मुखिया से ज्यादा वार्ड सदस्यो के प्रत्यासी की चर्चा ,जाने ऐसा क्यों?

मुखिया से ज्यादा वार्ड सदस्यो के प्रत्यासी की चर्चा ,जाने ऐसा क्यों?

Bihar East Champaran Ghorasahan Politics

नवीन सिंह कुशवाहा,( घोड़ासहन) बिहार में पंचायती चुनाव की गहमा गहमी बढ़ गयी है, हर जगह चुनावी चर्चा ही ट्रेंड में है चाय पर चर्चा से लेकर दारू के खर्चा, नेताओ के पर्चा ही हर जगह बना हुआ है। पंचायत चुनाव का महत्व और बढ़ जाता है,किसी और चुनाव के तुलना में क्योंकि ये छोटे स्तर पर होता है तीन सब एक दूसरे के करीबी का चुनाव लड़ना सब को बांध कर रखता है, प्रवासी लोग भी घर को लौट आते है चुनाव में जैसे कोईं महापर्व छठ हो।

इस बार सबसे ज्यादा चर्चा का विषय वार्ड सदस्यों के पद पर भारी भीड़ बढ़ गयी है।एक ही परिवार के कई लोग चुनाव लड़ रहे है।ऐसा कुछ नही है कि सब विकास करना चाहते है या पीछले बार जीते हुए सदस्यों ने काम नही किया इसके वजह से और कई उम्मीदवार बढ़ गया ।

ऐसा इस लिए हो  रहा क्योंकि वार्ड सदस्यो की कमाई अच्छा हुआ है पिछले बार इसलिए अब सब कामना चाहते हैं, यही एक मात्र कारण है।किसी भी प्रत्यासी को विकास या न्याय से कोई मतलब नही है इनको बस पैसे कमाना है।

पिछले कार्यकाल में मुख्यमंत्री ने कई सारी सुविधाएं और शक्तियां वार्ड को दिया था, कई सारी स्कीम वार्ड को दिया और उनकी कमाई बढ़ गया कमाई देख परिवार के ही लोगो को अखरने लगे क्योंकि विकास तो किये नही कमाई करके घर बना लिए और लोगो के नजरो में आ गये। एक ही वॉर्ड मे 10 से 15 उम्मीदवारों को चुनाव लड़ने का अनुमान लगाया जा सकता है।

प्रत्याशी एक दूसरे पर इंटरनेट मीडिया के सहारे आरोप-प्रत्यारोप लगा रहे है। गांवों में और सार्वजनिक जगहों पर अब लोग कोरोना महामारी की जगह चुनावी चर्चा करने में लग गए है। प्रत्याशियों ने मतदाताओं से मिलने-जुलने की प्रक्रिया शुरू कर दिया है। मतदाताओं की चुप्पी प्रत्याशियों के हलक सूखा रहे है। प्रत्याशी मतदाताओं के कोप भाजन से बचने के लिए नए-नए तरीके ढ़ूंढ़ रहे है। चुनावी मैदान में कई नये तो कई पुराने चेहरे सामने आने के आसार दिख रहा है।

वार्ड सदस्य के लिए सबसे ज्यादा गहमा गहमी

वार्ड विकास समिति के माध्यम से विकास मद में लाखों रूपये के आवंटन होने के कारण इस बार वार्ड सदस्य पद के लिए काफी ज्यादा गहमा गहमी देखी जा रही है। कई पंचायत व वार्डो में दिलचस्प मुकाबला भी देखने की संभावना है। एक ही परिवार के लोग एक ही पद के लिए आमने-सामने ताल ठोकने की तैयारी में लगे हुए है। हालांकि अब मतदाताओं को प्रलोभन देकर वोट लेना काफी कठिन हो गया है। लोग विकास के मुद्दे को चुनावी मुद्दा बना रहे है। हालांकि चुनाव की वास्तविक तस्वीर नामांकन एवं नाम वापसी के बाद ही दिखेगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *