संसद के मॉनसून सत्र से पहले आयोजित सर्वदलीय बैठक में प्रधानमंत्री मोदी के कम समय तक रुकने पर विपक्ष ने किया हंगामा

संसद के मॉनसून सत्र से पहले आयोजित सर्वदलीय बैठक में प्रधानमंत्री मोदी के कम समय तक रुकने पर विपक्ष ने किया हंगामा

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संसद के मॉनसून सत्र से पहले आयोजित सर्वदलीय बैठक में प्रधानमंत्री के कम देर रहने को लेकर विपक्षी दलों ने सवाल खड़ा किया है। कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि यह विपक्षी दलों की बेइज्जती है। वहीं वामदल और टीएमसी के नेताओं ने भी सरकार पर निशाना साधा है। हालांकि शरद पवार ने अभिभाषण प्रस्ताव का खुलकर विरोध नहीं किया।

कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने सरकार से पूछा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उस बैठक में मौजूद क्यों नहीं थे, जिसे सरकार ने ही बुलाया था।तृणमूल कांग्रेस के राज्यसभा सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने ट्वीट किया कि प्रधान मंत्री, महोदय यह सच है कि आपने हिस्सा लिया। बैठक 2 घंटे 40 मिनट तक चली, हमें आपका साथ 9 मिनट तक मिला। आपने हमसे चार मिनट तक बात की। सूत्रों के अनुसार राकांपा नेता शरद पवार एकमात्र विपक्षी नेता थे जिन्होंने संसद में प्रधानमंत्री के अभिभाषण के प्रस्ताव को सिरे से खारिज नहीं किया।

बताते चलें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद के मॉनसून सत्र से पहले रविवार को बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में कहा कि सरकार संसद में विभिन्न मुद्दों पर स्वस्थ और सार्थक चर्चा को तैयार है। संसदीय कार्यमंत्री प्रहलाद जोशी ने बैठक में प्रधानमंत्री के कथन को उद्धृत करते कहा कि उन्होंने सदन में विभिन्न दलों के नेताओं से कहा कि सरकार नियमों और प्रक्रिया के तहत उठाए गए मुद्दों पर स्वस्थ और सार्थक चर्चा को तैयार है। सर्वदलीय बैठक में 33 पार्टियों ने हिस्सा लिया।

इसमें प्रधानमंत्री ने कहा कि जन प्रतिनिधियों खासतौर पर विपक्ष के सुझाव मूल्यवान हैं, क्योंकि वे चर्चा को समृद्ध बनाते हैं। बैठक में मोदी के अलावा रक्षामंत्री राजनाथ सिंह, केंद्रीय मंत्री और राज्यसभा में सदन के नेता पीयूष गोयल और संसदीय कार्यमंत्री जोशी शामिल हुए। राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष अधीर रंजन चौधरी ने भी इस सर्वदलीय बैठक में हिस्सा लिया।

गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा संसद के मॉनसून सत्र से पहले बुलाई गई सर्वदलीय बैठक के बाद राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे की पहल पर विपक्षी दलों के नेताओं ने भी रविवार को अलग से एक बैठक की, जिसमें इस बात पर सहमति बनी कि विपक्षी सांसद सरकार पर विधेयकों को जल्दबाजी में पारित करने की जगह इन्हें संसद की स्थायी समितियों को भेजने के लिये दबाव बनाएंगे।

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