भारत नेपाल मैत्री बस सेवा के बाद अब काठमांडू जाने के लिए मिलेगी ट्रेन सेवा।

भारत नेपाल मैत्री बस सेवा के बाद अब काठमांडू जाने के लिए मिलेगी ट्रेन सेवा।

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भारत नेपाल मैत्री बस सेवा के बाद अब काठमांडू जाने के लिए मिलेगी ट्रेन सेवा।

मुख्य संवाददता, ललन कुमार सिन्हा

नई दिल्ली: भारत – नेपाल संधि की मजबूती के लिए बिहार बॉर्डर से काठमांडू रेल मार्ग से जाना आसान होगा।  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से की गई घोषणा को जमीन पर उतारने के काम में रेल मंत्री मंत्रालय की ओर से तेजी  आ रही है। रक्सौल से काठमांडू तक सीधी रेल सेवा शुरू करने की दिशा में काम तेजी से चल रहा है। काठमांडू तक की 136 किलोमीटर की दूरी में 13 प्रमुख स्टेशन बनेंगे।

रेल लाइन बिछाने के लिए सर्वेक्षण कार्य पूरा हो चुका है। जून 2020 तक विस्तृत योजना प्रतिवेदन (डीपीआर) तैयार हो जाएगा। रास्ते में पहाड़ खोदकर सुरंग बनेगी। पहला सर्वेक्षण पूरा हो चुका रक्सौल से काठमांडू के बीच की दूरी लगभग 140 से 150 किलोमीटर की है, रेल सेवा से जुडऩे पर 15 किमी दूरी कम जाएगी। 136 किलोमीटर लंबे रेलखंड पर 32 रेलवे ओवरब्रिज व 53 अंडरपास, 41 बड़े पुल, 259 छोटे पुल बनेंगे।

जिससे सड़क यातायात को सुचारू ढंग से बहाल रखा जा सकेगा, पूर्व मध्य रेल के डिप्टी चीफ इंजीनियर उत्कर्ष कुमार ने बताया कि पहला सर्वेक्षण पूरा हो चुका है। पिछले ही हफ्ते प्रतिवेदन रेल मंत्रालय को सौंप दिया गया है। अब डिटेल सर्वे कार्य होने जा रहा है, जिसमें स्टेशनों कि संख्या, पुल- पुलिया, अंडरपास, ओवरब्रिज आदि को जरूरत के अनुसार घटाया-बढ़ाया भी जा सकता है।

कहां-कहां रेल यार्ड की जरूरत पड़ेगी यह भी देखा जाएगा,
यहां-यहां बनेंगे रेलवे स्टेशन
सर्वेक्षण के अनुसार, रक्सौल, बीरगंज, बगही, पिपरा, धुमडवना, ककाड़ी, निजगढ़, चंद्रपुर, धिवाला, शिखरपुर सिनेरी, साथीखेल और काठमांडू जैसे महत्वपूर्ण स्थानों पर रेलवे स्टेशन बनेंगे। रेलमार्ग से जोडऩे के लिए रक्सौल से काठमांडू तक के बीच ये रेलखंड 130 किलोमीटर लंबी होगा।

संबंध और प्रगाढ़ होंगे वर्ष 2004 में रक्सौल से साढ़े पांच किलोमीटर ङ्क्षलक रेल द्वारा नेपाल के बीरगंज में इनलैंड कंटेनर डिपो स्थापित किया गया था। वर्तमान में सुचारू रूप से कार्यरत है, रेलवे की इस महत्वकांक्षी परियोजना के लिए भारत और नेपाल के प्रधानमंत्री की उपस्थिति में 31 अगस्त, 2018 को समझौते पर हस्ताक्षर किया गाय। दोनों देशों के बीच सदियों से मित्रवत संबंध हैं।

अब सीधी रेल सेवा से जुडऩे से सांस्कृतिक, राजनैतिक, आर्थिक और सामाजिक तौर पर दोनों देशों के संबंध और प्रगाढ़ होंगे। पूर्व मध्य रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी राजेश कुमार ने कहा कि रेलवे की यह महत्वाकांक्षी परियोजना है। दोनों देशों के बीच साल 2018 में ही समझौता हो चुका है। रेल लाइन के निर्माण पर लगभग 16550 करोड़ रुपए खर्च होने की संभावना है। काम को गति दी जा रही है भारत और नेपाल सरकार के सभी संबंधित विभाग के अधिकारी इसमें दिन-रात जुटे हुए हैं।
 

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