज्ञान अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय झारखंड ने विजुअल कार्यक्रम के माध्यम से कहा कि आज ही के दिन महात्मा गांधी ने 11 सितंबर 1906 को दक्षिण अफ्रीका में रंगभेद नीति के विरुद्ध एवं नागरिक अधिकारों के लिए सत्याग्रह आंदोलन दक्षिण अफ्रीका में आरंभ किया था!

दक्षिण अफ्रीका के जोहान्सबर्ग के एक थिएटर में लगभग 3000 से अधिक भारतीय एशियाई अफ्रीकी मूल के लोग महात्मा गांधी के नेतृत्व में एकत्र हुए थे, एकत्रित होने से पहले गांधी ने दक्षिण अफ्रीका में नस्लवादी नीतियों का विरोध करने के लिए अहिंसक प्रतिरोध की रणनीति का आयोजन किया। आधुनिक मानव इतिहास में सत्याग्रह का पुन: जन्म हुआ और तब से, इसे दुनिया भर के कई महान विभूतियों ने स्वाधीनता, सामाजिक अन्याय एवं उत्पीड़न का विरोध करने के लिए अपनाया है।
महात्मा गांधी ने इसका इस्तेमाल भारत में सर्वप्रथम 1917 में चंपारण सत्याग्रह के माध्यम से बेतिया चंपारण की धरती पर अंग्रेजों के अत्याचार से त्रस्त किसानों एवं मजदूरों को अंग्रेजों से आजादी हासिल करने के लिए किया था। रेवरेंड मार्टिन लूथर किंग ने संयुक्त राज्य अमेरिका में अलगाव का विरोध करने के लिए इसका इस्तेमाल किया और नेल्सन मंडेला ने रंगभेद को समाप्त करने के लिए दक्षिण अफ्रीका में इसका इस्तेमाल किया। खान अब्दुल गफ्फार बादशाह खान ने भारत की स्वाधीनता के बाद पाकिस्तान अफ़गानिस्तान मे वास्तविक शांति समृद्धि एवं विकास लाने के लिए पाकिस्तान एवं अफगानिस्तान के कबायली इलाकों में महात्मा गांधी के सत्याग्रह आंदोलन का नेतृत्व किया था! बांग्लादेश के संस्थापक शेख मुजीबुर रहमान ने बांग्लादेश की स्वाधीनता के लिए महात्मा गांधी के सत्याग्रह एवं अहिंसा का मार्ग पर चलते हुए 1971 में स्वतंत्र बांग्लादेश राष्ट्र की स्थापना की! फलस्तीनी मुक्ति मोर्चा के संस्थापक स्वर्गीय यासिर अराफात, इजराइली नेता इसहाक रविन ने पश्चिम एशिया में स्थाई शांति स्थापित करने का ऐतिहासिक प्रयास किया था! तिब्बत के आध्यात्मिक नेता दलाई लामा ने महात्मा गांधी के विचारों से तिब्बत को स्वतंत्र कराने में संघर्षरत हैं! इस अवसर पर डॉ एजाज अहमद, डॉ0 सुरेश कुमार अग्रवाल डॉ0 शाहनवाज अली ,अमित कुमार लोहिया ने कहा कि महात्मा गांधी के सत्याग्रह आंदोलन एवं सत्य अहिंसा के विचार आज भी पूरी दुनिया के लिए प्रासंगिक है !महात्मा गांधी के विचारों से ही विश्व के अशांत क्षेत्रों में जैसे फलस्तीन, इजराइल ,सीरिया, यमन, लेबनान ,इराक, अफगानिस्तान ,लीबिया युगांडा ,तिब्बत, मयांमार जैसे विभिन्न देशों में स्थाई शांति लाई जा सकती है!

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