पूर्वी चंपारण/घोड़ासहन:-14 अप्रैल 2020 को हड़ताली शिक्षकों ने मनाया संकल्प दिवस।सहायक शिक्षक,राज्यकर्मी का दर्जा एवं पुराने शिक्षकों की भाँति वेतनमान व समान सेवाशर्त को लेकर विगत 17 फरवरी से ही शिक्षकों की हड़ताल जारी है । हड़ताल में बिहार के तमाम सरकारी विद्यालयों के शिक्षक शामिल हैं । आंकड़ों के मुताबिक़ यह बिहार की अबतक की सबसे सघन और व्यापक भागीदारीवाली शिक्षक हड़ताल है। इस बीच कोरोना महामारी के दस्तक ने हड़ताली शिक्षकों के सामने नई चुनौतियाँ खड़ी की है वाबजूद इसके वे आपदा के मद्देनजर अपने सामाजिक दायित्व का पालन करते हुए लोगों के बीच गये।
जागरूकता अभियान चलाये। यथासंभव मास्क ,सेनेटाइजर ,ग्लब्स इत्यादि बांटे। लाकडाउन का पालन करते हुए शिक्षकों ने बार बार सरकार से शिक्षकों के मसले पर निर्णय लेने का आग्रह किया । लेकिन सरकार ने, तमाम विभागीय कामकाजों में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेने वाले अपने नियोजित शिक्षकों के मांगों को नजरअंदाज करते हुए उनके वेतन बंद करते हुए धमकी और दमन का सिलसिला जारी रखा है ! इस बीच शिक्षामंत्री ने बिनाशर्त हड़ताली शिक्षकों से काम पर वापस लौटने की अपील की है !
शिक्षकों ने शिक्षामंत्री के इस अपील को बेतुका करार दिया है| शिक्षक आन्दोलन के दमन और हड़ताल पर सरकार की संवेदनहीन चुप्पी के खिलाफ बिहार राज्य शिक्षक संघर्ष समन्वय समिति ने आज 14 अप्रैल को संविधान और भारतीय गणराज्य के निर्माता बाबा साहब डा भीमराव आंबेडकर के जयंती को संकल्प दिवस के रूप में मनाया । लॉकडाउन के बीच अपने-अपने घरों में बाबा साहब के तैलचित्रों पर पुष्पार्पण करते हुए हड़ताली शिक्षकों ने प्रदेशभर में संविधान की प्रस्तावना एवं आंदोलन के संकल्पपत्र का पाठ किया। इस दौरान शिक्षकों ने संघर्ष के दौरान शहीद होनेवाले शिक्षकों को भी श्रद्धांजलि दी।
बिहार राज्य शिक्षक संघर्ष समन्वय समिति अध्यक्ष मंडल से राहुल सिंह, मुकेश सिंह, रत्नेश कुमार, प्रकाश कुमार, हफ़िज़ूर रहमान, सुनील कुमार सचिव मण्डल से संतोष सिंह, श्यामकिशोर प्रसाद, ब्रजेन्द्र कुमार,राकेश कुमार, अनिल कुमार,जितेंद्र कुमार, राजू बैठा , राधामोहन राम, विजय राम, मो. दाऊद, मीडिया प्रभारी मण्डल से नुरुल होदा, रामनिवास मौर्यवंशी समेत घोड़ासहन प्रखंड के सभी हड़ताली शिक्षकों ने आज बाबा साहेब के जयंती को प्रकाशोत्सव के रूप में मनाते हुए यह संकल्प लिया कि जबतक सरकार हड़ताली शिक्षकों के मसले पर संवेदनशीलता के साथ ठोस पहल करके निर्णय नही लेती तबतक शिक्षक हड़ताल पर डटे रहेंगे।
दर्जनों शिक्षकों का जान ले चुकी भेदभाव व शोषण की सरकारी नीति कोरोना वायरस से कम घातक नही है। हड़ताल के दौरान अबतक सैंतालीस से भी अधिक शिक्षकों का असमय निधन हो चुका है। तक़रीबन तीस हजार से भी अधिक शिक्षक, बर्खास्तगी निलंबन और प्राथमिकी जैसी कारवाई का शिकार हुए हैं। उनकी कुर्बानी के लिए जिम्मेदार सरकार कोरोना के नाम पर ब्लेम गेम करना बंद करे।
शिक्षक न्याय मोर्चा जिलाध्यक्ष श्री राहुल सिंह ने कहा “अगर सरकार में शिक्षकों के प्रति रत्तीभर भी संवेदना है तो उसे शिक्षा के अधिकार कानून का अनुपालन सुनिश्चित करते हुए हड़ताली शिक्षकों के मसले पर सकारात्मक निर्णय लेनी चाहिए। अपने जायज संवैधानिक श्रमिक हकों के लिए संघर्षरत शिक्षकों का तिरस्कार नीतीश सरकार के सामाजिक न्याय और गुड गवर्नैंस की पोल भी खोल रहा है।”