मॉर्डन टेक्नोलॉजी के माध्यम से मछली पालन कराते हुए बढ़ायें प्रोडक्शन।
फिशरिज एलायड क्षेत्र में तीव्र गति से कार्रवाई करने का निदेश।
बेतिया न्यूज़ ब्यूरो वकीलुर रहमान खान जिलाधिकारी, श्री कुंदन कुमार द्वारा आज कार्यालय प्रकोष्ठ में मत्स्य उत्पादन एवं उत्पादकता में गुणात्मक वृद्धि के साथ-साथ मछुआरों/मत्स्य कृषकों के आर्थिक उत्थान हेतु किये जा रहे कार्यों की समीक्षा की गयी।
समीक्षा के क्रम में जिला मत्स्य पदाधिकारी द्वारा बताया गया कि वर्तमान में जिले में 25 हजार मिट्रिक टन मछली की खपत है। जिले में 18 हजार मिट्रिक टन मछली का उत्पादन किया जा रहा है। शेष मछली अन्यत्र जगहों से मंगाया जाता है। जिलाधिकारी ने निदेश दिया कि इस गैप का एनालिसिस करें। जिले में जितनी मछली की खपत है, उतनी मछली का उत्पादन यही पर कराने के लिए कार्ययोजना तैयार करें। ऐसा प्रयास करें कि पश्चिम चम्पारण जिले की मछली अन्य जिलों, राज्यों में भी भेजी जा सके। साथ ही जिन जगहों पर मत्स्य उत्पादन की संभावना है, परंतु किसी कारणवश उत्पादन नहीं हो रहा है, वहां अविलंब मछली उत्पादकता से संबंधित अग्रतर कार्रवाई सुनिश्चित करें।
जिलाधिकारी ने कहा कि मछली उत्पादकता में पश्चिम चम्पारण जिला को अग्रणी बनाने हेतु सभी प्रकार के आवश्यक उपाय किये जाय। पश्चिम चम्पारण जिले को मछली उत्पादकता में आत्मनिर्भर बनाने की असीम संभावनाएं है, आवश्यकता है विस्तृत कार्ययोजना तैयार कर प्रभावी ढ़ंग से अनुपालन करना। उन्होंने कहा कि फिशरिज के क्षेत्र में नये युवाओं को प्रोत्साहित करना है और पुराने लोगों की आमदनी कैसे बढ़े, इस हेतु कार्रवाई करें।
उन्होंने कहा कि फिशरिज एंड एलायड क्षेत्रों में बेहतर कार्य करने की आवश्यकता है। इससे एक तरफ जिले का विकास होगा वहीं फिश फॉर्मरों की आर्थिक स्थिति मजबूत होगी तथा अधिक से अधिक लोगों को रोजगार भी उपलब्ध हो सकेगा। इससे संबंधित आकलन करते हुए मैपिंग करायें। उन्होंने कहा कि फिशरिज एलायड अर्थात मछली उत्पादन के साथ-साथ मखाना, पर्ल (मोती), मुर्गी, बतख, फूल, केले आदि की उत्पादकता को बढ़ावा देना है। एक ही तालाब से किसानों को डबल, ट्रिपल लाभ दिलाने का प्रयास करें। आधुनिक टेक्नोलॉजी के माध्यम से मछली पालन कराते हुए प्रोडक्शन बढ़ायें।
उन्होंने कहा कि मछली उत्पादकता में वृद्धि लाने एवं अधिक से अधिक लोगों को रोजगार उपलब्ध कराने के उदेश्य से एग्री प्रेमियरर्स तैयार करें। इंटीग्रेटेड फार्मिंग का मॉडल जिले में विकसित करें। साथ ही जिले सहित अन्य स्थलों पर मार्केटिंग की व्यवस्था से संबंधित विस्तृत रिपोर्ट तैयार करें।
उन्होंने कहा कि सरकार एवं जिला प्रशासन कृतसंकल्पित है। इस हेतु संबंधित अधिकारियों को तीव्र गति से तत्परतापूर्वक कार्य करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि आधारभूत संरचनाओं के विकास के साथ ही पोस्ट हॉरवेस्ट मैनेजमेंट के तहत मत्स्य पालकों एवं उनके परिवारों को विभिन्न सरकारी योजनाओं का लाभ मुहैया करायी जाय।
जिला मत्स्य पदाधिकारी द्वारा बताया गया कि एफपीओ (फिश फॉर्मर प्रोड्यूशर ऑर्गनाईजेशन) एवं इंटीग्रेटेड फिश फॉर्मिंग के तहत शीघ्र ही कारगर कार्रवाई की जायेगी। नये तकनीक के माध्यम से मछली पालन कराते हुए प्रोडक्शन को बढ़ाया जायेगा ताकि पश्चिम चम्पारण जिला मछली उत्पादकता में आत्मनिर्भर हो सके तथा अन्य जिलों, राज्यों को भी मछली विक्रय कर सके।
समीक्षा बैठक में जिला मत्स्य पदाधिकारी को निदेश दिया गया कि मछुआ एवं मत्स्य कृषकों की आय को दोगुना करने एवं रोजगार के सृजन के संदर्भ में कार्ययोजना तैयार कर अग्रतर कार्रवाई करना सुनिश्चित करें। साथ ही मत्स्य पालकों के समक्ष क्या-क्या कठिनाईयां हैं, इसकी विस्तृत रिपोर्ट तैयार करें ताकि उनकी समस्याओं का निराकरण करते हुए उनको प्रशासनिक स्तर पर सहायता मुहैया करायी जा सके।
जिलाधिकारी ने कहा कि मत्स्य बीज हैचरी का अधिष्ठापन, रियरिंग तालाब का निर्माण, नया तालाब निर्माण, उन्नत इनपुट योजना, बॉयोफ्लॉक तालाब निर्माण, जलाशयों में मत्स्य अंगुलिकाओं का संचयन, आद्रभूमि में मत्स्य अंगुलिकाओं का संचयन, अलंकारी मछलियों का संवर्द्धन इकाई, मध्यम आकार का अलंकारी मछलियों का संवर्द्धन इकाई, समेकित अलंकारी मछलियों की इकाई, लघु आकार के आरएएस का अधिष्ठापन, जलाशय/आर्द्रभूमि में केज का अधिष्ठापन आदि कार्य कराकर मत्स्य उत्पादकता में वृद्धि लायी जाय।
उन्होंने कहा कि मत्स्य पालकों की सुविधा के मद्देनजर उन्हें ऑइस-प्लांट/कोल्ड स्टोरेज, रेफ्रिजेरेटेड वाहन, मोटरसाइकिल ऑइस बॉक्स, साईकिल ऑइस बॉक्स, इनसुलेटेड वाहन, मोबाईल फिश किऑस्क सहित मत्स्य एवं मत्स्य उत्पादों के ई-ट्रेडिंग एवं ई-मार्केटिंग हेतु ई-प्लेटफॉर्म जैसी आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु कारगर कदम उठायी जाय।
इस बैठक में जिला मत्स्य पदाधिकारी, श्री गणेश राम सहित अन्य अधिकारी उपस्थित रहे।