बिहार शिक्षा मंच के संयोजक, स्नातकोत्तर शिक्षक संघ, जे पी यू, छपरा के सचिव तथा सारण शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र के लोकप्रिय प्रत्याशी प्रो रणजीत कुमार ने ईमेल से बिहार सरकार के शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव आर के महाजन को पत्र भेजकर नियोजित शिक्षकों की ग़ैरवित्तीय एवम तात्कालिक समस्याओं के निदान की मांग करते हुए कहा कि बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ और शिक्षा विभाग के बीच सम्पन्न वार्ता के आलोक में शिक्षक हड़ताल से वापस लौट गए हैं और जरूरत के हिसाब से इन शिक्षकों की सेवा क्वारेंटिंन सेंटर पर लगाई जा रही है।
लेकिन अन्य स्वास्थ्य कर्मियों की तरह यदि इनकी मौत होती है तो 50 लाख रुपए इनके आश्रित को देने का अभी प्रावधान नहीं किया गया है जो अनुचित है अतः सरकार स्वास्थ्य कर्मियों को प्रदत सुविधाओं से शिक्षकों को भी आच्छादित करे तथा संक्रमण से बचाव के लिए जरूरी सुरक्षा किट भी उपलब्ध कराए।
4 मई के समझौते में उल्लेख है कि तोड़ फोड़ में शामिल शिक्षकों को छोड़कर शेष शिक्षकों पर से दंडात्मक कार्रवाई वापस ले लिया जाएगा।विदित हो कि आंदोलन पूरी तरह से शांतिपूर्ण था और कहीं कोई तोड़ फोड़ नहीं हुआ था।शिक्षकों को डराने धमकाने के इरादे से कुछ जगहों पर पुलिस प्रशासन ने तोड़ फोड़ एवम सरकारी कार्य में बाधा डालने संबंधी फर्जी मुकदमा दर्ज किया था।
दंडात्मक कार्रवाई वापस लेने में भी एकरूपता नहीं है।कुछ जिलों में तो निलंबन को वापस ले लिया गया या प्रक्रियाधीन है लेकिन बेगूसराय में 10 निलंबित शिक्षकों पर समझौते के उपरांत प्रपत्र ‘क’ गठित करने का मामला प्रकाश में आया है।अतः शिक्षकों के विरुद्ध हर प्रकार की दंडात्मक कार्रवाई वापस लेने संबंधी निर्देश संबंधित अधिकारियों को अविलंब जारी किया जाए ताकि सौहार्दपूर्ण वातावरण का निर्माण हो सके।प्रो कुमार ने आगे लिखा है।
सरकार के निदेशानुसार अभी शिक्षकों को फरवरी माह में कार्यरत दिनों का ही वेतन भुगतान किया जा रहा है जबकि कोरोना संकट की वजह से सभी स्थायी अस्थायी कर्मचारियों को बिना उपस्थिति विवरणी के तीन माह तक वेतन भुगतान का सरकार ने निर्णय लिया है तो फिर केवल नियोजित शिक्षकों के साथ भेदभाव एवम अन्याय क्यों?हालात को देखते हुए फरवरी से अप्रैल तक का वेतन एकमुश्त भुगतान किया जाए।
विगत 14 बरसों में सैकड़ों नियोजित शिक्षक सेवाकाल में दिवंगत हुए हैं लेकिन सरकार की नीतिगत विफलता एवम उदासीनता की वजह से उनके किसी आश्रित को अबतक अनुकम्पा पर नौकरी नहीं मिली है।सेवाकाल में असामयिक निधन होने पर अभी 4 लाख रुपए आपदा राहत से देने का प्रावधान है लेकिन वह भी लालफीताशाही की वजह से ससमय नहीं मिल पाता है।
कुल मिलाकर नियोजित शिक्षकों का वर्तमान और उनके परिवार का भविष्य असुरक्षित है।इसलिए सेवाकाल में दिवंगत शिक्षकों के आश्रित को नौकरी देने संबंधी प्रावधान को अविलंब लागू किया जाए।आश्रित यदि स्नातक हैं तो उन्हें शिक्षक पद पर नियुक्त कर सेवाकालीन प्रशिक्षण की व्यवस्था किया जाए साथ ही अनुग्रह राशि 4 लाख से बढ़ाकर 10 लाख किया जाए।
कोरोना महामारी को देखते हुए वेतनमान देने पर हालात सामान्य होने पर विचार किया जा सकता है लेकिन ग़ैरवित्तीय मांगों जैसे शिक्षकों को पंचायती राज के नियंत्रण से मुक्त कर राज्यकर्मी का दर्जा ,अंतरजिला स्थानांतरण, नियोजित शब्द को विलोपित कर सहायक शिक्षक का दर्जा ,7 वर्ष की सेवा अवधि की सीमा को समाप्त कर सवैतनिक अध्ययन अवकाश का प्रावधान, सेवा निरंतरता, उत्क्रमित माध्यमिक विद्यालयों को मध्य विद्यालय से अलग करने जैसे मुद्दों पर अविलंब सकारात्मक निर्णय लिया जाए।इससे सरकार और शिक्षकों के बीच विश्वास का वातावरण निर्मित होगा जो राज्यहित में भी होगा और शिक्षक हित में भी।