अपने बच्चों को आँचल से ममता रूपी छाया प्रदान करने वाली समस्त माताओं को सैंड आर्टिस्ट मधुरेन्द्र ने किया चरणस्पर्श।

अपने बच्चों को आँचल से ममता रूपी छाया प्रदान करने वाली समस्त माताओं को सैंड आर्टिस्ट मधुरेन्द्र ने किया चरणस्पर्श।

Bihar East Champaran
अपने बच्चों को आँचल से ममता रूपी छाया प्रदान करने वाली समस्त माताओं को सैंड आर्टिस्ट मधुरेन्द्र ने किया चरणस्पर्श।

मोतिहारी, पूर्वी चंपारण : मां भगवान का बनाया गया सबसे नायाब तोहफा है। हर साल मई के दूसरे रविवार को मदर्स डे मनाया जाता है। मातृ दिवस पर रेत कला के महानायक मशहूर सैंड आर्टिस्ट मधुरेन्द्र ने रविवार को अपने दादी माँ को गले लगाते अनयास बोल उठे दुनियां की हर एक माँ स्वयं तपती धूप सहकर, अपने बच्चों को आँचल से ममता रूपी छाया प्रदान करने वाली समस्त माताओं को चरणस्पर्श करता हूं।

आज के दिन मां की ममता के प्रति आभार जताने का अवसर है। लोग इस दिन को पूरी तरह अपनी मां को समर्पित करते हैं। मधुरेन्द्र ने बताया कि 1912 में मदर्स डे की शुरूआत अमेरिका से हुई। एना जार्विस एक प्रतिष्ठित अमेरिकन एक्टिविस्ट थीं, जो अपनी मां से बेहद प्यार करती थीं।

उन्होंने कभी शादी नहीं की। उनकी कोई संतान भी नहीं थी। मां की मौत होने के बाद प्यार जताने के लिए उन्होंने इस दिन की शुरुआत की। जिसे बाद में 10 मई को पूरी दुनिया में मनाने की परंपरा शुरू हुई। मां भगवान का बनाया गया सबसे नायाब तोहफा है।

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