सिकटा संवाददाता अमर कुमार की रिपोर्ट, कहते है गुरुदक्षिणा के बिना गुरु का दिया हुआ ज्ञान फलीभूत नही होता है।तो छात्र गुरुदक्षिणा में हस्तकला से बनाये हुए सामानों को बतौर गुरुदक्षिणा में गुरु जी को समर्पित कर देते थे।अब समय के साथ साथ गुरु की शिक्षा भी हाइटेक हो गया,और गुरुदक्षिणा की बात पूछनी बेमानी हो जाएगी।अब तो शिक्षा पूर्ण रूप से व्यवसाय का रूप पकड़ लिया है।छात्रों की शिक्षा अब अवैध रूप व मनमाने ढंग से वसूले जा रहे फीस पर अटक कर रह गई है।शिक्षक दिवस के अवसर पर कोचिंग संस्थानों की चांदी कट रही है।उपहार के तौर पर महंगे गिफ्ट की फरमाइश कर छात्रों पर अतिरिक्त बोझ डाल दिया जा रहा है।छात्र जैसे तैसे जुगाड़ कर पैसे का इंतजाम कर शिक्षकों को महंगे गिफ्ट दे रहे है।हालांकि यह परंपरा की शुरुआत लगभग 5 सालों से चल रही है।छात्रों की जुबानी गिफ्ट में बाइक, टेलीविजन, फ्रिज,मिक्सर मशीन, कूलर, डिनरसेट, समेत कई अन्य वस्तुये शामिल है।इसको लेकर बाजार की चहल पहल तेज हो गई है।छात्र छत्राओं की टोली सुबह से ही खरीददारी के लिए निकल गई है।
