बिहार/नालंदा: हिन्दूओं का गांव है यहां कोई मुस्लिम नहीं रहता है यहां 100 साल पुरानी मस्जिद है, मस्जिद से 5 वक़्त की अज़ान होती है। मस्जिद को रोज़ाना धोया जाता है। वीरान पड़ी इस मस्जिद को आबाद गांव का हिन्दू समुदाय के लोगो ने किया है। हर रोज़ पांचों वक़्त की अज़ान होती है। गांव के हिन्दूओं को अज़ान नहीं आता तो वह टेप रिकार्डर से, पेन ड्राइव से या फिर मोबाइल के सहारे अज़ान की रिकार्डिंग चलाते हैं।
ये मस्जिद बिहार के नालंदा ज़िले के मारी गांव में स्तिथ है मस्जिद की ऊंची-ऊंची मीनारें हैं यहां रहने वाले मुसलमानों ने 100 साल पहले मस्जिद बनवाई थी।1947 के बंटवारे में कुछ पाकिस्तान चले गए तो कुछ रोजी रोज़गार के चक्कर में शहरों को पलायन कर गए। यह मस्जिद बिल्कुल वीरान थी, लेकिन हिन्दूओं ने मंदिर के साथ-साथ मस्जिद को आबाद रखा है।
गांव में जब किसी हिन्दू की शादी विवाह होती है तो वह मस्जिद जाकर इबादत करता है, समाज में ऐसी खबरों को फैलाया जाना चाहिए। ये ख़बर ना सिर्फ़ मन को अंदर तक सुकून देती हैं बल्कि इस बात का हौसला भी देती हैं समाज में बाप-दादा की गंगा-जमुनी तहज़ीब की विरासत आज भी ज़िदा है। ये ख़बर बताती है समाज वैसा नहीं जैसा टीवी और सोशल मीडिया पर आज कल दिखाया जाता है।
गंगा जमुनी तहजीब को बरकरार रखने वाले उस गांव के हर हिन्दू को लाख-लाख सलाम है और सलाम इसलिए नहीं की उन्होंने मस्जिद को आबाद रखा है बल्कि सलाम इसलिए इस मुल्क़ की आत्मा को भाई चारे को ज़िदा रखा है।